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ब्रिटेन ने भारतीय उच्चायोग की सुरक्षा को ‘गंभीरता’ से लेने की जताई प्रतिबद्धता, घटना को बताया ‘शर्मनाक’

लंदन। ब्रिटेन के शीर्ष अधिकारियों ने अलगाववादी खालिस्तानी झंडे लहराने वाले प्रदर्शनकारियों के एक समूह द्वारा भारतीय उच्चायोग में तोड़फोड़ को ‘शर्मनाक’ और ‘पूरी तरह अस्वीकार्य’ बताते हुए कहा कि ब्रिटिश सरकार यहां भारतीय मिशन की सुरक्षा को ‘गंभीरता’ से लेगी। गौरतलब है कि खालिस्तानी झंडे लहराते हुए और खालिस्तानी समर्थक नारे लगाते हुए प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने लंदन में भारतीय उच्चायोग के ऊपर फहराए गए तिरंगे को रविवार शाम उतारने का प्रयास किया था।

उच्चायोग के अधिकारियों ने कहा कि प्रदर्शनकारियों का यह प्रयास नाकाम रहा और तिरंगा शान से लहरा रहा है। मेट्रोपोलिटन पुलिस ने बताया कि सुरक्षा स्टाफ के दो सदस्यों को मामूली चोटें आयी हैं लेकिन उन्हें अस्पताल ले जाने की आवश्यकता नहीं पड़ी। मामले की जांच शुरू कर दी गई है।

घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए लंदन के मेयर सादिक खान ने कहा कि वह ‘हिंसक अव्यवस्था और तोड़फोड़’ की निंदा करते हैं। उन्होंने ट्वीट किया, हमारे शहर में इस तरह के बर्ताव के लिए कोई जगह नहीं है। भारत में ब्रिटेन के उच्चायुक्त एलेक्स एलिस ने इस घटना को ‘शर्मनाक’ और ‘पूरी तरह अस्वीकार्य’ बताया। विदेश कार्यालय में मंत्री लॉर्ड तारिक अहमद ने कहा कि वह ‘स्तब्ध’ हैं और सरकार भारतीय उच्चायोग की सुरक्षा को ‘गंभीरता’ से लेगी। उन्होंने ट्वीट किया, मिशन तथा उसके कर्मियों की अखंडता के खिलाफ उठाया गया यह कदम पूरी तरह अस्वीकार्य कृत्य है। स्कॉटलैंड यार्ड ने कहा कि उसे रविवार दोपहर को हिंसा की खबरें मिलीं तथा एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। मामले की जांच की जा रही है।

मेट्रोपोलिटन पुलिस ने एक बयान में कहा, ‘उच्चायोग की इमारत की खिड़कियां तोड़ी गयीं।’ मामले की जांच शुरू की गई है और हिंसा के संबंध में थोड़ी देर बाद नजदीकी स्थान से एक पुरुष को गिरफ्तार किया गया। इस बीच, भारत ने अपने राजनयिक मिशन की सुरक्षा को लेकर ब्रिटिश सरकार के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया और परिसरों में पर्याप्त सुरक्षा न होने को लेकर सवाल उठाया। टूटी हुई खिड़कियों और ‘इंडिया हाउस’ की इमारत पर चढ़ने वाले लोगों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर सामने आईं। घटनास्थल के वीडियो में एक भारतीय अधिकारी को उच्चायोग की पहली मंजिल की खिड़की से एक प्रदर्शनकारी द्वारा लहराये जा रहे झंडा खींचता हुआ दिख रहा है, जबकि प्रदर्शनकारी खालिस्तान का झंडा लहराता दिख रहा है।

भारत ने रविवार रात दिल्ली में सबसे वरिष्ठ ब्रिटिश राजनयिक को तलब किया और एक विरोध प्रदर्शन के दौरान खालिस्तान समर्थक अलगाववादी तत्वों द्वारा लंदन में भारतीय उच्चायोग में भारतीय ध्वज को उतारे जाने के प्रयास के बाद ‘सुरक्षा व्यवस्था की गैरमौजूदगी’ पर स्पष्टीकरण मांगा। उल्लेखनीय है कि पंजाब में खालिस्तान समर्थक नेता अमृतपाल सिंह पर कार्रवाई के बीच प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ तथाकथित ‘‘जनमत संग्रह 2020’’ करा रहा है। रविवार की इस घटना से पहले कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में भी खालिस्तानी समर्थकों के ऐसे कृत्य सामने आए हैं।

पिछले सप्ताह ऑस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन शहर में भारत के वाणिज्य दूतावास को सुरक्षा कारणों सें बंद करना पड़ा था। वहां खालिस्तानी समर्थक अवैध तरीके से एकत्रित हुए और उन्होंने कार्यालय के प्रवेश द्वार को अवरुद्ध कर दिया था। हाल के महीनों में खालिस्तान समर्थकों ने मेलबर्न में कई हिंदू मंदिरों में तोड़फोड की है। भारत इस मुद्दे को लगातार ऑस्ट्रेलिया प्राधिकारियों के समक्ष उठाता रहा है। भारत ने ऑस्ट्रेलियाई सरकार से खालिस्तानी अलगाववादियों की भारत विरोधी गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए कहा है। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस ने भारत की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आश्वासन दिया था कि ऑस्ट्रेलिया धार्मिक स्थलों पर हमले जैसे किसी कट्टरपंथी कृत्य को बर्दाश्त नहीं करेगा। कनाडा में भी हाल में खालिस्तानी समर्थकों द्वारा भारत विरोधी गतिविधियां देखने को मिली है और उन्होंने कुछ हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ भी की है।

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