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सिक्किम में संपर्क बहाल करने की दिशा में काम जारी, पर्यटकों को निकाला जा रहा

गंगटोक। उत्तर सिक्किम में अचानक आयी बाढ़ से अलग-थलग हुए इलाकों में अस्थायी पुल बनाकर तथा अन्य साधनों के जरिए संपर्क बहाल करने पर काम किया जा रहा है जबकि विभिन्न इलाकों में फंसे पर्यटकों को निकालने का अभियान बुधवार को भी जारी रहेगा।

अधिकारियों ने बताया कि सेना और विभिन्न सरकारी एजेंसियों के कर्मी परेशानी में फंसे लोगों तक आवश्यक सामान भेजने की दिशा में काम कर रहे हैं। भारतीय वायु सेना ने सोमवार तक उत्तर सिक्किम में फंसे तकरीबन 1700 पर्यटकों में से 26 विदेशियों समेत कुल 690 पर्यटकों को लाचेन और लाचुंग शहरों से हवाई मार्ग से निकाला है।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने मौसम साफ रहने का अनुमान जताया है, इसलिए शेष पर्यटकों को बुधवार को निकाला जाएगा। अचानक आयी बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित चुंगथांग इलाके में सेना और सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के कर्मियों ने पूरे शहर में सड़क से मलबा साफ किया।

भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और स्थानीय लोगों की मदद से लकड़ी का एक पुल बनाया गया। अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार को पर्यटकों समेत 500 से अधिक लोग इस पुल से गुजरे। सेना के इंजीनियर इस पुल को मजबूत बनाने पर काम कर रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि दुर्गम क्षेत्र और खराब मौसम से जूझते हुए सेना के एक दल ने चातेन इलाके में फंसे 11 नागरिकों को तत्काल भोजन और चिकित्सा सहायता उपलब्ध करायी।

एक हेलीपेड बनाया गया और बाद में उन्हें वहां से निकाला गया। इससे पहले, बाढ़ के कारण राज्य के शेष हिस्सों से कटे राबोम गांव तक जाने के लिए एक पैदल रास्ते को खोला गया। गांव में 245 लोग फंसे थे और उनमें से 129 कुंदन हाइडेल ऊर्जा परियोजना के कर्मचारी है।

लाचुंग में मोबाइल फोन संपर्क बहाल कर दिया गया है जबकि लाचेन घाटी में जल्द ही इसे बहाल किया जाएगा। मुख्य सचिव ने बताया कि भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टर ने स्थानीय लोगों, सेना तथा आईटीबीपी कर्मियों के लिए उत्तर सिक्किम में करीब 58 टन राहत सामग्री भी पहुंचायी।

चार अक्टूबर को बाढ़ आने के एक सप्ताह बाद भी 76 लोग लापता हैं। सिक्किम और पश्चिम बंगाल के अधिकारियों के अनुसार, अभी तक सिक्किम में 36 शव मिले हैं जबकि पड़ोसी पश्चिम बंगाल में नदी के किनारे स्थित कई स्थानों से 41 शव मिले हैं। ल्होनाक हिमनद झील में बादल फटने से भारी मात्रा में पानी आया, जिससे तीस्ता नदी में अचानक बाढ़ आ गई थी। इससे कई शहर और गांव जलमग्न हो गए तथा करीब 87,300 लोग प्रभावित हुए।

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