‘राष्ट्र प्रथम’ के संकल्प को साकार कर रही है भारतीय जनता पार्टी

अभिषेक कृष्ण दुबे
उत्तरं यत्समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम्।
वर्षं तद् भारतं नाम भारती यत्र सन्ततिः॥
भारतीय जनता पार्टी का गठन 6 अप्रैल 1980 को नई दिल्ली के कोटला मैदान में एक कार्यकर्ता अधिवेशन में किया गया, जिसके प्रथम राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी निर्वाचित हुए थे। इस अधिवेशन में श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कहा था कि ‘भाजपा का अध्यक्ष पद कोई अलंकार की वस्तु नहीं है, ये पद नहीं दायित्व है। प्रतिष्ठा नहीं है, परीक्षा है। ये सम्मान नहीं है, चुनौती है।’ उस समय अटल जी ने कहा था अंधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा!
पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी के इस कथन को आज 45 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं और आज हम विश्व की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में गत 11 वर्षों से सतत केंद्र सरकार की भूमिका में हैं।
भाजपा की सबसे बड़ी ताकत ‘एकात्म मानववाद’
भाजपा न केवल भारतीय जनसंघ की विचारधारा को लेकर आगे बढ़ती रही अपितु इस अधिवेशन में भारत को एक समर्थ राष्ट्र बनाने के संकल्पित लक्ष्य को सदा ही अपनी विचारधारा का अभिन्न अंग बनाए रखा है।
आज देश में गत 11 वर्ष से अधिक समय से भारतीय जनता पार्टी की सरकार अपने दायित्वों का सफलतापूर्वक निर्वहन कर रही है। भाजपा की इस सतत विकास की गति के पीछे जनसंघ की विचारधारा ‘एकात्म मानववाद’ का महत्वपूर्ण योगदान है। ‘एकात्म मानववाद’ जिसका परिचय सर्वप्रथम 1965 में स्वर्गीय पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी द्वारा कराया गया था। जिसकी परिकल्पना एक ऐसे घेरे की थी जिसमे -समाज, जाति, राष्ट्र, विश्व और फिर अनंत ब्रह्माण्ड को अपने में समाविष्ट किये हो।
वर्तमान समय में इस परिकल्पना को साकार कर रही भारतीय जनता पार्टी ‘सबका साथ सबका विकास’ जैसे सूत्र के साथ संपूर्ण भारतवंशियों को एक धागे में पिरोकर सतत आगे बढ़ रही है। वर्तमान में भाजपा की सबसे बड़ी शक्ति इसके कार्यकर्ता हैं, जो 140 करोड़ देशवासियों की आकांक्षाओं को पूरा करने में दिन-रात जुटे रहते हैं। देश की युवाशक्ति भाजपा को एक ऐसी पार्टी के रूप में देखती है, जो उनके सपनों को साकार करने के साथ ही 21वीं सदी में भारत को मजबूत नेतृत्व देने में सक्षम है।
स्थापना: संघर्ष से सफलता की राह
यद्यपि भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के बाद देश में हुए पहले आम चुनाव में पार्टी असफल रही और 1984 के आम चुनावों में केवल दो लोकसभा सीटें जीतने में सफल रही। इस असफलता से निराश न होते हुए पार्टी ने देश की सनातन विचारधारा को सुरक्षित करने के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए रामजन्मभूमि आंदोलन को ताकत देने का निर्णय किया। अगर उस समय भारतीय जनता पार्टी ने रामजन्मभूमि आंदोलन को ताकत नहीं दी होती तो आज भी हम अयोध्या में श्रीराम लला को टेंट में विराजमान पाते। यह हमारा सौभाग्य है कि भाजपा के एक निस्वार्थ आंदोलन के फलस्वरूप श्रीराम लला का आज भव्य मंदिर अयोध्या में शोभायमान हैं। भगवान श्रीराम के आशीर्वाद स्वरूप आज भाजपा की सरकार केंद्र के अलावा देश के आधे से अधिक राज्यों में है। भारतीय जनता पार्टी के 45वें स्थापना दिवस पर सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
(लेखक भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष)