निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मियों के साथ आए श्रम संघ और कर्मचारी संगठन
यूपी में बिजली कर्मियों का विरोध-प्रदर्शन जारी है। उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के फैसले के विरोध में रविवार को बिजली कर्मियों के समर्थन में अब प्रदेश के 27 श्रम संघ, राज्य कर्मचारी संगठन और शिक्षक संगठन मैदान में उतर आए हैं। श्रम संघों ने कहा कि वह निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मियों के साथ हैं। शांतिपूर्ण तरीके से संघर्षरत बिजली कर्मियों का उत्पीड़न किया गया तो राज्य सरकार के सभी कर्मचारी और शिक्षक बिजली कर्मियों के साथ आंदोलन में उतरेंगे। प्रेस क्लब में आयोजित प्रेसवार्ता में श्रम संघों ने कहा कि सभी श्रम संघ बिजलीकर्मियों के साथ हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की कि प्रदेश की जनता और कर्मचारियों के व्यापक हित में निजीकरण का प्रस्ताव वापस लिया जाए।
आगरा और ग्रेटर नोएडा में विफल हो चुका है निजीकरण
श्रम संघों के पदाधिकारियों ने कहा कि बिजली के निजीकरण का समाज के सभी वर्गों पर दूरगामी प्रतिकूल प्रभाव पड़ने वाला है। बिजली का निजीकरण जल्दबाजी में किया जाना उचित नहीं होगा। आगरा और ग्रेटर नोएडा में बिजली के निजीकरण का प्रयोग विफल हो चुका है। इन दोनों निजी कंपनियों के कार्यक्षेत्र में गरीब उपभोक्ताओं और किसानों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इन कंपनियों का ध्यान मुनाफे वाले इंडस्ट्रियल और कामर्शियल उपभोक्ताओं पर रहता है।
निजीकरण से बिजली दरों में होगी बेतहाशा वृद्धि
निजीकरण के इस असफल प्रयोग को प्रदेश के 42 जिलों में थोपना जनहित में नहीं है। निजीकरण के बाद प्रदेश में बिजली की दरों में भी बेतहाशा वृद्धि होने की आशंका है। मुंबई जैसे शहर में जहां बिजली के क्षेत्र में दो बड़ी निजी कंपनियां हैं, वहां घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरें 17 से 18 रुपये प्रति यूनिट है। उत्तर प्रदेश में अधिकतम दर घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 6.50 रुपये प्रति यूनिट है। पदाधिकारियों ने कहा कि कर्मचारी बड़ी संख्या में निजी क्षेत्र की नौकरी छोड़कर सरकारी बिजली कंपनी में नौकरी करने आए थे। अब उन्हें एक बार फिर निजी क्षेत्र में जाने के लिए मजबूर करना अन्याय है।
इन संघों के नेताओं ने किया आंदोलन का समर्थन
बिजली कर्मचारियों के समर्थन में रविवार को उत्तर प्रदेश अधिकारी महापरिषद के प्रधान महासचिव एवं उत्तर प्रदेश इंजीनियर्स एसोसिएशन के महासचिव इं. आशीष यादव, स्टेट इम्प्लाईज ज्वाइंट काउंसिल उ.प्र. के अध्यक्ष जेएन तिवारी, राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष कमल अग्रवाल, जवाहर भवन इंदिरा भवन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सतीश पांडे व महामंत्री रामकुमार धानुक, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष एसपी तिवारी, उत्तर प्रदेश चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष रामराज दुबे, उत्तर प्रदेश मिनिस्टीरियल कलेक्ट्रेट कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुशील कुमार त्रिपाठी, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन के पवन कुमार, अखिल भारतीय राज्य कर्मचारी महासंघ के उपाध्यक्ष कमलेश मिश्रा, उत्तर प्रदेश सेवानिवृत्त कर्मचारी एवं पेंशनर्स एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बीएल कुशवाहा, उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ के संरक्षक नरेंद्र प्रताप सिंह, अटेवा के अध्यक्ष विजय कुमार बंधु, उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ के महामंत्री रिंकू राय, उत्तर प्रदेश फार्मासिस्ट संगठन के अध्यक्ष सुनील यादव, एटक के महामंत्री चंद्रशेखर, सीटू के अध्यक्ष रवि मिश्रा व महामंत्री प्रेमनाथ राय, हिंद मजदूर सभा के महामंत्री उमाशंकर मिश्र, इंटक के सचिव दिलीप श्रीवास्तव, एआईसीसीटीयू के अध्यक्ष विजय विद्रोही व राज्य सहसचिव केएमएस मगन, टीयूसीसी की सचिव डा. आरती, एआईयूटीयूसी के सचिव बालेंद्र कटियार, सेल्फ इम्पलाईज वुमेन एसोसिएशन (सेवा) की महामंत्री फरीदा जलीस, सर्वजन हिताय संरक्षण समिति महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष रीना त्रिपाठी. विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष संतोष तिवारी, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के मंडल अध्यक्ष महेश मिश्रा, उत्तर प्रदेश पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष सुरेश जयसवाल सामने आए।