गोरखपुर । कलशे वाली मस्जिद मिर्जापुर में तरावीह की नमाज पढ़ा रहे हाफिज सद्दाम हुसैन निज़ामी ने बताया कि रमज़ान के महीने में की गई अल्लाह की इबादत बहुत असरदार होती है। इसमें खान-पान सहित अन्य दुनियादारी की आदतों पर आदमी संयम करता है। आदमी अपने शरीर को वश में रखता है साथ ही तरावीह और नमाज पढ़ने से बार-बार अल्लाह का जिक्र होता रहता है जिसके द्वारा इंसान की रूह पाक-साफ होती है। उन्होंने दीनी किताबों के हवाले से बताया कि खाने-पीने या हमबिस्तरी करने से रोजा टूट जाता है जबकि रोजादार होना याद हो। हुक्का, सिगरेट वगैरा पीने से भी रोजा जाता रहता है। पान या तम्बाकू खाने से रोजा टूट जाता है। दांतों के दरमियान कोई चीज चने के बराबर या ज्यादा थी उसे खा लिया तो रोजा टूट गया।
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