उत्तर प्रदेशलखनऊ

राजनीति में धनबल और बाहुबल का बोलबाला

लखनऊ। उत्तर प्रदेश इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के उत्तर प्रदेश में 2004 से लोक सभा और विधानसभा चुनावों में सांसदों/विधायकों और उम्मीदवारों के वित्तीय और आपराधिक मामलों का विश्लेषण किया गया है। संसदीय और राज्य विधानसभा के 21229 प्रत्याशियों सांसदों/ विधायकों का विश्लेषण शामिल है, जिसमें संसदीय और राज्य विधानसभा के 1544 विजयी सांसदों/विधायकों का विश्लेषण शामिल है। यह जानकारी 2007, 2012 और 2017 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावो और 2004, 2009, 2014 और 2019 उत्तर प्रदेश लोक सभा चुनावों और उत्तर प्रदेश विधानसभा और लोक सभा उपचुनावों से पहले उम्मीदवारों ने प्रस्तुत शपथपत्रों पर आधारित है।

इस विश्लेषण में पाया गया कि संसदीय और राज्य विधानसभा के 21229 प्रत्याशियों सांसदों/विधायकों में से 3739 ((18 प्रतिशत) उम्मीदवारों के ऊपर आपराधिक मामले घोषित है। जिसमें से 2299 ((11 प्रतिशत) उम्मीदवारों के ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित है। वही वर्ष 2004 से विजयी 1544 सांसदों/विधायकों में से 604 (39 प्रतिशत) सांसदों/विधायकों पर आपराधिक मामले व 380 ((25 प्रतिशत) ने अपने घोषणा  पत्र में गंभीर आपराधिक मामले घोषित किये है।

बात अगर दलवार उम्मीदवारों की करे तो 2004 से कांग्रेस से चुनाव लडने वाले 1102 में से 325 (29 प्रतिशत), बीजेपी के 1410 में से 473 (34 प्रतिशत), बीएसपी के 1466 में से 527 (36 प्रतिशत),  एसपी के 1329 में से 541 (41 प्रतिशत), आरएलडी के 584 में से 114 (20 प्रतिशत) और 6725 में से 612 (9 प्रतिशत) निर्दलीय उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किये है। वही कांग्रेस से चुनाव लडने वाले 174 (16 प्रतिशत), बीजेपी के 279 (20 प्रतिशत), बीएसपी के 345 (24 प्रतिशत), एसपी के 325 (24 प्रतिशत), आरएलडी के 80 (14 प्रतिशत) और 389 (6 प्रतिशत) निर्दलीय उम्मीदवारों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किये है।

वर्ष 2004 से कांग्रेस के 88 में से 31 (35 प्रतिशत) सांसदों/विधायकों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किये है। बीजेपी के 573 में से 225 (39 प्रतिशत), बीएसपी के 363 में से 125 (34 प्रतिशत), एसपी के 432 में से 184 (43 प्रतिशत), आरएलडी के 29 में से 6 (21 प्रतिशत) और 20 में से 15 (75 प्रतिशत) निदर्लीय सांसदों/विधायकों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किये हैं। वही कांग्रेस के 18 (20 प्रतिशत), बीजेपी के 163 (28 प्रतिशत), बीएसपी के 71 (20 प्रतिशत), एसपी के 98 (23 प्रतिशत), आरएलडी के 4 (14 प्रतिशत) और 13 (65 प्रतिशत) निर्दलीय सांसदों/विधायकों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किये है।

अगर बात प्रत्याशियों की वित्तीय पृष्ठभूमि की जाये तो 21229 उम्मीदवारों की औसतन सम्पत्ति 1.46 करोड है। वही 2004 से विजयी 1544 सांसद/ विधायकों की औसतन सम्पत्ति 4.60 करोड रूपये है। बीजेपी के 1410 उम्मीदवारों की औसतन सम्पत्ति 3.73 करोड, कांग्रेस के 1102 उम्मीदवार की 4.60 करोड, बीएसपी के 1466 प्रत्याशियों की 4.55 करोड, एसपी के 1329 उम्मीदवार की 3.35 करोड और निर्दलीय 6725 उम्मीदवारों की औसतन सम्पत्ति 39.49 लाख है। वही दलवार बीजेपी के 573 सांसदों/विधायकों की औसतन सम्पत्ति 6.39 करोड, कांग्रेस के 88 सांसदों/विधायकों की 5.53 करोड, बीएसपी के 363 सांसदों/विधायकों की 3.69 करोड, एसपी के 432 सांसदों/विधायकों 2.84, और निर्दलीय 20 सांसदों/विधायकों की औसतन सम्पत्ति 2.97 करोड है।

वर्ष 2004 से चुनाव लडने वाले 21229 उम्मीदवारों में से केवल 1641 (8 प्रतिशत) महिला उम्मीदवार है। वही 147 महिलाऐं सांसद/विधायक चुनावती है। 1641 महिला उम्मीदवारों की औसतन सम्पत्ति 2.19 करोड है वही 147 महिला सांसद/विधायकों की औसतन सम्पत्ति 8.31 करोड है। राजनीत में धनबल और बाहुबल का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है इस बात की  तस्दीक एडीआर की रिपोर्ट दे रही है जिस तरह से राजनीति में पूंजीपतियों और बाहुबलियों ने सत्ता पर काबिज होने के लिए जोर आजमाइश शुरू की है वह आने वाले दिनों  मैं लोकतंत्र के लिए खतरा यह बात यूपी इलेक्शन वॉच एडीआर उत्तर प्रदेश के प्रमुख संजय सिंह ने कहीं उन्होंने कहा कि राजनीति में अपराधियों के रोकने के लिए जो भी प्रयास किए जा रहे हैं वह कमजोर साबित हो रहा है तमाम सारे प्रयासों के बाद भी चुनावी राजनीति में अपराधियों का बोलबाला बढ़ता जा रहा है यह भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं है

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