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यूपी में बागी उम्मीदवारों ने बढ़ाई समाजवादी पार्टी की मुसीबत, गठबंधन के बाद भी मिल रही कड़ी चुनौती

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए चौथे चरण की वोटिंग बुधवार को होगी। लेकिन समाजवादी पार्टी के लिए मुसीबत बढ़ती जा रही है। दरअसल, समाजवादी पार्टी के ही कई अपने अखिलेश यादव से नाराज हो गए हैं। यही कारण है कि नाराज पुराने कार्यकर्ताओं को पार्टी की ओर से मनाने की कवायद तेज हो गई है। बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में से कई सीट है जहां नाराज पुराने कार्यकर्ता पार्टी के लिए मुसीबत खड़ी कर रहे हैं। पार्टी को भितरघात का भी सामना करना पड़ रहा है। अवध से लेकर पूर्वांचल तक ऐसी कई सीटे भी है जहां समाजवादी पार्टी से बगावत कर कई उम्मीदवार मैदान में उतर चुके हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का दावा है कि कहीं ना कहीं भाजपा अपने बाकी उम्मीदवारों को साधने में कामयाब रही लेकिन अखिलेश यादव फिलहाल इस चुनौती का मुकाबला करने में विफल नजर आ रहे हैं।

चौथे चरण से लेकर सातवें चरण तक सबसे ज्यादा बागी उम्मीदवार समाजवादी पार्टी के हैं। कई सीटों पर समाजवादी पार्टी ने गठबंधन किया है लेकिन उसे अपने ही कड़ी चुनौती देते नजर आ रहे हैं। कई ऐसे सीट है जहां समाजवादी पार्टी के बागी इस्तीफा देकर बीएसपी या फिर कांग्रेस से चुनावी मैदान में है। इतना ही नहीं, कई तो निर्दलीय चुनाव में ताल ठोक रहे हैं। उदाहरण के लिए अयोध्या के रुदौली सीट की बात कर लेते हैं यहां से पूर्व विधायक अब्बास अली रुश्दी ने सपा से इस्तीफा देकर बीएसपी का दामन थाम लिया। फिलहाल वह यहां से समाजवादी पार्टी को कड़ी टक्कर देते नजर आ रहे हैं। समाजवादी पार्टी के लिए एक दिक्कत यह भी है कि कई सीटों पर उसने हाल में ही भाजपा से आए नेताओं को मैदान में उतारा है जबकि कई सीटों पर ओमप्रकाश राजभर की पार्टी से गठबंधन हुआ है।

ऐसा ही कुछ हाल बीकापुर का है जहां अनूप सिंह बागी होकर निर्दलीय ताल ठोक रहे हैं। समाजवादी पार्टी के कुछ ऐसे नेता जो बागी होकर बीएसपी से चुनाव लड़ रहे हैं उनमें टांडा से शबाना खातून, मरियाहूं सीट से श्रद्धा यादव, श्रावस्ती से पूर्व विधायक मोहम्मद रमजान और फाजिलनगर सीट पर पूर्व जिला अध्यक्ष इलियास अंसारी शामिल हैं आपको बता दें कि फाजिलनगर से हाल में ही समाजवादी पार्टी में शामिल होने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य को अखिलेश यादव ने टिकट दिया है। कई नेताओं का आरोप है कि उन्होंने 25 से 30 सालों तक पार्टी के लिए निष्ठा से काम किया। लेकिन बदले में उन्हेंअपमान का सामना करना पड़ा। उनका दावा है कि पार्टी ने बाहर से आए लोगों को महत्व दिया और अपने लोगों को किनारे करने की कोशिश की।

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