चैत्र नवरात्र आत्मशुद्धि और मुक्ति के लिए: डॉ0 जय प्रकाश शर्मा
- चैत्र नवरात्र की सभी देश व प्रदेश वासियों को डा जय प्रकाश शर्मा ने दी बधाई
सन्तकबीरनगर। देवी भागवत् पुराण के अनुसार पूरे वर्ष में चार नवरात्र मनाए जाते है जिनमें दो गुप्त नवरात्र सहित शारदीय नवरात्र और बासंती नवरात्र जिसे चैत्र नवरात्र कहते हैं शामिल हैं। दरअसल यह चारों नवरात्र ऋतु चक्र पर आधारित हैं और सभी ऋतुओं के संधिकाल में मनाए जाते हैं। शारदीय नवरात्र वैभव और भोग प्रदान देने वाले है। गुप्तनवरात्र तंत्र सिद्धि के लिए विशेष है जबकि चैत्र नवरात्र आत्मशुद्धि और मुक्ति के लिए। वैसे सभी नवरात्र का आध्यात्मिक दृष्टि से अपना महत्व है।
आध्यात्मिक दृष्टि से देखें तो यह प्रकृति और पुरुष के संयोग का भी समय होता है। प्रकृति मातृशक्ति होती है इसलिए इस दौरान देवी की पूजा होती है। गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि संपूर्ण सृष्टि प्रकृतिमय है और वह सिर्फ पुरुष हैं। यानी हम जिसे पुरुष रूप में देखते हैं वह भी आध्यात्मिक दृष्टि से प्रकृति यानी स्त्री रूप है। स्त्री से यहां मतलब यह है कि जो पाने की इच्छा रखने वाला है वह स्त्री है और जो इच्छा की पूर्ति करता है वह पुरुष है।
उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के उपाध्यक्ष प्रख्यात समाजसेवी डा जयप्रकाश शर्मा ने सभी देश और प्रदेश वासियों को चैत्र रामनवमी पर्व की शुभकामनाएं व बधाई दी। डा श्री शर्मा ने कहा कि नवरात्र के नौ दिनों में मनुष्य अपनी भौतिक, आध्यात्मिक, यांत्रिक और तांत्रिक इच्छाओं को पूर्ण करने की कामना से व्रतोपवास रखता है और ईश्वरीय शक्ति इन इच्छाओं को पूर्ण करने में सहायक होती है। इसलिए आध्यात्मिक दृष्टि से नवरात्र का अपना महत्व है।