किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी को बनाया गया एनएमसी का नोडल सेंटर
लखनऊ: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) की ओर से चिकित्सा शिक्षा केंद्र के लिए नोडल सेंटर बनाया गया है. यह सेंटर चिकित्सा संस्थानों और मेडिकल कालेजों के शिक्षकों को नवीन चिकित्सा तकनीक का प्रशिक्षण दिया जाएगा. इसकी पहली कार्यशाला सोमवार को आयोजित की जा रही है. इसमें देश के 30 शिक्षक प्रतिभाग कर रहे हैं.
केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने बताया कि सोमवार से शुरू हो रही पाठ्यक्रम कार्यशाला 27 जुलाई तक चलेगी. कार्यशाला का उद्घाटन अंडरग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड, नेशनल मेडिकल कमीशन की अध्यक्ष डॉ. अरुणा वी. वाणीकर करेंगी. कार्यशाला में शिक्षकों को चिकित्सा शिक्षा की नई विधाओं, बच्चों को पढ़ाने के तरीके समेत विभिन्न जानकारी साझा की जाएगी. इसके अलावा चिकित्सा शिक्षा से जुड़े पाठ्यक्रम प्रबंधन, शिक्षण के तरीके, मूल्यांकन योजना, शोध और परियोजना योजना आदि विषयों को भी शामिल किया गया है.
केजीएमयू की मिली पांच पोर्टेबल एक्स-रे मशीन:
महत्वपूर्ण विकास के तहत रेडियोडायग्नोसिस विभाग, किंग जॉर्ज’स मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) ने पांच नवीनतम पोर्टेबल एक्स-रे मशीनें प्राप्त की हैं. जो मरीजों की देखभाल में अत्यधिक सुधार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. केजीएमयू के रेडियोडायग्नोसिस विभाग को पांच नवीनतम पोर्टेबल एक्स-रे मशीनें मिली हैं. विभागाध्यक्ष डॉ. अनित परिहार ने बताया कि इन मशीनों का इस्तेमाल उन मरीजों की जांच में किया जाएगा, जो चलने-फिरने में असमर्थ हैं या अन्य किसी गंभीर बीमारी की अवस्था में हैं.
यह नई मशीनें का प्रयोग नियमित रूप से मुख्यतया बाल शल्यक्रिया, श्वसन चिकित्सा, न्यूरोसर्जरी, और कार्डियोलॉजी में होगा. इन मशीनों से मरीजों को एक्स-रे के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा. इस कार्यक्रम में प्रमुख सदस्यों जैसे कि डॉ. मनोज, डॉ. दुर्गेश द्विवेदी, डॉ. प्रियंका यादव, डॉ. सौरभ मौजूद रहें. डॉ. परिहार ने आम उपकरण कक्ष के प्रभारी, डॉ. अविनाश अग्रवाल, और डॉ. अक्षय आनंद को इन अद्वितीय मशीनों की क्रय के लिए धन्यवाद दिया.
कुलपति डॉ. बिपिन पुरी ने रेडियोडायग्नोसिस विभाग की इस उपलब्धि की सराहना की. यह चिकित्सा ढांचे में सुधार केजीएमयू की अटल प्रतिबद्धता का प्रमाण है. जो मरीजों की देखभाल और सेवा उत्कृष्टता को बढ़ाने की है. इससे अब मरीजों को एक्स-रे के लिए अधिक समय तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा और कठिन परिस्थितियों में भी सुचारू उपचार अनुभव की उम्मीद की जा सकती है.