उत्तर प्रदेशलखनऊ

हीट वेव के प्रकोप के चलते डीएम ने स्कूलों के समय बदलने का दिया आदेश

लखनऊ: राजधानी समेत पूरे उत्तर प्रदेश में आग बरसाती धूप और हीट वेव से आम जन काफी प्रभावित हो रहा है. हीट वेव से होने वाली बीमारियों का भी खतरा बढ़ गया है. ऐसे में लखनऊ के जिलाधिकारी ने हीट वेव और गर्मी से बचाव के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए है. इसके अलावा इससे बचने के भी उपाय बताए है.

लखनऊ जिलाधिकारी सूर्य पाल गंगवार ने निर्देश दिए हैं कि सभी पार्क, पर्यटन स्थलों, बस स्टैण्ड, रेलवे स्टेशन व सार्वजनिक स्थानों पर एनजीओ के सहयोग से छाया और पेयजल, निःशुल्क प्याऊ की समुचित व्यवस्था करायी जाये. पार्क और सार्वजनिक स्थानों पर हीटवेव से बचाव व सुरक्षा सम्बन्धी पोस्टर चिपकाए जायें, जिससे आम जनमानस हीटवेव से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक हो सकें.

स्कूलों के समय में किया जाये बदलाव: डीएम ने सभी प्राथमिक और सामुदायिक अस्पतालों में ओआरएस के पाउच व हीटवेव से सुरक्षा प्रदान करने वाली दवाइयों की पर्याप्त उपलब्धता रखने और डॉक्टरों को हीटवेव से पीड़ित मरीजों को तत्काल इलाज किये जाने के लिए ट्रेनिंग देने के निर्देश दिए है. डीएम ने कहा है कि , डिग्री, इण्टर कालेजों व प्राथमिक विद्यालयों के समय में परिवर्तन कराया जाये और विद्यार्थियों को फील्ड विजिट व स्पोर्ट्स एक्टिविटी न कराया जायें. इसके अलावा दिहाड़ी मजदूरों व मनरेगा के तहत कार्य करने वाले व अन्य मजदूरों से दोपहर के समय कार्य न कराया जाये. जहां काम हो रहा हो वहां पर छाया व पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित की जाये.

ग्रामीण क्षेत्रों में तहसीलों के उपजिलाधिकारियों द्वारा लेखपाल, कानूनगो व ग्राम प्रधान के माध्यम से तथा नगरीय क्षेत्रों में क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के जरिए सभी डिग्री/इण्टर कालेज व प्राथमिक विद्यालयों में जिला आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण के सहयोग से हीटवेव से बचाव व सुरक्षा के सम्बन्ध जागरूकता ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन कराया जाये. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग, अग्निशमन विभाग, नागरिक सुरक्षा और रेड क्रॉस सोसाइटी का भी सहयोग प्राप्त किया जाये. वहीं जू में लाये गये जीव-जन्तुओं और अन्य पशुओं को हीटवेव से राहत प्रदान करने हेतु छाया, पेयजल व चारे की उचित व्यवस्था की जाये.

बचाव के लिए क्या करें: प्रचार माध्यमों पर हीटवेव (लू) की चेतावनी पर ध्यान दें, अधिक से अधिक पानी पियें, प्यास न लगी हो तब भी. गर्म हवा की स्थिति जानने के लिए रेडियो सुने, टीवी देखे, समाचार पत्र पर स्थानीय मौसम पूर्वानुमान की जानकारी लेते रहे. पानी ज्यादा पीयेें ताकि शरीर में पानी की कमी से होने वाली बीमारी से बचा जा सके. हल्के ढीले ढाले सूती वस्त्र पहने, ताकि शरीर तक हवा पहुॅचे और पसीने को सोख कर शरीर को ठंडा रखे. धूप में बाहर जाने से बचे, अगर बहुत जरूरी हो तो धूप के चश्में, छाता, टोपी एवं जूते या चप्पल पहनकर ही घर से निकले.

अगर आप खुले में कार्य करते हैं तो सिर, चेहरा, हाथ-पैरों को गीले कपड़े से ढके रहें तथा छाते का प्रयोग करें. यात्रा करते समय अपने साथ बोतल में पानी जरूर रखे. गर्मी के दिनो में ओआरएस का घोल पियें. अन्य घरेलू पेय जैसे नीबू पानी, कच्चे आम का पना, लस्सी आदि का प्रयोग करें, जिससे शरीर में पानी की कमी न हो. हीट स्ट्रोक, हीट रैश, हीट क्रैम्प के लक्षणों जैसे कमजोरी, चक्कर आना, सरदर्द, उबकाई, पसीना आना, मूर्छा आदि को पहचानें. यदि मूर्छा या बीमारी अनुभव करते हैं तो तुरन्त चिकित्सक की सलाह लें.

गर्मी से उत्पन्न होने वाले विकारो, बीमारियो को पहचानें. तकलीफ होने पर तुरंत चिकित्सकीय परामर्श लें. जानवरो को छायादार स्थानो में रखें, उन्हे पीने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी दें. अपने घर को ठंडा रखे, घर को ढक कर या पेन्ट लगाकर 3-4 डिग्री तक ठंढा रखा जा सकता है. कार्य स्थल पर पानी की समुचित व्यवस्था रखे. पंखे, गीले कपड़ों का उपयोग करेें तथा बारम्बार स्नान करें. दोपहर में सूर्य की सीधी रोशनी में जाने से बचें. श्रम साध्य कार्यों को ठंडे समय में करने/कराने का प्रयास करें. गर्भस्थ महिला, बच्चों तथा वृ़द्धजनों पर अतिरिक्त ध्यान देना चाहिए.

क्या न करेंः बच्चों तथा पालतू जानवरो को खड़ी गाड़ियो में न छोड़े. दोपहर 12 बजे से 03 बजे के मध्य सूर्य की रोशनी में जाने से बचें. गहरे रंग के भारी तथा तंग कपड़े न पहनें. जब बाहर का तापमान अधिक हो तब श्रमसाध्य कार्य न करें. अधिक गर्मी वाले समय में खाना बनाने से बचे, रसोई वाले स्थान को ठण्डा करने के लिए दरवाजे तथा खिड़कियॉ खोल दें. शराब, चाय, कॉफी, कार्बोनेटेड साफ्ट डिंªक आदि का उपयोग करने से बचे, क्योकि यह शरीर में निर्जलीकरण करता हैं.

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