वाराणसी: काशी में छह मार्च को होलिका दहन, सात मार्च को खेली जाएगी होली
- देश के अन्य हिस्सों में होली आठ मार्च को, सड़कों पर होलिका का चंदा मांगने लगे युवा
वाराणसी। धर्म नगरी काशी में इस बार प्रदोष काल व्यापिनी पूर्णिमा में होलिका दहन छह मार्च को किया जायेगा। होलिका दहन के दूसरे दिन ही चौसठ्ठी देवी की यात्रा की परंपरा होने के कारण होली का त्योहार काशी में सात मार्च को मनाया जायेगा। वहीं, देश के अन्य हिस्सों में होली आठ मार्च को मनाई जाएगी।
ज्योतिषविद आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री के अनुसार फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा छह मार्च की शाम को 4:18 बजे से लगेगी और सात मार्च की शाम को 5:30 बजे समाप्त हो रही है। ऐसे में प्रदोष काल व्यापिनी पूर्णिमा में होलिका दहन छह मार्च को ही किया जाएगा। पूर्णिमा के साथ भद्रा होने के कारण होलिका दहन का मुहूर्त रात्रि में 12:23 बजे से 1:35 बजे तक मिलेगा। पूर्णिमा सात मार्च को समाप्त होने के बाद चैत्र कृष्ण प्रतिपदा शाम को शुरू हो रही है । लेकिन होली उदया तिथि में मनाने का शास्त्रीय विधान है। ऐसे में देश के अन्य हिस्सों में आठ मार्च को होली मनाई जाएगी।
होलिका दहन के समय परिक्रमा करने का विधान
होलिका दहन के समय होलिका के परिक्रमा का विधान भी है। होलिका के चारों ओर तीन या सात बार परिक्रमा करते हुए कच्चे सूत को लपेटना चाहिए। इसके बाद होलिका की भस्म मस्तक पर लगाने से माना जाता है कि आरोग्य लाभ के साथ सुख-समृद्धि मिलती है। होलिका दहन से पहले होलिका का पूजन भी किया जाता है।
राशि के हिसाब से खेले होली, ग्रह दोष से मुक्ति मिलने के साथ लाभकारी भी होगा
ज्योतिष में राशि के हिसाब से रंग और गुलाल खेलना शुभ माना जाता है। ज्योतिषविद मनोज पाठक बताते हैं कि अपनी राशि के अनुसार रंगों का इस्तेमाल करने से ग्रह-दोष से मुक्ति मिलती है। हर राशि का एक स्वामी होता है, जिसे भाने वाले रंग से होली खेलकर जातक शुभ प्रभाव पाते हैं। उन्होंने बताया कि मेष और वृश्चिक राशि वालों को लाल, केसरिया, सिन्दूरी रंग गुलाल गुलाल से होली और गुलाल खेलना चाहिए। मेष राशि के स्वामी मंगल हैं और मंगल के शत्रु शनि माने जाते हैं। ऐसे में मेष राशि वालों को होली खेलते समय काले और नीले रंग से दूर रहना चाहिए।
इसी तरह वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल हैं। मंगल राशि वालों के लिए लाल रंग से होली खेलना लाभकारी होगा। इसी तरह वृष व तुला राशि वालों को सफेद चमकीला गुलाल रंग से होली खेलनी चाहिए। तुला राशि के स्वामी शुक्र हैं। तुला राशि वालों को सफेदा का इस्तेमाल करने के बाद होली खेलना चाहिए। वृष राशि के भी स्वामी शुक्र हैं और शुक्र एक चमकीला ग्रह है। इसलिए वृष राशि वालों को सफेद रंग से होली खेलनी चाहिए। मिथुन व कन्या राशिवालों को हरे अबीर गुलाल से रंग खेलना चाहिए। मिथुन राशि के स्वामी बुध माने जाते हैं, इसलिए बुध ग्रह वालों को हरे रंग से होली खेलनी चाहिए।
मनोज पाठक बताते हैं कि कन्या राशि के स्वामी बुध हैं। ऐसे में कन्या राशि वालों के लिए भी हरे रंग से होली खेलना लाभकारी होगा। कर्क राशिवालों को श्वेत चूर्ण गुलाल हल्का चमकीला रंग से होली खेलना चाहिए। कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा हैं, जो जल के प्रतीक भी माने जाते हैं। कर्क राशि वालों को होली खेलते समय पानी का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए।
सिहं राशि के जातकों के स्वामी सूर्य हैं और सूर्य की ऊर्जा प्राप्त करने के लिए सिंह राशि वालों को लाल, गुलाबी, नारंगी जैसे रंगों से होली खेलनी चाहिए। काले, नीले रंग से सिंह राशि वालों को दूर रहना चाहिए। इसी तरह धनु और मीन राशि वालों को पीला रंग के गुलाल और रंग से होली चाहिए। धनु राशि के स्वामी गुरु बृहस्पति हैं। धनु राशि वालों के लिए पीले रंग, केसर के रंग से होली खेलना लाभकारी होगा। मीन राशि के स्वामी बृहस्पति हैं। मीन राशि वालों को प्राकृतिक रंगों के साथ पीले रंग से होली खेलना लाभकारी होगा।
मकर एवं कुंभ राशि के जातकों को काला नीला एवं भूरा ग़ुलाल और रंग से होली खेलना चाहिए। मकर राशि के स्वामी शनि हैं। शनिदेव को खुश करने के लिए मकर राशि वालों को काले और नीले रंग से होली खेलना लाभकारी होता है। इसी तरह कुंभ राशि के जातकों के स्वामी शनिदेव हैं, कुंभ राशि वालों को नीले और काले रंग से होली खेलना लाभकारी होगा।
ज्योतिषविद मनोज पाठक बताते हैं कि हर राशि का एक स्वामी होता है और उसको एक खास रंग पसंद होता है। ऐसे में उसी खास रंग या गुलाल से होली खेलकर शुभ फल पा सकते हैं।