स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे पर सपा नेता ने अखिलेश यादव को लिखा पत्र, बोले- स्वीकार न किया जाय
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से स्वामी प्रसाद मौर्या के इस्तीफा देने के बाद यूपी की राजनीति गरमा गई है। इसी बीच डैमेज कंट्रोल करने के लिए सपा के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री रामगोविंद चौधरी का एक पत्र सामने आया है। यह पत्र उन्होंने सपा प्रमुख अखिलेश यादव को लिखा है जिसमें स्वामी प्रसाद मौर्या के इस्तीफे को स्वीकार न करने की गई है।
स्वामी प्रसाद मौर्या ने मंगलवार को यह कहते हुए पद से इस्तीफा दिया था कि पार्टी में उनकी उपेक्षा हो रही है। पार्टी के ही नेता और पदाधिकारी उनके बयानों को पार्टी न मानकर निजी बयान बता रहे हैं। इनके इस्तीफे की खबर ने यूपी की राजनीति में हलचल पैदा कर दी थी। दल बदलने के लिए जाने-जाने वाले मौर्या का यह एक और पॉलीटिकल स्टंट जाना जा रहा है। विपक्षी दल कयास लगाने में जुटे हैं कि इसबार वो किसका दामन थामने वाले हैं। हालांकि स्वामी प्रसाद ने अखिलेश यादव को भेजे इस्तीफे में स्पष्ट कर दिया था कि वो पार्टी में बने रहेंगे।
बेटी के टिकट पर टिकी हैं सबकी निगाहें
स्वामी प्रसाद मौर्या की बेटी संघमित्रा मौर्या बदायूं से भाजपा की सांसद हैं। बीजेपी की सांसद होने के बावजूद 2022 विधानसभा चुनाव में वो सपा प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरे पिता स्वामी प्रसाद के लिए प्रचार-प्रसार करने कुशीनगर गई थी। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि इसबार भाजपा उनकी बजाय बदायूं से किसी और को टिकट दे सकती है। मौर्या के सपा महासचिव पद से इस्तीफा देने के बाद कयास लगाया जा रहा कि बेटी का टिकट कंफर्म करवाने के लिए वो एक बार फिर पार्टी बदल सकते हैं।
दलित और पिछड़ा वर्ग के बीच मजबूत पकड़ का दिया हवाला
बलिया से सपा के पूर्व विधायक रहे रामगोविंद ने बुधवार को अखिलेश यादव को पत्र लिखकर मौर्या के इस्तीफ को स्वीकार न करने की गुजारिश की है। उन्होंने लिखा है कि डबल इंजन की सरकार का विश्वास संविधान सम्मत शासन में नहीं है। यह सरकार गरीबों का हक छीनकर अपने कुछ उद्यमी मित्रों और उनके हित को ही देश हित मानने वाले सामन्ती सोच के लोगों को लगतार देती जा रही है। युवा रोजगार की तलाश में युद्ध के आगोश में जी रहे इसराइल में भी जाने को तैयार हैं।
पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य भी भाजपा और राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के इस ज़हर का मजबूती से प्रतिवाद कर रहे हैं। इसलिए वह भाजपा और संघ के निशाने पर है। स्वामी प्रसाद मौर्य पिछड़े समाज से आते हैं। अपने जुझारू स्वभाव की वजह से इस समाज में उनका एक विशेष स्थान हैं। उनका पदाधिकारी बने रहना समाजवादी पार्टी के हित में है। इसलिए मेरा अग्रह है कि आप उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं करें।