बहराइच में मनाया गया विश्व श्रवण दिवस बहरेपन को रोकने व कान और सुनने की देखभाल को बढ़ावा देने को लेकर लोगों को किया गया जागरूक
बहराइचl विश्व श्रवण दिवस पर आज राष्ट्रीय बधिरता रोकथाम कार्यक्रम अंतर्गत जनपद की समस्त चिकित्सा इकाइयों पर गोष्ठी आयोजित की गयीl सीएमओ कार्यालय के अचल प्रशिक्षण केन्द्र में कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सीएमओ डॉ० सतीश कुमार सिंह ने कहा कि प्रत्येक वर्ष तीन मार्च को दुनिया भर में बहरेपन को रोकने व कान और सुनने की देखभाल को बढ़ावा देने के बारे में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया जाता हैl उन्होंने कहा कि कान की सेहत को लेकर आमतौर पर कम ध्यान दिया जाता है जबकि कान भी हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है और हमें इसकी सेहत का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
कार्यक्रम का संचालन कर रहे स्वास्थ्य शिक्षा सूचना अधिकारी बृजेश सिंह ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तीन मार्च को विश्व श्रवण दिवस के रूप में घोषित किया है। यह दिवस इस बात के लिए सचेत करता है कि हमें कान की सेहत का विशेष ध्यान रखना चाहिए। बढ़ते ध्वनि प्रदूषण से हमारी श्रवण शक्ति प्रभावित हो सकती है। ऐसे में खुद को जागरुक रखने के साथ-साथ दूसरों को भी जागरूक करना होगा। उन्होंने बताया कि कान की सेहत के लिए शोरगुल से बचें –
नाक-कान गला रोग विशेषज्ञ डॉ० एस० के० वर्मा ने कहा कि जब से स्मार्ट फोन और स्मार्ट टेक्नोलॉजी ने घरों में प्रवेश किया है, तब से कान या सुनाई देने से संबंधित विकारों में बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में हमें कानों की सेहत का भी ध्यान रखना होगा। जहां अधिक शोर-शराबा हो वहां से दूर रहना चाहिए। अगर ऐसे स्थान पर रुकना पड़े तो कान में हेड फोन लगा लेना चाहिए। श्रवण शक्ति का नियमित जांच भी करवाना चाहिए।
मधुमेह, उच्च रक्तचाप भी हैं बहरेपन के कारण –
एनसीडी क्लीनिक के डॉ० परितोष तिवारी ने कहा कि हियरिंग लॉस (बहरापन) किसी भी आयु में हो सकता है। ऐसे में अगर कोई ऊंचा सुनता है, कान या सिर में दर्द रहता है या फिर कान बहता है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मधुमेह, उच्च रक्तचाप, पक्षाघात, तनाव की अधिकता भी कानों की सेहत पर बुरा असर डालती है । उच्च रक्तचाप के कारण कान की रक्तवाहिकाओं पर दबाव पड़ता है । जिससे कानों के आंतरिक भाग में दबाव , कान दर्द , एक या दोनों कानों की सुनने की शक्ति में कमी के रूप में असर दिखता है । इनकी रोकथाम करके बहरापन को रोका जा सकता है।
कान अपनी सफाई खुद करता है –
डीपीएम सरजू खान ने कहा कि कण में वैक्स जिसे सामान्य भाषा में मैल कहा जाता है, कानों को संक्रमण से बचाता है । बाहर की धूल व दूसरे महीन कण इससे चिपकने से कानों के भीतर नहीं जा पाते और कान संक्रमण से बचे रहते हैं । इसलिए कान के अंदर रूई, ईयर बड्स,तेल, तीली डालकर कान की सफाई नहीं करना चाहिए । कान अपनी सफाई खुद कर लेता है । उन्होंने कहा गंदे पानी में नहाने या तैरने से बचना चाहिए। इस अवसर पर एनसीडी कार्यक्रम के नोडल डॉ० अनुराग वर्मा, अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ० राजेश कुमार, मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ० विजित जायसवाल, डॉ० रियाजुल हक, विवेक श्रीवास्तव, पुनीत शर्मा, संतोष सिंह, बृज प्रकाश, राजकुमार महतो, सीमा कुमारी समेत समस्त ब्लाकों की स्वास्थ्य कार्यकर्ता मौजूद रही।