राष्ट्र और धर्म के लिए प्राण न्यौछावर करना भी धर्म है- आचार्य धरणीधर
*सन्तकबीरनगर।* विकास खण्ड बघौली के अन्तर्गत ग्राम सभा उतरावल में स्थित सिद्धेश्वर नाथ मन्दिर परिसर में चल रहे श्री राम कथा के पांचवें दिन आचार्य धरणीधर जी महाराज ने कहा हम सभी सनातनी जन है और हम सब का कर्तव्य बनता है कि अपने राष्ट्र अपने गौरव अपनी प्रत्येक संस्कृति संस्कार और राष्ट्र की रक्षा हमको अवश्य करना चाहिए क्योंकि राष्ट्रधर्म सनातन धर्म ही हम सब सनातनी जनों की मूल पूंजी है। जब जब हमने अपना धर्म और राष्ट्र का गौरव खोया है हम सबको पराधीनता देखना पढ़ी है। इसलिए आओ हम सब मिलकर अपने धर्म राष्ट्र की सेवा और रक्षा करें आचार्य धरणीधर जी महाराज ने कहा श्री राम के आदर्शों के साथ सभी लोग सीता माँ के व्यक्तित्व से सीख लेने की आवश्यकता है। कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि राजा जनक के दरबार में जब राम-लक्ष्मण दोनों भाई पहुंचे तो मिथिलावासी आश्चर्य चकित हो गए। सीता की सखियां तरह-तरह की बातें कर रही थी। क्योंकि सीता के विवाह के लिए धनुष तोड़ने की शर्त रखी गई थी। बड़े-बड़े योद्धा धनुष को तोड़ने के लिए आए थे, पर धनुष को हिला भी नहीं सके। गुरु से आज्ञा लेकर जब भगवान रामचंद्र जी धनुष के पास गए तो आसानी से उठ गया। आचार्य धरणीधर जी महाराज ने कहा धरती माता खुद नीचे हो गई और रामचंद्र जी ने बड़ी ही आसानी से एक ही झटके में धनुष को तोड़ दिया। धनुष टूटते ही सीता सहित पूरे मिथिला वासी प्रफुल्लित हो उठे। हर तरफ जयश्रीराम के जयघोष की गूंज सुनाई पड़ी। पंडाल में उपस्थित श्रोता भी खुशियों से झूम उठे। इसके बाद राम-सीता के विवाह का वर्णन किया। इस अवसर पर दैनिक यजमान के रूप में रंग नाथ राय राय,अमित राय,अर्जुन पाण्डेय वृन्दावन राय, शुशील राय,बद्री राय,अजय द्विवेदी, बब्लू पाण्डेय,संजय मिश्र,बृजेश सिंह,जयशंकर पाण्डेय,आचार्य सचिदानंद मिश्र,सुभाष चन्द्र पाण्डेय,दुर्गा राय,बीर बहादुर राय उर्फ भीम राय,घनश्याम राय समेत तमाम लोगों मौजूद रहे।