उत्तराखंड

उत्तरकाशी में सुरंग से श्रमिकों के बाहर निकलते ही जश्न में डूबे लोग, लगाए नारे

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूर मंगलवार की रात जैसे ही सुरंग से बाहर निकले, देशवासियों ने राहत की सांस ली। सुरंग से निकले कुछ श्रमिकों के चेहरों पर मुस्कान थी तो कुछ के चेहरे 17 दिन की परेशानियों के बाद थके हुए दिख रहे थे।

सुरंग के बाहर मौजूद लोगों ने जोरदार जयकारा लगाया और नारे गूंजने लगे। लोगों ने उन एम्बुलेंस का भी स्वागत किया जो श्रमिकों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में ले गईं, जबकि स्थानीय लोगों ने मिठाई बांटी।

क्षेत्र में डेरा डाले चिंतित श्रमिकों के रिश्तेदार भावुक थे। कई दिन की अनिश्चितता के बाद भी वे श्रमिकों के लिए एकजुट थे। मौके पर मौजूद कई लोगों ने कहा कि वे घर वापस जाकर अब दिवाली मनाएंगे, क्योंकि परिवारों पर पड़ी निराशा की छाया दूर हो गई है।

उत्तरकाशी में सुरंग के बाहर डेरा डाले हुए सुनील ने मीडिया को रुंधी आवाज में बताया कि आखिरकार, भगवान ने हमारी सुन ही ली। मेरे भाई को बचा लिया गया। मैं अस्पताल ले जाते समय एम्बुलेंस में उसके साथ हूं।

सुरंग में फंसे झारखंड के खेरबेड़ा के तीन युवकों में सुनील का भाई अनिल भी शामिल था। एक बचावकर्मी ने कहा कि सभी ठीक और स्वस्थ हैं। मैंने उनमें से कुछ से बात की है।

ओडिशा के मयूरभंज जिले में धीरेन और बेनुधर के एक रिश्तेदार ने कहा कि यह उनके लिए एक नए जन्म की तरह है। उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती के छह श्रमिकों के परिवारों ने घर के चारों ओर मोमबत्तियां और दीपक जलाए।

मिर्जापुर के रहने वाले अखिलेश की मां अंजू ने कहा कि अब हम दिवाली मनाएंगे क्योंकि मेरा बेटा सुरक्षित है। श्रमिकों के सुरक्षित निकलने के बाद कुछ लोगों ने ‘भारत माता की जय’ और ‘मोदी है तो मुमकिन है’ जैसे नारे लगाए।

स्थानीय लोगों ने भी देवता ‘बाबा बौखनाग’ की स्तुति में गीत गाए और उनके प्रति अपना आभार व्यक्त किया। सुरंग स्थल पर स्थापित बाबा बौखनाग के अस्थायी मंदिर के पुजारी वहां पहुंचे और पूजा-अर्चना की। पुजारी राम नारायण अवस्थी ने कहा कि यह बाबा बौखनाग के आशीर्वाद से हो रहा है।

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