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मन की बात: PM मोदी बोले- आपातकाल में न केवल संविधान की हत्या की गई, बल्कि न्यायपालिका को भी गुलाम बनाने का इरादा था

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि आपातकाल के दौरान न केवल संविधान की हत्या की गई बल्कि न्यायपालिका को भी गुलाम बनाये रखने का इरादा था। पीएम मोदी ने आकाशवाणी पर अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’की 123 वीं कड़ी में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आपातकाल बहुत बड़ा संकट था जिसका देश की जनता ने जन भागीदारी से सामना किया।

उन्होंने कहा,“ देश पर आपातकाल थोपे जाने के 50 वर्ष कुछ दिन पहले ही पूरे हुए हैं। देशवासियों ने ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाया है। हमें हमेशा उन सभी लोगों को याद करना चाहिए, जिन्होंने आपातकाल का डटकर मुकाबला किया था। इससे हमें अपने संविधान को सशक्त बनाए रखने के लिए निरंतर सजग रहने की प्रेरणा मिलती है।”

पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई और अटल बिहारी वाजपेई और पूर्व उप प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम के वक्तव्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि आपातकाल के दौरान संविधान की हत्या की गयी। उन्होंने कहा कि यह न्यायपालिका को गुलाम बनाये रखने का इरादा था। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस दौरान लोगों को बड़े पैमाने पर प्रताड़ित किया गया था। इसके ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जिन्हें कभी भी भुलाया नहीं जा सकता।

उन्होंने कहा,“ जॉर्ज फर्ना साहब को जंजीरों में बांधा गया था। अनेक लोगों को कठोर यातनाएं दी गईं। ‘मीसा’ के तहत किसी को भी ऐसे ही गिरफ्तार कर लिया जाता था। छात्रों को भी परेशान किया गया। अभिव्यक्ति की आजादी का भी गला घोंट दिया गया।”

पीएम मोदी ने कहा कि उस दौर में हजारों लोग गिरफ्तार किए गए और अमानवीय अत्याचार हुए। लेकिन ये भारत की जनता झुकी और टूटी नहीं तथा लोकतंत्र के साथ कोई समझौता उसने स्वीकार नहीं किया। अंत में जनता की जीत हुई और आपातकाल हटा लिया गया तथा आपातकाल थोपने वाले हार गए।

सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से 95 करोड़ लोग लाभान्वित हो रहे हैं

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि करीब 95 करोड़ लोग किसी न किसी सामाजिक सुरक्षा योजना से लाभान्वित हो रहे हैं, जबकि 2015 तक सरकारी योजनाएं 25 करोड़ से भी कम लोगों तक पहुंची थीं। मोदी ने अपने मासिक ‘मन की बात’ रेडियो प्रसारण में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की एक रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि भारत की 64 प्रतिशत से अधिक आबादी को किसी न किसी रूप में सामाजिक सुरक्षा लाभ मिल रहा है।

मोदी ने कहा, “फिलहाल भारत की अधिकांश आबादी किसी न किसी रूप में सामाजिक सुरक्षा लाभ उठा रही है और हाल ही में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की एक बहुत ही महत्वपूर्ण रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि भारत की 64 प्रतिशत से अधिक आबादी अब निश्चित रूप से किसी न किसी प्रकार के सामाजिक सुरक्षा लाभ का लाभ उठा रही है।”

उन्होंने कहा कि सामाजिक सुरक्षा के मामले में ये दुनिया की सबसे बड़ी कवरेज में से एक है। मोदी ने कहा, “आज देश के लगभग 95 करोड़ लोग किसी-न-किसी सामाजिक सुरक्षा योजना का लाभ पा रहे हैं, जबकि, 2015 तक 25 करोड़ से भी कम लोगों तक सरकारी योजनाएं पहुँच पाती थीं।’’

उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य से लेकर सामाजिक सुरक्षा तक, देश हर क्षेत्र में परिपूर्णता की भावना के साथ आगे बढ़ रहा है। मोदी ने कहा, “यह सामाजिक न्याय की भी एक बेहतरीन तस्वीर है। इन सफलताओं ने यह विश्वास जगाया है कि आने वाला समय और भी बेहतर होगा; भारत हर कदम पर और भी मजबूत होगा।”

प्रधानमंत्री मोदी ने विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा भारत को ‘ट्रेकोमा’ मुक्त घोषित किए जाने को भी “उल्लेखनीय उपलब्धि” बताया और इस सफलता के लिए स्वास्थ्य कर्मियों के प्रयासों की सराहना की। ट्रेकोमा एक अत्यधिक संक्रामक जीवाणु संक्रमण है, जो दृष्टिहीनता का एक प्रमुख कारण रहा है। मोदी ने अपने कार्यक्रम में विभिन्न धार्मिक यात्राओं पर जाने वाले सभी भाग्यशाली श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं भी दीं।

उन्होंने कहा, “मैं उन लोगों की भी सराहना करता हूं जो सेवा की भावना के साथ इन यात्राओं को सफल व सुरक्षित बनाने में लगे हुए हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि पूरे भारत में व्यक्ति और समुदाय परिवर्तन के उत्प्रेरक बन रहे हैं। मोदी ने कहा कि संरक्षण के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता न केवल प्रकृति की बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य की भी रक्षा कर रही है। प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि वियतनाम के लोगों ने “भगवान बुद्ध के अवशेषों के दर्शन” की सुविधा प्रदान करने के लिए भारत के प्रति गहरा आभार जताया है।

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