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जनपद में शुरू होगा विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण अभियान जिला निर्वाचन अधिकारी ने राजनैतिक दलों के साथ की बैठक

विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण का उद्देश्य सभी पात्र नागरिकों के नाम मतदाता सूची में सम्मिलित करना तथा मतदाता सूची को पूर्णतः त्रुटि रहित करना

🔶 जिन लोगों के नाम 2003 की मतदाता सूची में शामिल हैं उन्हें नहीं देने होंगे कोई दस्तावेज

 

🔶 चार नवम्बर से चार दिसम्बर तक चलेगा डोर टू डोर सर्वे

 

ख्वाजा एक्सप्रेस संवाददाता 

बरेली। जिला मजिस्ट्रेट/जिला निर्वाचन अधिकारी अविनाश सिंह की अध्यक्षता में आज निर्वाचक नामावलियों का विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण हेतु राजनैतिक दलों के साथ बैठक कलेक्ट्रेट स्थित सभागार में सम्पन्न हुई। बैठक में जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि 1951 से अब तक 08 बार  निर्वाचक नामावलियों का गहन पुनरीक्षण में हो चुका है, इसके पहले विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण वर्ष 2003 में हुआ था। लगभग 22 वर्ष के अंतराल के बाद पुनः भारत निर्वाचन आयोग के आदेशों के क्रम में गहन पुनरीक्षण कार्य किया जा रहा है। लम्बी समयावधि में लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर पलायन कर जाते हैं या बेटियों का विवाह होने पर वे अन्यत्र शिफ्ट हो जाती है या कुछ मतदाताओं की मृत्यु हो जाती है, ऐसे लोगों का नाम जहां वर्तमान निवासी हैं वहां भी और जहां के पूर्व निवासी हैं वहां भी मतदाता सूची में सम्मिलित रहता है। अतः ऐसे लोगों का सर्वे कर एक ही स्थान पर नाम मतदाता सूची में रहे इस हेतु गहन पुनरीक्षण किया जाएगा।

भारत निर्वाचन आयोग के दिशा निर्देश के अनुक्रम में विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण (Special Intensive Revision-SIR) देश के 12 राज्यों में कराने का निर्णय लिया है। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश भी शामिल है। यह पुनरीक्षण आयोग द्वारा जारी किये गये दिशा-निर्देशों और समय-सारणी के अनुसार आयोजित किया जायेगा। इस विशेष प्रगाढ पुनरीक्षण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी पात्र नागरिकों के नाम मतदाता सूची में सम्मिलित हों और कोई भी अपात्र सूची में ना हो। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा दिये गये निर्देशों के अनुरूप किसी भी मतदेय स्थल पर 1200 से अधिक मतदाता न हों, इसके लिए मतदेय स्थलों के सत्यापन एवं सम्भाजन की प्रक्रिया भी इस दौरान पूर्ण की जायेगी।

जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि आयोग के निर्देशानुसार विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण में राजनैतिक दलों की सहभागिता बढ़ाने तथा उनका सक्रिय सहयोग प्राप्त करने हेतु आयोग द्वारा बूथ लेविल ऐजेन्ट्स की व्यवस्था बनायी गयी है ताकि उन्हें जनता तथा बीएलओ को सहयोग करने का पूरा मौका मिल सके। अतः समस्त उपस्थित राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों से अनुरोध है कि जनपद बरेली की समस्त नौ विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में बूथवार या मतदान केन्द्रवार अपना बीएलए नियुक्त करते हुए उसकी विधानसभावार सूची की प्रति जिला निर्वाचन कार्यालय तथा सम्बन्धित निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी के कार्यालय में उपलब्ध करा दें। प्रत्येक बीएलए प्रतिदिन 50 फार्म पूर्ण रुप से भरकर बीएलओ के माध्यम से भी जमा करा सकते हैं। बैठक में अपर जिलाधिकारी(वि/रा)/उप जिला निर्वाचन अधिकारी संतोष कुमार सिंह ने जानकारी दी कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी कार्यक्रम के अनुसार सर्वप्रथम 28 अक्टूबर से 03 नवम्बर 2025 तक विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण (SIR) से संबंधित तैयारी, प्रशिक्षण एवं गणना प्रपत्रों का मुद्रण किया जायेगा, 04 नवम्बर से 04 दिसम्बर 2025 तक बीएलओ द्वारा घर-घर जाकर गणना प्रपत्रों का मतदाताओं को वितरण किया जायेगा एवं प्रपत्रों को भरवाकर प्राप्त किया जायेगा। 09 दिसम्बर 2025 को आलेख्य मतदाता सूची का प्रकाशन होगा। दावे और आपत्तियां दाखिल किये जाने की अवधि 09 दिसम्बर, 2025 से 08 जनवरी, 2026 तक होगी। नोटिस जारी किये जाने, सुनवाई एवं सत्यापन व दावे और आपत्तियों का निस्तारण एवं गणना प्रपत्रों पर निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी द्वारा निर्णय किये जाने की अवधि 09 दिसम्बर 2025 से 31 जनवरी 2026 तक होगी तथा 07 फरवरी 2026 को अन्तिम मतदाता सूची का प्रकाशन किया जाएगा।

बीएलओ द्वारा घर-घर जाकर गणना कार्य के दौरान मतदाताओं के सत्यापन के लिए निम्न बातों को ध्यान में रखा जाएगा कि मतदाता का जन्म भारत में 01.07. 1987 के पूर्व हुआ है तो ऐसे मतदाताओं को जिनका नाम 2003 की मतदाता सूची में है तो ऐसे मतदाता का केवल गणना प्रपत्र भरवाना है और दस्तावेजों के रूप में केवल 2003 की मतदाता सूची को साक्ष्य के रूप में मान्य होगी। मतदाता का जन्म भारत में 01.07.1987 से पूर्व हुआ है किन्तु 2003 की मतदाता सूची में नाम नहीं है, तो ऐसे मतदाताओं को जन्म तिथि या जन्म स्थान को प्रमाणित करने के लिए निम्न में से कोई भी दस्तावेज उपलब्ध करायेंगे। मतदाता का जन्म भारत में 01.07.1987 से 02.12.2004 के बीच हुआ है तो उन्हें अपना स्वयं का व अपने माता या पिता का जन्म तिथि या जन्म स्थान को प्रमाणित करने के लिए सूची में अंकित कोई भी दस्तावेज उपलब्ध करायेंगे। यदि माता या पिता का 2003 की मतदाता सूची में नाम है तो उन्हें माता या पिता का कोई दस्तावेज उपलब्ध कराने की आवश्यकता नहीं है, 2003 की मतदाता सूची ही साक्ष्य के रूप में मान्य रहेगी। मतदाता का जन्म भारत में 02.02.2004 के बाद हुआ है तो उन्हें अपने स्वयं का जन्म तिथि या जन्म स्थान का प्रमाण पत्र एवं माता या पिता में से एक का जन्म तिथि और जन्म स्थान को प्रमाणित करने के लिए सूची में अंकित कोई भी दस्तावेज उपलब्ध करायेगे। यदि माता या पिता का 2003 की मतदाता सूची में नाम है तो उन्हें माता या पिता का कोई दस्तावेज उपलब्ध कराने की आवश्यकता नहीं है, 2003 की मतदाता सूची ही साक्ष्य के रूप में मान्य रहेगी। जिन लोगों के नाम 2003 की मतदाता सूची में नहीं है वह निम्न दस्तावेजों में से कोई भी एक गणना प्रपत्र के साथ उपलब्ध करा सकते है- किसी भी केन्द्रीय/राज्य/सार्वजनिक उपक्रम के नियमित कर्मचारी/पेंशनभोगी का जारी किया गया कोई पहचान पत्र/पेंशन भुगतान आदेश, 01.07.1987 से पहले सरकार/स्थानीय प्राधिकरणों/बैंकों/डाकघर /एलआईसी /सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा भारत में जारी किया गया कोई भी पहचान पत्र/प्रमाण पत्र अभिलेख, सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, मान्यता प्राप्त बोर्ड/विश्वविद्यालयों द्वारा जारी मैट्रिकुलेशन /शैक्षणिक प्रमाण पत्र, सक्षम राज्य प्राधिकारी द्वारा जारी स्थायी निवास प्रमाण पत्र, वन अधिकार प्रमाण पत्र, सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी ओबीसी/एससी/ एसटी या कोई भी जाति प्रमाण पत्र, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (जहाँ भी हो), राज्य/ स्थानीय प्राधिकारियों द्वारा तैयार किया गया परिवार रजिस्टर, सरकार द्वारा जारी कोई भी भूमि/मकान आवंटन प्रमाण पत्र। आधार के लिए आयोग के पत्र संख्या 23/ 2025-ईआरएस/खंड ॥ दिनांक 09.09.2025 (अनुलग्नक ॥) द्वारा जारी निर्देश लागू होंगे तथा बिहार एसआईआर की मतदाता सूची का अंश 01.07.2025 की संदर्भ तिथि के अनुसार है। बैठक अवगत कराया गया कि एसआईआर हेतु 2003 की मतदाता सूची को आधार माना गया है क्योंकि 2003 में गहन पुनरीक्षण कार्य हुआ था। सामान्य निवासी यदि छः माह से जनपद में निवास है तो वह अपना नाम मतदाता सूची में जुड़वा सकता है लेकिन उसे अपने मूल निवास जनपद से अपना नाम हटवाना होगा। दो जनपदों की मतदाता सूची में व्यक्ति का नाम नहीं होना चाहिए। जैसे- नगरीकरण के दौर में बहुत से लोग शहरों में रहने लगे और नगर की मतदाता सूची में नाम शामिल करा लिया लेकिन ग्रामीण क्षेत्र की मतदाता सूची में भी नाम शामिल है, उसे हटवाया नहीं गया है। बैठक में अपर जिलाधिकारी(वित्त/राजस्व) उप जिला निर्वाचन अधिकारी संतोष कुमार सिंह, नगर मजिस्ट्रेट अलंकार अग्निहोत्री, एसीएम, उपजिलाधिकारी सदर, राजनैतिक दलों के प्रतिनिधि सहित सम्बंधित अधिकारीगण उपस्थित रहे।

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