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बिजली व्यवस्था के निजीकरण पर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं: उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने बुधवार को राज्य विधानसभा में स्पष्ट किया कि बिजली व्यवस्था के निजीकरण को लेकर सरकार ने अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है और जो भी फैसला होगा, वह जनता के व्यापक हितों को ध्यान में रखकर लिया जाएगा। शर्मा ने प्रश्नकाल के दौरान समाजवादी पार्टी (सपा) की सदस्य रागिनी सोनकर द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब में कहा कि सरकार इस मुद्दे पर सभी पहलुओं पर विचार कर रही है, लेकिन फिलहाल कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है।

उन्होंने कहा, “जहां तक (बिजली व्यवस्था के)निजीकरण की बात है, मैंने पहले भी स्पष्ट किया है कि इस पर अभी अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। जो भी निर्णय होगा, वह राज्य की जनता के व्यापक हित में, सभी वर्गों को बेहतर बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया जाएगा।” ऊर्जा मंत्री ने अदाणी समूह से महंगी दरों पर बिजली खरीदे जाने के आरोपों पर भी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “वर्ष 2014 में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। उस समय टीएसके महानदी के साथ अनुबंध किया गया था और हमारी सरकार की तुलना में उस समय प्रति यूनिट एक रुपये से अधिक महंगी बिजली खरीदी गई थी। सोचिए, 11 साल पहले ही दर छह रुपये 25 पैसे प्रति यूनिट थी।”

शर्मा ने दावा किया कि 2017 में भारतीय जनता पार्टी नीत सरकार के सत्ता में आने के बाद राज्य के बिजली उत्पादन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, “यदि हम आपके (सपा) और उससे पहले कांग्रेस के शासनकाल को भी जोड़ लें, तो1947 से 2017 तक यानी 70 वर्षों में राज्य सरकार के उपक्रमों का कुल बिजली उत्पादन 5,878 मेगावाट था। इसे बढ़ाकर हमने 11,760 मेगावाट कर दिया है।”

सपा विधायक रागिनी सोनकर से मुखातिब होते हुए ऊर्जा मंत्री ने कहा, “इतनी बातें कहने के बाद जब मैं उनसे पूछता हूं कि बहन जी, बिजली कैसी आ रही है तो वह कहती हैं कि बिजली तो अच्छी आ रही है। फिर सवाल यह है कि आपको तकलीफ कहां है।” उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “मैं माननीय वित्त मंत्री से निवेदन करूंगा कि अगर कोई ऐसा चश्मा हो जिससे बिजली दिखाई दे सके, तो उसे माननीय सामने वाले सदस्यों (विपक्ष) को संस्तुत कर दें।”

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