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कांग्रेस के साथ से सपा को यूपी में मिली अब तक की सबसे बड़ी जीत, 37 सीटों के साथ वोट प्रतिशत भी 33% हुआ

लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2024 के रिजल्ट आने के बाद सपा और कांग्रेस का मनोबल बढ़ा हुआ है. दोनों ही पार्टियों के नेता इस गठबंधन को लेकर काफी उत्साहित हैं. साथ ही उनका मानना है कि यह गठबंधन 2027 में भी कमाल करेगा. दरअसल, कांग्रेस के साथ ने सपा के उस नुकसान की भरपाई कर दी है, जो उसने 2019 के चुनाव में उठाया था.

2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन कर चुनाव लड़ा था. चुनाव परिणाम में सपा को मात्र 5 सीटों पर संतोष करना पड़ा था और बहुजन समाज पार्टी को सहयोगी पार्टी से दोगुनी यानी 10 लोकसभा सीटों पर सफलता प्राप्त हुई थी. तब यह बात सामने आई थी कि अखिलेश को बसपा से गठबंधन करना नुकसान उठाने जैसा रहा और सपा को इसका खामियाजा उठाना पड़ा था. इसके पीछे यह बात सामने आई कि समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों को बहुजन समाज पार्टी का वोट बैंक नहीं मिल पाया था. जबकि समाजवादी पार्टी का कोर वोटर मुस्लिम और यादव बसपा के प्रत्याशियों की तरफ खुल कर गया. यही कारण था कि बसपा की सीटों की संख्या 10 तक जा पहुंची, लेकिन सपा को खामियाजा उठाना पड़ा. उसे मात्र पांच सीटों पर ही संतोष करना पड़ा.

हो गई नुकसान की भरपाई

अब 2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बसपा से दूरी बनाए रहे और कांग्रेस से गठबंधन किया. इससे 2019 के लोकसभा चुनाव में हुए नुकसान की भरपूर भरपाई हो गई. समाजवादी पार्टी को उत्तर प्रदेश के इतिहास में अब तक सबसे ज्यादा लोकसभा सीट जितने में सफलता मिली है. सपा को 37 सीटें जबकि कांग्रेस पार्टी को 6 सीटें मिली हैं. यह जीत अब तक की सपा के लिए गठबंधन राजनीति की बड़ी जीत बताई जा रही है. वोट परसेंटेज की बात की जाए तो 2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को 33% से अधिक वोट प्राप्त हुए हैं. यह समाजवादी पार्टी के लिए बहुत बड़ी सियासी सफलता के रूप में माना जा रहा है. इससे पहले समाजवादी पार्टी को कभी इतनी बड़ी जीत नहीं मिल पाई.

हिट रहा अखिलेश का जातीय समीकरण

अखिलेश यादव ने प्रत्याशियों के चयन के समय जाति समीकरण पर सबसे ज्यादा फोकस किया और कुर्मी, मौर्य, शाक्य जैसी बिरादरी से आने वाले नेताओं को ज्यादा मात्रा में टिकट दिया. अखिलेश यादव की यह सियासी रणनीति इतनी सफल हुई कि समाजवादी पार्टी सरपट दौड़ने लगी. अखिलेश यादव के पिछड़े, दलित अल्पसंख्यक फार्मूले, राहुल गांधी का साथ, आरक्षण, संविधान, बेरोजगारी जैसे मुद्दे को लेकर चुनाव लड़ने की यह रणनीति इतनी कारगर साबित हुई कि देश की सबसे बड़ी तीसरी पार्टी समाजवादी पार्टी बन गई. भारतीय जनता पार्टी सबसे ज्यादा सीट लाकर नंबर एक पर रही. कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही.

2004 में सपा ने जीती थीं 35 सीटें लेकिन वोट परसेंट 26 ही रहा

इस चुनाव में सपा ने 37 सीटें जीतने में कामयाब रही. समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के समय भी लोकसभा चुनाव में सपा ने इतना शानदार प्रदर्शन नहीं किया था. सपा को को 33% से अधिक वोट मिले हैं, जिसकी वजह से समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक सीट जीतने में सफल रही है. इससे पहले 2019 में बीएसपी के साथ होने के बाबजूद वोट ट्रांसफर नहीं हुआ था. 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी को 35 सीटें जीतने में सफलता मिली थी और उस समय उसे मात्र 26 पर्सेंट वोट ही मिले थे. 2022 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो समाजवादी पार्टी को 32% वोट मिले थे.

सपा से जुड़े समाजवादी पार्टी से जुड़े नेताओं का कहना है कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी के बीच गठबंधन की डोर आगे भी जुड़ी रहेगी और 2027 के विधानसभा चुनाव में दोनों दल मिलकर चुनाव मैदान में उतरेंगे और भारतीय जनता पार्टी का सत्ता से सफाया करेंगे.

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