
बिहार: नीतीश कुमार की अगुवाई में राजग यानी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA)ने बिहार में चुनाव लड़ा है। राजग में जनता दल-यूनाइटेड (जदयू), भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), हिंदुस्तान अवामी मोर्चा (हम) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) शामिल हैं। बिहार मतदान संपन्न होने के बाद से आये सभी एग्जिट पोल में राजग को जीत का बड़ा दावेदार बताया जा रहा है, जिससे राजग में उत्साह भर दिया है, लेकिन राज्य की 243 विधानसभा सीटों पर हुये मतदान की असल तस्वीर 14 नवंबर को सामने आयेगी। वहीं एग्जिट पोल के नतीजों को महागठबंधन ने सिरे से खारिज कर दिया। बिहार विधानसभा चुनाव में मतदान की समाप्ति के बाद आये संभावित परिणामों के सर्वे ने अटकलों के बाजार को गर्म जरूर किया है, लेकिन पिछला इतिहास कहता है कि लोकतंत्र की जननी के मतदाताओं का मिजाज भांपने में अक्सर चूक जाते हैं, ‘एग्जिट पोल’।
बिहार चुनाव में ‘एक्जिट पोल’ के नतीजों के बाद जहां बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने इसे उम्मीद के अनुसार बताया, वहीं महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव ने विगत वर्षों में हुए बंगाल और झारखंड के चुनाव के समय ‘एग्जिट पोल’ के झूठे होने का उदाहरण दिया और कहा कि आज का मीडिया सत्ता की गोद मे बैठा हुआ है और गृहमंत्री के निर्देश पर आंकड़े जारी करता है।
बिहार के पूर्व मंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता सुरेश पासवान ने कहा कि बिहार के बाहर भी हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावों में ‘एग्जिट पोल’ गलत साबित हुए थे। उन्होंने कहा कि इसके पहले हुए 2015 और 2020 के बिहार विधानसभा के चुनाव में भी सर्वे विश्वसनीय के पैमाने पर खरे नही उतरे थे। लोकतंत्र की जननी बिहार के मतदाताओ के मिजाज को समझना इतना आसान नही होता है और पूरे देश में सबसे ज्यादा गलत साबित होने वाले ‘ओपिनियन पोल’ इसी प्रदेश के नतीजों को ले कर रहे हैं। सन् 2000 से सन् 2020 के बीच बिहार में हुए 56% चुनावी सर्वे के नतीजे पूरी तरह ग़लत साबित हुए। यानी सर्वे के नतीजे और चुनाव के वास्तविक नतीजे में कोई मेल नहीं था, लेकिन 44% सर्वेक्षणों के नतीजे चुनाव के वास्तविक नतीजे के आसपास रहे, यानी व्यापक तौर पर सही साबित हुए।
नीतीश कुमार भले ही 20 वर्षों से सत्ता का स्वाद चख रहे हैं, लेकिन 2010 में आये विधानसभा नतीजों को छोड़ दें तो बिहार में पक्ष और विपक्ष के बीच लगातार जद्दोजहद जारी है। चुनाव के दौरान बढ़े हुए मतदान प्रतिशत के लिए विभिन्न पक्षों के अपने अपने दावे देखने को मिलते हैं और सभी दल बढ़े हुए मतदन में अपना फायदा बताते रहे हैं। लेकिन बिहार और अन्य राज्यों में चुनावों के नतीजे बताते हैं कि मतदान और चुनावी नतीजों के बीच शायद ही कोई संबंध होता है।
ऐसे कई चुनाव हुए हैं, जब मतदान-प्रतिशत पिछले चुनाव की तुलना में कम हुआ, लेकिन सरकारें बदलीं भी और दोबारा भी चुनी गईं, ऐसे में परिणाम में मतों के घटने का कोई सीधा संबंध स्थापित नहीं हुआ। 2020 तक विभिन्न राज्यों में हुए लगभग 332 विधानसभा चुनावों के विश्लेषण से पता चलता है कि 188 चुनावों में मतदान-प्रतिशत बढ़ा था। इनमें 89 सरकारें दोबारा चुनी गईं। इसी तरह, 144 बार मतदान-प्रतिशत घटा है और इनमें 56 सरकारें दोबारा चुनी गईं। स्पष्ट रूप से, मतदान-प्रतिशत और चुनावी नतीजों के बीच कोई मजबूत संबंध नहीं है।
बीजेपी का दावा : महिलाओं ने विकास और सुशासन को चुना
भारतीय जनता पार्टी ने बुधवार को कहा कि बिहार विधानसभा चुनावों में महिला मतदाताओं द्वारा किया गया भारी मतदान एक ‘ऐतिहासिक परिवर्तन’ था। पार्टी ने दावा किया कि महिलाओं ने विकास और सुशासन के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के पक्ष में ‘निर्णायक रूप से’ मतदान किया। भाजपा ने कहा, “2014 से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सुशासन के लिए सत्ता-समर्थक रुझान भारतीय लोकतंत्र में एक नया आयाम बन गया है, एक ऐसा चलन जो पहले कभी नहीं देखा गया।” निर्वाचन आयोग द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में कुल 66.91 प्रतिशत मतदान हुआ, जो 1951 में हुए पहले राज्य चुनावों के बाद से सबसे अधिक है। राज्य के इतिहास में इस बार सबसे ज्यादा महिला मतदाताओं ने मतदान किया।
निर्वाचन आयोग ने बताया कि छह नवंबर को हुए पहले चरण के मतदान में महिलाओं का मतदान प्रतिशत 69.04 रहा, जबकि पुरुषों का मतदान प्रतिशत 61.56 रहा। मंगलवार को हुए दूसरे और अंतिम चरण के मतदान में महिलाओं ने फिर से बड़ी संख्या में मतदान किया, जो 74.03 प्रतिशत रहा जबकि पुरुषों का मतदान प्रतिशत 64.1 रहा। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने मतदाता आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए ‘एक्स’ पर कहा, “ कुल पुरुष-महिला अनुपात महिलाओं के लिए 71.6 रहा, जबकि पुरुषों के लिए यह 62.8 रहा। महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों के मतदान प्रतिशत से 7.48 प्रतिशत अधिक रहा। दूसरे चरण में महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों के मतदान प्रतिशत से 9.93 प्रतिशत अधिक रहा।” उन्होंने कहा, “इसकी तुलना बिहार के पहले विधानसभा चुनाव (1952) से कीजिए, जब महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले छह प्रतिशत कम था। यह बदलाव ऐतिहासिक है।”
बिहार में बदलाव के लिए पड़ा वोट, महागठबंधन बनाएगा सरकार
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव ने बुधवार को दावा किया कि बिहार विधानसभा चुनाव में हुई रिकॉर्ड तोड़ मतदान से स्पष्ट है कि राज्य की जनता ने इस बार बदलाव के लिए वोट किया है। तेजस्वी ने इसके साथ ही कहा कि महागठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिलने जा रहा है और 18 नवंबर को नई सरकार शपथ लेगी। पटना में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा, “इस बार 2020 की तुलना में बिहार में 72 लाख अधिक मत पड़े हैं और यह वोट ‘परिवर्तन के पक्ष’ में पड़े हैं।’’ तेजस्वी ने कहा, ‘‘प्रदेश में 72 लाख लोगों ने नीतीश कुमार को बचाने के लिए नहीं बल्कि बिहार में बदलाव लाने और सरकार बदलने के लिए मतदान किया है। लोगों ने महागठबंधन के पक्ष में मतदान किया है और हम 18 नवंबर को शपथ लेंगे।’’
बिहार में राजग की लहर
चुनाव के एग्जिट पोल में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को बढ़त मिलने के बाद छत्तीसगढ़ के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेताओं में उत्साह का माहौल है। उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि एग्जिट पोल के रुझानों से साफ है कि बिहार की जनता ने सुशासन और विकास के पक्ष में मतदान किया है। श्री साव ने दावा किया कि राज्य में भारी बहुमत से राजग की सरकार बनने जा रही है।
बिहार में राजग को मिलेगा पूर्ण बहुमत, नीतीश ही बनेंगे मुख्यमंत्री: केशव प्रसाद मौर्य
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और बिहार के सहप्रभारी केशव प्रसाद मौर्य ने बुधवार को कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को पूर्ण बहुमत मिलेगा और बिहार के तेजस्वी और ऊर्जावान नेता नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बनेंगे। श्री मौर्य ने ‘यूनीवार्ता’ से विशेष बातचीत के दौरान बिहार को लेकर विपक्ष पर जमकर निशाना साधा। बिहार में बहुमत मिलने की दशा में नीतीश के मुख्यमंत्री बनने अथवा कोई नया चेहरा सामने लाने के सवाल पर उन्होने कहा, ” बिहार में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सहयोगी दलों के साथ मिलकर राजग गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा है। बिहार में राजग को पूर्ण बहुमत मिलेगा। बिहार की जनता ने राजग को भरपूर समर्थन दिया है और नई सरकार के मुख्यमंत्री भी नीतीश कुमार ही होंगे।”
श्री मौर्य ने कहा कि राजग 2020 से भी बड़ी जीत इस चुनाव में दर्ज करने जा रही है। बिहार की जनता ने उन लोगों को नकारने का काम किया है जिन्होंने लगातार जनता को गुमराह किया है। बिहार में तेजस्वी यादव की दाल नहीं गलने वाली है। बिहार के सह प्रभारी से जब यह पूछा गया कि तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता को लेकर सवाल उठाए हैं और यहां तक कहा है कि चुनाव आयोग मर गया है। इस सवाल के जवाब में श्री मौर्य ने कहा कि जब चुनाव में जनता ने महागठबंधन को पूरी तरह से नकार दिया है तब वो अपनी भड़ास चुनाव आयोग पर निकालने का काम कर रहे हैं। आयोग की निष्पक्षता पहले भी थी और आगे भी बनी रहेगी। इस तरह के बयानों के माध्यम से आयोग के खिलाफ माहौल बनाने की साजिश रची जा रही है।
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य ने एसआईआर के मुद्दे पर समाजवादी पार्टी (सपा) मुखिया अखिलेश यादव के मुखर होने के सवाल पर कहा कि यदि जरुरत पड़ी तो भाजपा एसआईआर को लेकर वह शीर्ष अदालत का दरवाजा भी खटखटायेगी। उन्होने चुटीले अंदाज में कहा, ” बिहार में वोटर अधिकार यात्रा निकालने के बाद उनके एक साथी बिहार चुनाव के दौरान तालाब में कूदकर मछली पकड़ रहे थे। मुझे डर है कि कहीं उनकी देखा देखी वो एसआईआर का विरोध करते-करते कुएं में न कूद जाएं।” बिहार विधानसभा चुनाव में एसआईआर मुद्दे के असर को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में श्री मौर्य ने कहा ” चुनाव में जनता ने विपक्ष के एसआईआर के गुब्बारे की हवा निकाल दी है। वहां की जनता को इनकी मंशा समझ में आ गई थी इसलिए वहां एसआईआर कोई मुद्दा नहीं बन पाया। जनता को आप ज्यादा दिन तक गुमराह नहीं कर सकते। चुनाव में बिहार की जनता ने राजग को भरपूर प्यार और समर्थन दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की नीतियों पर जनता ने मुहर लगाई है।
यह जोड़ी बिहार में हिट भी होगी और फिट भी। डबल इंजन की सरकार फिर बनेगी और पूरे बिहार में विकास की नई गाथा लिखने का सिलसिला जारी रहेगा।” दरअसल श्री मौर्य एक कार्यक्रम में शिरकत करने गुजरात पहुंचे हुए हैं। कार्यक्रम को लेकर श्री मौर्य ने कहा कि सरदार पटेल ने देश की रियासतों को एक साथ मिलाकर अखंड भारत का निर्माण नहीं किया होता तो आपको 565 देश नजर आते। उनकी दूरदर्शिता की वजह से ही देश अखंड बन पाया अन्यथा पंडित जवाहर लाल नेहरू ने तो अपनी नीतियों से सब मटियामेट कर दिया था। गौरतलब है कि बिहार विधानसभा का चुनाव समाप्त हो गया है। अब नतीजों का इंतजार है।
14 नवंबर को बिहार में मतगणना होगी और उसी दिन चुनाव परिणाम सामने आ जायेंगे। बिहार में आयोग ने दो चरणों में चुनाव सम्पन्न कराया। आयोग के दावों के मुताबिक बिहार विधानसभा चुनाव पूरी तरह से शांतिपूर्ण रहा और दोनों चरणों में काफी संख्या में मतदाताओं ने अपने घरों से निकल कर मतदान किया था।



