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गठबंधन पर बसपा को नुकसान… मायावती का बड़ा ऐलान, ‘अपने बलबूते पर लड़ेंगे UP का अगला विधानसभा चुनाव’

लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने गठबंधन के अपने पिछले अनुभवों को ‘कोई खास फायदेमंद’ नहीं बताते हुए बृहस्पतिवार को स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का अगला चुनाव अपने बलबूते पर ही लड़ेगी।

मायावती ने बसपा संस्थापक कांशीराम के 19वें परिनिर्वाण दिवस पर राजधानी में आयोजित एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि पूर्व में किये गये गठबंधनों से सिर्फ सहयोगी दलों को ही फायदा हुआ है जबकि बसपा के उनके वोट बैंक का कोई खास सहयोग नहीं मिला।

उन्होंने कहा, “अब तक के अपने अनुभव के आधार पर, मैं यह स्पष्ट करना चाहती हूँ कि जब भी हमारी पार्टी ने गठबंधन में विधानसभा चुनाव लड़ा है – खासकर उत्तर प्रदेश में – हमें कोई खास फायदा नहीं हुआ है।” मायावती ने कहा, ”जहां तक अपनी पार्टी के लिए अकेले चुनाव लड़ने का सवाल है तो अब तक का अनुभव बताता है कि देश के अन्य प्रदेशों की तरह खासकर यहां उत्तर प्रदेश में जब भी हमारी पार्टी ने विधानसभा का चुनाव गठबंधन करके लड़ा है तो पार्टी को कोई विशेष लाभ नहीं हुआ है।

क्योंकि हमारी पार्टी का वोट तो गठबंधन वाली पार्टी को एक तरफा ट्रांसफर हो जाता है लेकिन जातिवादी मानसिकता की वजह से विशेष कर अगड़ी जातियों का वोट बसपा के उम्मीदवारों को ट्रांसफर नहीं हो पाता है। वास्तव में यही हकीकत भी है, जिससे हमारी पार्टी के उम्मीदवार भी बहुत कम जीत पाते हैं. तथा पार्टी का वोट प्रतिशत भी काफी कम हो जाता है।” उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ”इसके साथ ही गठबंधन की सरकार बनने पर वह समय से पहले ही गिर जाती है। जब हम गठबंधन करके चाहे चुनाव लड़े तो वोट प्रतिशत भी कम हो जाता है।

सरकर बनाएं तो समय से पहले ही गिर जाती है। 1993 में बसपा ने सपा से गठबंधन करके उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव लड़ा था तो पार्टी केवल 67 सीटें ही जीत पाई थी। उसके बाद फिर 1996 में पार्टी ने कांग्रेस पार्टी से गठबंधन करके विधानसभा का चुनाव लड़ा था तब फिर पार्टी केवल 67 सीटें ही जीत पाई थी। सन् 2002 में पार्टी ने विधानसभा का चुनाव अकेले लड़ा था तो तब पार्टी लगभग 100 सीटें जीत गई थी।”

उन्होंने कहा, ”यहां खास ध्यान देने की बात यह है कि पार्टी इन तीनों बार गठबंधन की सरकार में अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पायी। सन 2007 में पार्टी ने फिर से अकेले विधानसभा का आम चुनाव लड़ा था तो पार्टी 200 से ज्यादा सीटें जीत गई और फिर हमने पहली बार पूरे पांच साल के लिये पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी।”

मायावती ने कहा, ”ऐसे में पार्टी द्वारा गठबंधन करके चुनाव लड़ने से या फिर गठबंधन की सरकार बनाने से यहां सर्व समाज में से खासकर गरीबों एवं बहुजन समाज के लोगों का सही से विकास और उत्थान नहीं हो सकता है। इसीलिये इस बार उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अभी तक के अनुभवों के मुताबिक हमारी पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लिया है।’

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