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छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: सुप्रीम कोर्ट ने ED को लगाई फटकार, कहा- आप बिना सबूत के लगा रहे आरोप

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीगढ़ शराब घोटाला मामले में एक आरोपी के खिलाफ ‘‘बिना किसी सबूत’’ के आरोप लगाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को सोमवार को फटकार लगाई और कहा कि यह एक चलन बन गया है। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ छत्तीसगढ़ में कथित 2,000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में अरविंद सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

पीठ ने कहा, ‘‘ईडी ने कई मामलों में यही तरीका अपनाया है। आप बिना किसी सबूत के सिर्फ आरोप लगाते हैं। अभियोजन इस तरीके से अदालत के सामने टिक नहीं पाएगा।’’ सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने आरोप लगाया कि सिंह ने विकास अग्रवाल नामक एक अन्य व्यक्ति के साथ मिलीभगत करके 40 करोड़ रुपये कमाए। जब अदालत ने पूछा कि क्या अग्रवाल को आरोपी बनाया गया है, तो राजू ने जवाब दिया कि वह फरार है।

पीठ ने कहा, ‘‘आपने एक विशिष्ट आरोप लगाया है कि उन्होंने (सिंह ने) 40 करोड़ रुपये कमाए। अब आप इस व्यक्ति का इस या किसी अन्य कंपनी से संबंध नहीं दिखा पा रहे हैं।’’ अदालत ने कहा, ‘‘आपको यह बताना चाहिए कि क्या वह उन कंपनियों के निदेशक हैं, क्या वह बहुलांश शेयरधारक हैं, क्या वह प्रबंध निदेशक हैं। कुछ तो होना ही चाहिए।’’

राजू ने कहा कि कोई व्यक्ति किसी कंपनी को नियंत्रित कर सकता है, लेकिन जरूरी नहीं कि वह कंपनी के संचालन के लिए जिम्मेदार हो। शीर्ष अदालत ने कहा कि एजेंसी बेबुनियाद आरोप लगा रही है। मामले की अगली सुनवाई नौ मई को होगी।शीर्ष अदालत ने 28 अप्रैल को छत्तीसगढ़ सरकार की खिंचाई करते हुए पूछा था कि वह राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा दर्ज शराब घोटाला मामले में आरोपी को कब तक जेल में रखेगी। अदालत ने उल्लेख किया था कि मामले में तीन आरोपपत्र दाखिल किए गए हैं और जांच अब भी जारी है।

पीठ ने मौखिक टिप्पणी में कहा था, ‘‘जांच अपनी गति से चलती रहेगी। यह अनंत काल तक चलती रहेगी। तीन आरोपपत्र दाखिल किए जा चुके हैं। आप व्यक्ति को हिरासत में रखकर एक तरह से उसे दंडित कर रहे हैं। आपने प्रक्रिया को ही सजा बना दिया है। यह कोई आतंकवादी या तिहरे हत्याकांड का मामला नहीं है।’’

राज्य सरकार ने जमानत याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा था कि आरोपी का मामले में अन्य आरोपियों के साथ आमना-सामना कराया जाएगा। आरोपी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल ने दलील दी थी कि मामले में तीन आरोपपत्र दाखिल किए जा चुके हैं और आरोप अभी तय नहीं किए गए हैं। शीर्ष अदालत ने अरविंद सिंह और अमित सिंह का पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा से आमना-सामना कराने की अनुमति दे दी और मामले की अगली सुनवाई नौ मई के लिए तय की।

प्रवर्तन निदेशालय ने आरोप लगाया है कि यह घोटाला राज्य सरकार के उच्च-स्तरीय अधिकारियों, निजी व्यक्तियों और नेताओं के एक सिंडिकेट द्वारा अंजाम दिया गया, जिसने 2019-22 में भ्रष्ट तरीके से 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि अर्जित की। धनशोधन का यह मामला 2022 में दिल्ली की एक अदालत में दाखिल आयकर विभाग के आरोपपत्र पर आधारित है।

ईडी ने आरोप लगाया कि राज्य में शराब बनाने वाली कंपनियों से सीएसएमसीएल (शराब की खरीद और बिक्री के लिए राज्य निकाय) के जरिये खरीदी गई शराब के आधार पर रिश्वत ली गई और देशी शराब की बिक्री की गई, जिसका बही खाते में कोई जिक्र नहीं था। ईडी के अनुसार, शराब कंपनियों से रिश्वत ली गई, ताकि उन्हें गिरोह बनाने और एक निश्चित बाजार हिस्सेदारी रखने की अनुमति मिल सके।

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