अकीदत के साथ मना शब बे बरात,रात जाग कर लोगो ने की इबादत

दिलीप भारती
सलेमपुर। गुनाहों से तौबा करने और निजात पाने की रात का पर्व शब-ए-बरात बृहस्पतिवार शाम से लगाए शुक्रवार भोर तक चला नगर के सभी मस्जिदों ,मदरसों मे पूरी अकीदत व एहतराम के साथ ये पर्व मनाया गया। परिवार के लोग इसकी तैयारियां बृहस्पतिवार की शाम तक पूरी कर चुके थे।
मदरसा खोरीबारी भटनी के अध्यापक हाफिज मोहम्मद सुहैल अशरफ ने कहा कि शब-ए-बरात में इबादत करने वालों के लिए जन्नत के सभी दरवाजे खोल दिए जाते हैं वहीं शब-ए-बरात की संध्या के बाद औरंगाबाद गांव के रजा जामा मस्जिद मे आयोजित मिलाद शरीफ मे शिरकत किए।
औरंगाबाद के जमा मस्जिद के पेश इमाम हाफिज मोहम्मद शरीफ ने बताया कि इस्लामी कैलेंडर के शाबान माह की 14वीं तारीख की रात को शब-ए- बरात के नाम से जाना जाता है। इसका अर्थ है छुटकारे की रात यानी अपने गुनाहों से तौबा किया जाए और उन्हें माफ कराने के लिए पूरी रात अल्लाह की इबादत में मशगूल रहना है।
जमा रजा मस्जिद के पेश इमाम मौलाना नूर मुस्तफा अशरफी ने बताया कि इस दिन मुसलमान अल्लाह का ज़िक्र कसरत से करें, क़ज़ा व नफिल नमाज़, रोज़ा, तस्बीह व क़ुरआन पाक की तिलावत करें। इस रात बंदों पर अल्लाह की खास रहमत उतरती है।
वहीं शब-ए-बरात पर विशेष व्यंजन के रूप में घरों में हलवा पूरी बनाया गया और लोग पूरी रात जागकर बुजुर्गों के मजार पर जाकर और मस्जिदों मे नफ़ील की नमाज व तहज्जुद की नमाज पढ़ कर इबादत किए।