
सुप्रीम कोर्ट में योगी सरकार की बड़ी जीत हुई है। क्यूआर कोड मामले को लेकर याचिकाकर्ता ने याचिका दाखिल की थी, उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में 2 मिनट की सुनवाई हुई। कांवड़ यात्रा शुरू हो चुकी है और 23 तारीख तक खत्म हो जाना है। लेकिन याचिकाकर्ता को इस मामले में अंतरिम राहत की उम्मीद थी। लेकिन सुनवाई की शुरुआत के समय ही उत्तराखंड सरकार और यूपी सरकार के वकील जितेंद्र कुमार सेठी ने कहा कि मामला संगीन है और हमें दो हफ्ते का वक्त चाहिए। जिसके बाद इस मामले में 22 तारीख की सुनवाई की वक्त मुकर्रर कर दी। न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया और शिक्षाविद् अपूर्वानंद झा एवं अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई 22 जुलाई के लिए स्थगित कर दी।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल भाजपा शासित उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश द्वारा जारी इसी तरह के निर्देशों पर रोक लगा दी थी, जिसमें कांवड़ यात्रा मार्गों पर स्थित भोजनालयों को अपने मालिकों, कर्मचारियों के नाम और अन्य विवरण प्रदर्शित करने के लिए कहा गया था। 25 जून को उत्तर प्रदेश प्रशासन द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति का हवाला देते हुए झा ने कहा कि नए उपायों में कांवड़ मार्ग पर सभी भोजनालयों पर क्यूआर कोड प्रदर्शित करना अनिवार्य किया गया है, जिससे मालिकों के नाम और पहचान का पता चलता है, जिससे वही भेदभावपूर्ण प्रोफाइलिंग प्राप्त होती है जिस पर पहले इस न्यायालय ने रोक लगा दी थी।
याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार का निर्देश, जिसमें स्टॉल मालिकों को कानूनी लाइसेंस आवश्यकताओं के तहत धार्मिक और जातिगत पहचान बताने के लिए कहा गया है, दुकान, ढाबा और रेस्टोरेंट मालिकों के निजता के अधिकार का उल्लंघन है। हिंदू कैलेंडर के ‘श्रावण’ माह में शिवलिंगों का ‘जलाभिषेक’ करने के लिए कई भक्त गंगा से पवित्र जल लेकर विभिन्न स्थानों से कांवड़ लेकर आते हैं। कई श्रद्धालु इस महीने में मांसाहार से परहेज़ करते हैं। कई लोग तो प्याज़ और लहसुन वाला भोजन भी नहीं खाते।