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हमें अपने संविधान पर गर्व है, देखिए हमारे पड़ोसी देशों में क्या हाल है: CJI

नई दिल्ली:  सुप्रीम कोर्ट में Presidential Reference पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई ने पड़ोसी देश नेपाल में हुई हिंसा का जिक्र किया और कहा कि हमें अपने संविधान पर गर्व है, देखिए हमारे पड़ोसी देशों में क्या हाल है, नेपाल में भी हमने देखा। चीफ जस्टिस की टिप्पणी पर जस्टिस विक्रम नाथ ने भी हामी भरी और कहा कि हां, बांग्लादेश में भी हमने यही देखा।

पांच जजों की बेंच Presidential Reference पर कर रही सुनवाई

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा विधेयकों पर स्वीकृति देने की शक्ति से संबंधित 14 प्रश्नों पर (Presidential Reference) सुनवाई कर रही है। इसी दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने पड़ोसी मुल्कों के हालात का जिक्र किया और कहा कि हमें अपने संविधान पर गर्व है। देखिए कि हमारे पड़ोसी देशों में क्या हो रहा है। नेपाल में भी हम यही देख रहे हैं। चीफ जस्टिस की इस टिप्पणी पर पांच जजों की संविधान पीठ के एक जज जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा-हां, बांग्लादेश में भी।

Presidential Reference पर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ में चीफ जस्टिस गवई के अलावा जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस ए एस चंदुरकर शामिल हैं। इससे पहले मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान कहा गया कि संवैधानिक व्यवस्था के तहत राष्ट्रपति और राज्यपाल केवल नाममात्र के प्रमुख हैं और वे केंद्र तथा राज्य दोनों में मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह पर कार्य करने के लिए बाध्य हैं।

क्या अदालतें विधेयकों पर समय-सीमा निर्धारित कर सकती हैं?

दरअसल, इस Presidential Reference में यह भी शामिल है कि क्या अदालतें राष्ट्रपति/राज्यपाल द्वारा विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए समय-सीमा निर्धारित कर सकती हैं। अनुच्छेद 143 के तहत प्रस्तुत यह Presidential Reference, तमिलनाडु के राज्यपाल मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के एक महीने बाद आया है।

क्या है Presidential Reference की प्रक्रिया

Presidential Reference वह प्रक्रिया है जिसमें भारत के राष्ट्रपति, भारत के संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत, किसी कानूनी या सार्वजनिक महत्व के मामले पर सुप्रीम कोर्ट से सलाह या राय मांगते हैं। यहां सुप्रीम कोर्ट अपनी लिखित राय राष्ट्रपति को भेजता है, लेकिन यह राय राष्ट्रपति पर बाध्यकारी नहीं होती। राष्ट्रपति कैबिनेट की सलाह पर ही इस प्रक्रिया का उपयोग करते हैं।

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