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सभी 75 जिलों में होगा ग्रोथ प्रमोटर व ऑर्गेनिक पेस्टिसाइड का इस्तेमाल, 20% तक बढ़ेगा उत्पादन

  • योगी सरकार हर जिले में पंचगव्य आधारित नवाचार से खोलेगी रोजगार के द्वार
  • गो-आधारित प्राकृतिक खेती को प्रमुखता, गोबर-गोमूत्र व जीवामृत का व्यापक स्तर पर होगा उपयोग
  • स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को सौंपी जाएगी जिम्मेदारी
  • आॅर्गेनिक बायोमास बढ़ाने के लिए जैविक/प्राकृतिक खाद का किया जाएगा इस्तेमाल
  • गो-कृषि प्रशिक्षण और जैव-खाद विपणन में बड़े पैमाने पर स्थानीय लोगों को जोड़ने की तैयारी
  • पूरे प्रदेश में राज्यव्यापी निरीक्षण कर गो सेवा आयोग ने पशुधन घनत्व, भूमि, जल-स्रोतों का लिया जायजा
  • पंचगव्य इकाइयों एवं जैव-ऊर्जा संभावनाओं का मूल्यांकन कर बनी विकास कार्यों की रणनीति

लखनऊ। प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने और जैविक कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए योगी सरकार ने एक दूरगामी योजना तैयार की है, जिसके अंतर्गत राज्य के सभी 75 जिलों में जल्द ही ग्रोथ प्रमोटर और आॅर्गेनिक पेस्टिसाइड का उपयोग शुरू किया जाएगा। पंचगव्य आधारित नवाचार को केंद्र में रखते हुए यह अभियान रोजगार, पर्यावरण संरक्षण और कृषि सुधार इन तीनों मोर्चों पर ठोस प्रभाव डालेगा। विशेषज्ञों के अनुसार, इससे फसलों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी और उत्पादन में लगभग 20% तक की वृद्धि संभावित है।

गोशालाएं बनेंगी आत्मनिर्भर, स्थानीय महिलाओं और युवाओं को मिलेगा रोजगार
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर गोबर, गोमूत्र, दूध, दही और घी से बने पंचगव्य उत्पादों के उत्पादन और विपणन को लेकर व्यापक योजना तैयार की गई है, जिसका कार्यान्वयन जल्द प्रारंभ किया जाएगा। इस योजना से जुड़कर ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगी और स्थानीय युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे।

स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को मिलेगा दायित्व
योजना के अंतर्गत प्रत्येक जिले में स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को पंचगव्य आधारित उत्पादों के निर्माण, विपणन और प्रशिक्षण की जिम्मेदारी दी जाएगी।
इसके अतिरिक्त, किसानों को विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से गो-कृषि से जोड़ा जाएगा, जिससे खेती को रसायन मुक्त और पर्यावरण अनुकूल बनाया जा सके।

राज्यव्यापी निरीक्षण के आधार पर बनी रणनीति
उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग के ओएसडी डॉ. अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि हाल ही में आयोग की ओर से राज्यव्यापी निरीक्षण कर पशुधन घनत्व, उपलब्ध भूमि, जल स्रोतों और गोशालाओं का अध्ययन किया गया। इन तथ्यों के आधार पर पंचगव्य इकाइयों और जैव ऊर्जा संभावनाओं का मूल्यांकन करते हुए एक ठोस कार्ययोजना तैयार की गई है, जिसका शीघ्र ही क्रियान्वयन आरंभ होगा।

स्थानीय स्तर पर जैविक खेती और विपणन को मिलेगा बल
गो-कृषि प्रशिक्षण के साथ-साथ ग्रोथ प्रमोटर और जैविक खाद के विपणन में स्थानीय युवाओं को जोड़ने की कार्ययोजना बनाई गई है। इससे जहां एक ओर जैविक खेती को नया प्रोत्साहन मिलेगा, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण अर्थव्यवस्था में स्थानीय रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होंगे। यह योजना न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सशक्त कदम है, बल्कि सतत ग्रामीण विकास के लिए भी एक अभिनव मॉडल सिद्ध होगी।

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