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पराली प्रबंधन में मोगा में बदलाव की मिसाल — मान सरकार के नेतृत्व में SSP और DC खेतों में सक्रिय”, पर्यावरण और जनजीवन को बचाने की पहल

चंडीगढ़। पंजाब की मिट्टी हमेशा से मेहनतकश किसानों की गवाही देती आई है। यही मिट्टी जब सुलगती है, तो आकाश धुएँ से भर जाता है , हवा तो दूषित होती है साथ साथ इस धुएं से कितनी जिंदगियां चली जाती है,पराली जलाने की वह परंपरा, जो कभी मजबूरी थी, अब बदलाव की मांग कर रही है। इसी बदलाव की मिसाल बना मोगा ज़िला, जहाँ डिप्टी कमिश्नर सागर सेतिया और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय गांधी खुद ट्रैक्टर पर सवार होकर खेतों में पहुँचे और किसानों संग धान की कटाई के बाद जुताई का प्रदर्शन किया। यह दृश्य सिर्फ एक प्रशासनिक गतिविधि नहीं थी, बल्कि एक भावनात्मक संदेश था — “पराली जलाना कोई ज़रूरी नहीं, अगर हम साथ चलें तो हर समस्या का हल बन सकता है।”उन्होंने यह सशक्त संदेश दिया कि पराली जलाना कोई मजबूरी नहीं, बल्कि एक गलत आदत है जिसे समझदारी और सहयोग से बदला जा सकता है।

मान सरकार ने बार-बार यह साबित किया है कि शासन का अर्थ केवल आदेश देना नहीं, बल्कि जनता के साथ खड़ा होना है। चाहे वह शिक्षा में सुधार हो, स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार या पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कदम — सरकार हर मोर्चे पर “लोगों के बीच से उठी आवाज़” बनकर सामने आई है। मोगा प्रशासन की यह पहल मान सरकार की उस सोच को और बल देती है कि “किसान अगर पंजाब की रीढ़ हैं, तो पर्यावरण उसकी आत्मा है।”

पराली जलाने से निकलने वाला धुआँ सड़क हादसों के लिए एक बड़ा खतरा है। हर साल उत्तर भारत में हजारों सड़क हादसे इसी धुंध के कारण होते हैं। सड़कें धुंध से लिपट जाती हैं, और कई निर्दोष लोग हादसों का शिकार बन जाते हैं। लेकिन जब किसान पराली नहीं जलाएंगे, तो न सिर्फ हवा साफ़ रहेगी, बल्कि सड़कें सुरक्षित होंगी, जानें बचेंगी। मान सरकार के मार्गदर्शन में मोगा प्रशासन की यह पहल हादसों की संख्या घटाने के साथ-साथ वायु गुणवत्ता सुधारने का भी एक ठोस प्रयास है।

यही है सच्ची सेवा जो खेत से लेकर जीवन तक को सुरक्षित बनाए। मोगा प्रशासन ने यह साबित किया है कि जब सरकार, अधिकारी और किसान एक साथ कदम बढ़ाएँ, तो कोई समस्या बड़ी नहीं रहती।आज पंजाब एक नई दिशा में बढ़ रहा है ,जहाँ खेतों में धुआँ नहीं, हरियाली होगी। जहाँ सड़कें सुरक्षित होंगी और जहाँ “मान” नाम केवल एक व्यक्ति नहीं, एक सोच बन चुका होगा।

यह कदम न केवल पर्यावरण की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है, बल्कि यह “मान सरकार” की उस सोच का भी प्रतीक है, जो ज़मीनी स्तर पर उतरकर लोगों के साथ मिलकर बदलाव लाने में विश्वास रखती है। जिस तरह भगवंत मान सरकार ने किसानों के लिए पराली प्रबंधन, फसल विविधीकरण और पर्यावरण संरक्षण को लेकर योजनाएँ लागू की हैं, उसी भावना को मोगा प्रशासन ने अपने कर्मों से साकार कर दिखाया।

जब अधिकारी खुद खेत में उतरकर किसानों का साथ दें, तो यह न केवल प्रशासनिक जिम्मेदारी का परिचय होता है, बल्कि जनभावनाओं से जुड़ाव का प्रतीक भी बन जाता है। यह दृश्य हर किसान के दिल को छू लेने वाला था — क्योंकि इसमें दिखा कि सरकार और प्रशासन सिर्फ आदेश देने वाली संस्था नहीं, बल्कि साथ चलने वाला परिवार भी है। इस पहल ने यह भावनात्मक संदेश दिया कि “धरती माँ की सेहत हमारी जिम्मेदारी है, और जब किसान और सरकार एक साथ चलें, तो हर खेत हरियाली से भर सकता है।”

अधिकारियों ने बाघा पुराना ब्लॉक के कई गाँवों का दौरा किया और पराली प्रबंधन तकनीकों का प्रदर्शन करने के लिए कटे हुए खेतों की जुताई की। डीसी सेतिया ने कहा कि जिला प्रशासन किसानों को धान के अवशेषों के प्रबंधन के वैज्ञानिक और पर्यावरण-अनुकूल तरीके अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए ठोस प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा, “हम पर्यावरण-अनुकूल कृषि मशीनरी तक आसान पहुँच सुनिश्चित कर रहे हैं ताकि उपकरणों की अनुपलब्धता के कारण कोई भी किसान पराली न जलाए।” एसएसपी अजय गांधी ने कहा कि पुलिस पराली जलाने की घटनाओं पर लगाम लगाने और संबंधित नियमों का प्रभावी ढंग से पालन सुनिश्चित करने के लिए नागरिक प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रही है।

इस वर्ष, जिले में पहले से ही उपलब्ध 4,800 मशीनों के अलावा, किसानों को लगभग 320 आधुनिक कृषि मशीनें सब्सिडी पर उपलब्ध कराई गई हैं। इसके अलावा, पराली के गट्ठरों को रखने के लिए 40 गाँवों में 62 एकड़ में भंडारण स्थल बनाए गए हैं। पराली जलाने की घटनाओं पर नज़र रखने और कार्रवाई करने के लिए, जिला प्रशासन ने 27 क्लस्टर अधिकारी और 152 नोडल अधिकारी तैनात किए हैं। ऐसे प्रयास वास्तव में “नई सोच, नया पंजाब” की ओर कदम हैं — जहाँ विकास, संवेदना और पर्यावरण तीनों का संतुलन कायम है।

यह पहल केवल पर्यावरण संरक्षण तक सीमित नहीं है। इससे जनजीवन और सार्वजनिक सुरक्षा पर भी सीधा असर पड़ता है। जब पराली न जलती है, तो सड़कें सुरक्षित रहती हैं, हादसों की संभावना घटती है और हवा साफ़ रहती है। यही कारण है कि मान सरकार की यह नीति किसानों, प्रशासन और जनता सभी के लिए लाभकारी सिद्ध हो रही है। मोगा की यह मिसाल यह साबित करती है कि जब प्रशासन किसान के साथ कदम से कदम मिलाकर चलता है, तो परिवर्तन संभव है। पराली जलाने की आदत को रोककर, हादसों को घटाकर और वातावरण को सुरक्षित रखकर मान सरकार ने दिखाया कि सुरक्षा, हरियाली और जिम्मेदारी एक साथ संभव हैं। मान सरकार के साथ मोगा SSP और DC की यह पहल,पराली प्रबंधन, हादसों में कमी और हरित भविष्य की दिशा में एक मजबूत कदम है।

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शुरू से ही यह सिद्ध किया है कि सरकार का अर्थ केवल दफ्तरों में बैठना नहीं, बल्कि जनता के बीच जाना है। पराली प्रबंधन के लिए मशीनरी सब्सिडी, वैकल्पिक फसल योजना और जागरूकता अभियान जैसी पहलों ने किसानों का भरोसा जीता है। यही असली विकास है , जब नीतियाँ कागज़ से उतरकर खेतों में उतरती हैं। “जहाँ प्रशासन मिसाल बने। मान सरकार के नेतृत्व में यह नई सोच न केवल पर्यावरण की रक्षा कर रही है, बल्कि पंजाब को एक बार फिर हरियाली और उम्मीद से भर रही है। यह सिर्फ प्रशासन की पहल नहीं , यह नए पंजाब की पहचान है।

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