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संकट में सच्चा नेतृत्व; मान सरकार बाढ़ पीड़ितों को दे रही सबसे ज़्यादा मुआवजा, देश के लिए पेश की मिसाल

चंडीगढ़। पंजाब की धरती पर एक नया अध्याय लिखा जा रहा है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सत्ता के गलियारों से निकलकर खेतों, मंडियों और गांवों का रास्ता चुना है। यह पहली बार हुआ है जब कोई मुख्यमंत्री खुद राहत कार्यों की निगरानी के लिए सीधे किसानों और मजदूरों के बीच पहुंच रहा है। यह कोई राजनीतिक प्रदर्शन नहीं, बल्कि एक नई शासन शैली की शुरुआत है।

जब बाढ़ ने पंजाब के किसानों की कमर तोड़ दी, तब CM मान ने सिर्फ घोषणाएं नहीं कीं—उन्होंने जमीन पर उतरकर हर पीड़ित का हाथ थामा। 74 करोड़ रुपये का राहत पैकेज, 2 लाख क्विंटल मुफ्त गेहूं बीज और 20,000 रुपये प्रति एकड़ का मुआवजा—ये आंकड़े नहीं, किसानों की टूटी उम्मीदों को फिर से जोड़ने का माध्यम बने।

सबसे बड़ी बात? महज 30 दिनों में यह राहत राशि किसानों के खातों में पहुंच गई—एक ऐसा रिकॉर्ड जो दशकों की सरकारी लालफीताशाही को शर्मसार करता है।

CM मान की नजर में सिर्फ बड़े किसान नहीं हैं। उनके निर्देश साफ हैं—राहत का दायरा खेतिहर मजदूरों, छोटे व्यापारियों और गरीब तबके तक फैलना चाहिए। यह समावेशी दृष्टिकोण ही असली लोकतंत्र की पहचान है।

बाढ़ प्रभावित किसानों को उनकी जमीन पर जमी रेत और सिल्ट को बेचने की छूट दी गई, वह भी नवंबर 15 तक बिना किसी सरकारी एनओसी के। यह व्यावहारिक सोच ही किसानों को आर्थिक रूप से फिर से खड़ा कर सकती है।

सोशल मीडिया पर CM मान ने खुद हर गांव के राहत कार्यों के वीडियो साझा किए और अधिकारियों के साथ मिलकर हर गतिविधि का मूल्यांकन किया। इस पारदर्शिता ने न केवल जनता का भरोसा जीता, बल्कि प्रशासन को भी जवाबदेह बनाया।

यह सरकार केवल मुआवजा बांटकर नहीं रुकी। SDRF मुआवजा बढ़ाकर 40,000 रुपये किया गया, क्षतिग्रस्त घरों के मालिकों को राहत दी गई, और किसानों को छह महीने तक कोई किश्त या ब्याज नहीं देना होगा—यह वित्तीय राहत किसी भी पिछली सरकार ने नहीं दी।

पशुधन की हानि और अन्य संपत्ति के नुकसान के लिए भी अलग से सहायता घोषित की गई। साथ ही, ग्राम से लेकर राज्य स्तर तक विशेष निगरानी टीमें बनाई गईं ताकि कोई शिकायत अनसुनी न रहे।

मान सरकार ने वादा किया है कि हर हाल में फसलों की सरकारी खरीद होगी और समय पर पूरा भुगतान मिलेगा। और इस बार, यह महज चुनावी वादा नहीं—जमीनी हकीकत बन चुका है।

आज पंजाब में राहत कार्य कागजों पर नहीं, बल्कि हर पीड़ित के जीवन में दिख रहा है। यह “जो कहा सो किया” वाली राजनीति का जीता-जागता उदाहरण है।

भगवंत मान ने साबित कर दिया है कि सरकार AC कमरों से नहीं, धूल भरी मंडियों से चलाई जा सकती है। उन्होंने संकट को अवसर में बदलकर पूरे देश के सामने एक मिसाल पेश की है—कि असली नेतृत्व वो है जो सुर्खियों से ज्यादा, जमीन पर दिखे।

पंजाब आज एक नए युग की दहलीज पर खड़ा है। एक ऐसा युग जहां सरकार और जनता के बीच की दूरी खत्म हो रही है, जहां हर वादा पूरा हो रहा है, और जहां हर किसान, मजदूर और गरीब परिवार को यकीन है—उनकी सरकार सच में उनके साथ खड़ी है।

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