योगी सरकार की बड़ी पहल : UP के 3288 विज्ञान-गणित शिक्षक बनेंगे कौशल शिक्षक, बच्चों को बनाएंगे दक्ष

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार बच्चों में रटने की प्रवृत्ति के स्थान पर अब ‘सीखो करके’ (लर्निंग बाई डूइंग) की संस्कृति विकसित करने के लिए राज्य सरकार शिक्षण पद्धति में व्यापक नवाचार लागू कर रही है।
इस क्रम में प्रदेश के 3288 विज्ञान एवं गणित अध्यापकों को कौशल-आधारित शिक्षण के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। प्रशिक्षण का उद्देश्य ऐसे शिक्षकों को तैयार करना है जो विद्यालय स्तर पर बच्चों की सीखने की प्रक्रिया को प्रयोगशाला, प्रोजेक्ट, मॉडल, गतिविधि और वास्तविक जीवन अनुभवों से जोड़कर पढ़ा सकें। यह प्रशिक्षण दो चरणों में होगा।
पहला चरण 3 नवंबर से 14 फरवरी 2026 तक दीन दयाल उपाध्याय राज्य ग्राम्य विकास संस्थान, लखनऊ में 1888 अध्यापकों के लिए तथा दूसरा चरण 16 फरवरी से 18 मार्च 2026 तक उद्यमिता विकास संस्थान, लखनऊ में 1400 अध्यापकों के लिए आयोजित होगा। आवासीय प्रारूप में होने वाला यह महाकैंप कुल 66 बैचों में संपन्न होगा।
बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने बताया कि सरकार का स्पष्ट लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में कक्षाएं ऐसी हों जहाँ ‘याद करने’ के बजाय ‘समझने, परखने और खोजने’ पर जोर दिया जाए। उन्होंने कहा कि यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी-2020) के मूल दर्शन के अनुरूप है और बच्चों को स्किल-इकोनॉमी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस युग तथा नवाचार-प्रधान भारत की आवश्यकताओं के लिए तैयार करेगी।
महानिदेशक स्कूल शिक्षा मोनिका रानी ने कहा कि विभाग का प्रयास है कि बच्चे निःसंकोच प्रश्न पूछें, विद्यालयों की प्रयोगशालाएं जीवंत हों और शिक्षक हर विद्यार्थी में सोचने की शक्ति जगाने का माध्यम बनें। उन्होंने कहा कि यही भविष्य के उत्तर प्रदेश की बुनियादी शिक्षा व्यवस्था की नई पहचान होगी।
वहीं शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि जब बच्चा खुद प्रयोग करता है, वस्तुओं से खेलते हुए सीखता है, प्रश्न पूछता है और समाधान खोजता है, तो उसकी जिज्ञासा, तार्किक सोच, वैज्ञानिक दृष्टि और समस्या-समाधान क्षमता कई गुना बढ़ जाती है। यही ‘लर्निंग बाय डूइंग’ की सबसे बड़ी शक्ति है, जो बच्चों को निष्क्रिय श्रोता से सक्रिय शिक्षार्थी में बदल देती है।



