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इन्वेस्ट यूपी को केंद्रित संस्था के रूप में विकसित करना मकसद : सीएम योगी

लखनऊ। इन्वेस्ट यूपी के पुनर्गठन प्रस्ताव को मंजूरी देते हुये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को कहा कि पुनर्गठन का उद्देश्य इन्वेस्ट यूपी को अधिक कार्यकुशल, विशेषज्ञता-आधारित और निवेशक-केंद्रित संस्था के रूप में विकसित करना है। सीएम योगी की अध्यक्षता में सोमवार को सम्पन्न इन्वेस्ट यूपी शासी निकाय की पहली बैठक में इन्वेस्ट यूपी के पुनर्गठन प्रस्ताव को मुख्यमंत्री ने स्वीकृति दी। नए ढांचे के तहत टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल एवं इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, केमिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स और सर्विस सेक्टर जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञ सेल गठित किए जाएंगे। साथ ही मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई और नई दिल्ली में सैटेलाइट इन्वेस्टमेंट प्रमोशन ऑफिस स्थापित किए जाएंगे, जिनके माध्यम से घरेलू और वैश्विक निवेशकों से सीधा संवाद स्थापित कर उत्तर प्रदेश में निवेश को प्रोत्साहित किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि इन कार्यालयों के संचालन में पारदर्शिता, दक्षता और परिणामोन्मुखी दृष्टिकोण सुनिश्चित किया जाए। उन्होने कहा कि पुनर्गठन का उद्देश्य इन्वेस्ट यूपी को अधिक कार्यकुशल, विशेषज्ञता-आधारित और निवेशक-केंद्रित संस्था के रूप में विकसित करना है। बैठक में 11 महाप्रबंधक/सहायक महाप्रबंधक पदों पर कार्योत्तर स्वीकृति दी गई।

साथ ही, दो संयुक्त मुख्य कार्यपालक अधिकारी (पीसीएस संवर्ग) को प्रतिनियुक्ति पर तैनात करने तथा भूमि बैंक प्रकोष्ठ गठित करने का निर्णय लिया गया, जिसमें दो पीसीएस अधिकारी (उपजिलाधिकारी/अपर जिलाधिकारी स्तर) तैनात होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि नया ढांचा इन्वेस्ट यूपी को एक ‘एकल निवेश सुविधा एजेंसी’ के रूप में सशक्त बनाएगा, जो न केवल निवेश आकर्षित करेगी बल्कि परियोजनाओं के क्रियान्वयन तक उनकी सक्रिय निगरानी भी सुनिश्चित करेगी।

उन्होंने निर्देश दिया कि इस ढांचे को त्वरित प्रभाव से लागू किया जाए और प्रत्येक प्रकोष्ठ का कार्यक्षेत्र स्पष्ट रूप से परिभाषित हो, ताकि निवेश संवर्धन की दिशा में समन्वित और परिणामोन्मुख व्यवस्था विकसित हो सके। बैठक में बताया गया कि बीते कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश ने औद्योगिक क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है।

वर्ष 2024-25 में लगभग 4,000 नई फैक्ट्रियाँ स्थापित हुईं, जिससे कुल संख्या लगभग 27,000 तक पहुँच गई है। वर्ष 2022-23 तक प्रतिवर्ष औसतन 500 नई इकाइयाँ स्थापित हो रही थीं, जिनमें अब कई गुना वृद्धि दर्ज की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह उपलब्धि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के ‘रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म’ मंत्र के सफल क्रियान्वयन से राज्य के औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र में आए सकारात्मक परिवर्तन का प्रमाण है।

बैठक में निवेश प्रोत्साहन और सुविधा व्यवस्था की समीक्षा की गई। बताया गया कि फॉर्च्यून 1000 सूची की 814 कंपनियों को अकाउंट मैनेजर आवंटित किए गए हैं। अब तक 50 नए एमओयू हस्ताक्षरित हो चुके हैं तथा 280 से अधिक कंपनियों से संवाद प्रगति पर है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि निवेशक इकाइयों को भूमि, सब्सिडी आदि के साथ-साथ प्रशिक्षित मानव संसाधन उपलब्ध कराने के लिए भी संवाद बढ़ाया जाए। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में औद्योगिक निवेश अब नीतिगत प्रतिबद्धता नहीं, बल्कि ‘ग्राउंड लेवल डिलीवरी’ का उदाहरण बन चुका है।
उन्होंने कहा कि निवेश मित्र पोर्टल 3.0 के माध्यम से आवेदन, स्वीकृति और प्रोत्साहन की प्रक्रिया को और सरल किया जा रहा है, जिससे 30 प्रतिशत तक प्रक्रिया समय और 50 प्रतिशत तक दस्तावेजी औपचारिकताओं में कमी आएगी।

पोर्टल में सिंगल साइन-ऑन, डायनेमिक एप्लीकेशन सिस्टम, एआई आधारित चैटबॉट, थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन और डिजिटल मॉनिटरिंग जैसी सुविधाएँ शामिल की जा रही हैं, जो निवेशकों के अनुभव को और अधिक सुगम बनाएंगी। मुख्यमंत्री ने विभिन्न विभागों को निर्देश दिया कि वे मासिक लक्ष्य निर्धारित करें और स्वीकृत परियोजनाओं की ‘लेटर्स ऑफ कम्फर्ट’ जारी करने की प्रक्रिया समयबद्ध रूप से पूरी करें।

उन्होंने कहा कि नीति के अनुरूप देय इंसेंटिव बिना किसी बाधा के समय पर वितरित किए जाएँ तथा इंडस्ट्रियल बिल्डिंग बायलॉज को और अधिक व्यावहारिक एवं निवेशक हितैषी बनाया जाए। बैठक में बताया गया कि फोकस कंट्री डेस्क के माध्यम से जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, फ्रांस, रूस, ताइवान, सिंगापुर और खाड़ी देशों के निवेशकों से सक्रिय संवाद स्थापित किया गया है।

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि वैश्विक मंचों पर उत्तर प्रदेश की औद्योगिक छवि को और सुदृढ़ किया जाए तथा प्रत्येक कंट्री डेस्क ठोस निवेश परिणामों पर कार्य करे। मुख्यमंत्री ने यूपीडा, यूपीसीडा, बीडा और अन्य औद्योगिक प्राधिकरणों को ऑटोमोबाइल, फार्मा, इलेक्ट्रॉनिक्स और लेदर जैसे क्षेत्रों में क्लस्टर आधारित औद्योगिक विकास पर विशेष ध्यान देने को कहा।

बैठक में यह भी अवगत कराया गया कि ‘चाइना 1’ रणनीति के तहत उत्तर प्रदेश अब बहुराष्ट्रीय कंपनियों का पसंदीदा निवेश केंद्र बन रहा है। वर्तमान में 219 कंपनियाँ निवेश प्रक्रिया के सक्रिय चरण में हैं, जिनमें कई जापान, कोरिया और ताइवान की अग्रणी कंपनियाँ शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि इन प्रस्तावों की सतत मॉनिटरिंग की जाए और सभी विभाग इन अवसरों को मूर्त रूप देने के लिए समन्वित ढंग से कार्य करें।

बैठक में यह जानकारी भी दी गई कि औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के पास 25,000 एकड़ से अधिक ग्रीनफील्ड भूमि तथा 6,300 एकड़ से अधिक रेडी-टू-मूव भूमि निवेश हेतु उपलब्ध है। 33,000 से अधिक औद्योगिक भूखंडों का सर्वेक्षण पूरा किया जा चुका है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भूमि अधिग्रहण के मामलों में किसानों व व्यापारियों से सीधा संवाद किया जाए और उन्हें उचित मुआवजा सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने सर्किल रेट की असमानताओं को समाप्त करने और अप्रयुक्त औद्योगिक भूखंडों को निर्धारित समय सीमा के बाद निरस्त कर नए निवेशकों को आवंटित करने के निर्देश दिए।

योगी ने ‘सेफ सिटी’ की तर्ज पर ‘सेफ इंडस्ट्री’ की परिकल्पना रखते हुये कहा कि औद्योगिक क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ाई जाए, सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम हों, ताकि निवेशक और उद्यमी निश्चिंत होकर कार्य कर सकें।

उन्होंने औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के अधीन क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं को और सुदृढ़ करने पर बल दिया। साथ ही निर्देश दिया कि मंडलायुक्त और जिलाधिकारी नियमित रूप से निवेशकों/उद्यमियों से संवाद करें, उनकी अपेक्षाओं और समस्याओं का यथोचित समाधान सुनिश्चित करें तथा आवश्यकतानुसार शासन को अवगत कराएं।

बैठक में औद्योगिक विकास, निवेश एवं निर्यात प्रोत्साहन मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’, नगर विकास मंत्री अरविंद शर्मा, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री राकेश सचान, औद्योगिक विकास राज्य मंत्री जसवंत सिंह सैनी, शासन स्तर के वरिष्ठ अधिकारी और इन्वेस्ट यूपी के अधिकारी उपस्थित रहे।

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