10 वर्ष पहले गंगा अविरल व निर्मल नहीं थी: योगी
चराचर जगत के कल्याण की बात करने वाले व्यक्ति जीवन में स्वयं बैरियर न बनें

- आस्था के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के निवारण का उपाय करना होगा
- चराचर जगत के कल्याण की बात करने वाले व्यक्ति जीवन में स्वयं बैरियर न बनें
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संतों से किया संवाद
महाकुम्भनगर। तीर्थराज प्रयाग में रविवार को’कुम्भ की आस्था और जलवायु परिवर्तन सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आस्था के साथ-साथ हमें जलवायु परिवर्तन के कारकों पर विचार करते हुए उसके निवारण का उपाय करना होगा। उन्होंने कहा कि जीव-जंतु सभी का जीवन चक्र मनुष्य के साथ जुड़ा हुआ है। अगर जीव-जंतुओं के जीवन पर संकट आयेगा तो हमारे जीवन पर भी संकट आयेगा। इसलिए हम प्रलय की प्रतीक्षा न करें और जीव सृष्टि व जंतु सृष्टि को बचायें, तभी मनुष्य सृष्टि बचेगी।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि हम चराचर जगत के कल्याण की बात करते हैं,लेकिन व्यक्तिगत जीवन में स्वयं बैरियर बनकर खड़े हो जाते हैं। हर व्यक्ति दोषारोपण कर रहा है, लेकिन जलवायु परिवर्तन के बारे में चिंतन में सहभागी नहीं बन रहा है। हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम कैसे भागीदार बन सकते हैं। नदियों पर अतिक्रमण को रोक पायेंगे? भारत की नदियां सूख जाएंगी तो क्या होगा? नदियों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, जंगलों में पेड़ों को काटकर कोयला बनाया जा रहा है, जो जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 10 वर्ष पहले गंगा अविरल व निर्मल नहीं थी।
उत्तर प्रदेश में नदियों को पुनर्जीवित करने का काम किया गया। हम लोगों ने इलेक्ट्रिक बसों को बढ़ावा दिया है। इस बार महाकुम्भ में हर रोज भारी भीड़ हो रही है।” उन्होंने कहा कि प्रयागराज में गंगा जल की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित कराई गयी। यहां पर 33 दिनों में 52 करोड़ त्रिवेणी में स्नान कर चुके हैं। यहां आज अविरल जल है। त्रिवेणी में जो भी डुबकी लगा रहा है, वह आध्यात्मिक ऊर्जा का स्वयं अनुभव कर रहा है। कुम्भ दुनिया का सबसे बड़ा आयोजन बन गया है। उन्होंने कहा कि वेदों का संदेश है उसको दैनिक जीवन में उतारें। ‘एक पेड़ मां के नाम एक पेड़ आस्था के नाम’ लगाएं। उत्तर प्रदेश में पिछले 08 वर्षों के अंदर हमारी सरकार ने 210 करोड़ वृक्षारोपण किया। इनमें वन विभाग के द्वारा किए गए लगभग 80 प्रतिशत पौधे सुरक्षित हैं। जो विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से वृक्षारोपण कराए गए, उनमें लगभग 70 प्रतिशत सुरक्षित हैं।
कुम्भ के संदेश को घर-घर पहुंचायें। प्रयागराज की धरा पर सभ्यता व संस्कृति फलती फूलती रहेगी।इस अवसर पर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती,परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद मुनि,प्रदेश सरकार के वन मंत्री डा.अरूण कुमार सक्सेना,वन राज्यमंत्री के.पी.मलिक व मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार को प्रयागराज स्थित महाकुम्भ नगर पहुंचे, यहां उन्होंने विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लिया और साधु-संतों से मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने यहां जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी से भेंट कर महाकुम्भ की व्यवस्थाओं पर चर्चा की। इसके बाद वे सदाफल आश्रम स्थित स्वर्वेद महामंदिर ट्रस्ट पहुंचे, जहां उन्होंने साधु-संतों से मुलाकात की।
मुख्यमंत्री ने संत समाज के साथ संवाद कर महाकुम्भ की व्यवस्थाओं का फीडबैक लिया और संतों ने योगी सरकार की तैयारियों की सराहना की। मुख्यमंत्री सेक्टर 21 में प्रसिद्ध कथावाचक प्रदीप मिश्रा की कथा में शामिल हुए। यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी, जिन्होंने मुख्यमंत्री का स्वागत किया। इसके बाद वे सेक्टर 18 स्थित प्रभु प्रेमी संघ अंबाला शिविर पहुंचे, जहां संतों का सानिध्य प्राप्त किया।
महाकुम्भ 2025 का यह आयोजन 144 वर्षों के पुण्य संयोग में हो रहा है, जिसमें अब तक करीब 52 करोड़ श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में पुण्य की डुबकी लगा चुके हैं। दिव्य और भव्य महाकुम्भ की सराहना न केवल देशभर के श्रद्धालु कर रहे हैं बल्कि विदेशी पर्यटक भी इसकी भव्यता से प्रभावित हुए बिना नहीं रह पा रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रद्धालुओं और साधु-संतों से संवाद करते हुए कहा कि सरकार ने महाकुम्भ की व्यवस्थाओं को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए हर प्रयास किए हैं। उन्होंने संत समाज और श्रद्धालुओं को आश्वस्त किया कि आने वाले समय में भी धार्मिक आयोजनों को इसी भव्यता और दिव्यता के साथ संपन्न किया जाएगा।