उत्तर प्रदेशगोरखपुर

गोरखपुर: योगी ने हर बार तोड़े मिथक और रूढ़ि

  • ग्रहण काल में दिखी सीएम योगी की वैज्ञानिक दृष्टि
  • रूढ़ियों को तोड़ वैज्ञानिकता जानने नक्षत्रशाला पहुंचे योगी
  • नोएडा जाने से भी नहीं हिचकते थे योगी
  • अयोध्या जाने से भी नहीं किया परहेज, नवरात्रि में उतरे थे पहली मंजिल से नीचे

गोरखपुर। एक संत के रूप में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी आस्था, परंपरा एवं संस्कृति का पूरा सम्मान करते हैं। परंतु अगर वैज्ञानिकता और लोककल्याण की बात आती है, तब वह रूढ़ियों को तोड़ने में तनिक भी नहीं हिचकते। वह घटनाओं की वैज्ञानिक वजह भी जानने की कोशिश करते हैं। खासकर युवाओं से भी ऐसी ही जागरूकता की अपेक्षा करते हैं।

मंगलवार को सूर्यग्रहण के दौरान भी उन्होंने यही किया। यह आम परंपरा के मुताबिक ग्रहण के दौरान घर से बाहर निकलने की मनाही है। ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान, दान के बाद ही रूटीन दिनचर्या करने की सीख दी गई है, लेकिन आज सीएम ने इस मिथक को तोड़ा और ग्रहण काल में ही तारामंडल स्थित नक्षत्रशाला पहुंच गए।

बता दें कि आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर में थे। ग्रहण के दौरान वह तारामंडल स्थित नक्षत्रशाला गये। वहां वैज्ञानिक एतिहात के साथ सूर्य ग्रहण देखा। एक्सपर्टस से इसके विभिन्न पहलुओं की जानकारी ली। यह पहला अवसर नहीं है जब योगी आदित्यनाथ ने ऐसा किया। मुख्यमंत्री बनने के बाद बार-बार नोएडा जाकर वहां को लेकर बने मिथक को तोड़ने का कार्य किया है। नोएडा के बारे में ऐसा कहा जाता है कि जो मुख्यमंत्री एक बार नोएडा चाला जाता है, वह दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बन पाता। लेकिन योगी आदित्यनाथ ने इस मिथक तोड़ा और कई बार नोएडा जा चुके हैं।

उधर, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ऐसा न करने के कारणों के बारे में खुलकर अपनी मंशा जता चुके हैं। लेकिन योगी कई बार सार्वजिनक रूप से यह कई बार कह चुके हैं कि मैं नोएडा जाता रहूंगा और दोबारा मुख्यमंत्री भी बनूंगा। योगी के विश्वास के मुताबिक़ ऐसा हुआ भी। योगी अपने दोबारा कार्यकाल का आगाज कर चुके हैं।

यही नहीं, राजनीतिक वजहों से उनके पूर्ववर्ती कई राजनेता अयोध्या जाना तो दूर उसका नाम लेने से भी बचते थे। उस अयोध्या का योगी ने बार-बार दौरा किया। आज उनकी अगुआई में अयोध्या का कायाकल्प हो रहा है। साथ ही उनके गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के सपनों के मुताबिक रामजन्म भूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण भी हो रहा है।

जनता के दुख दर्द में सहभागी बनने के लिए उन्होंने गोरक्षपीठ की नवरात्र के दौरान मठ की पहली मंजिल से नीचे नहीं उतरने की एक परंपरा को भी तोड़ा। उनके सांसद रहने के दौरान एक बार गोरखपुर के नंदानगर क्रॉसिंग पर रात के समय ट्रेन दुर्घटना हुई थी। तब नवरात्र अनुष्ठान के कारण वह मंदिर में ही प्रवास कर रहे थे। परंपरा तोड़ वह दुर्घटना पीड़ितों के बीच पहुंचे थे। उनके आने से उनके समर्थक और प्रशासन सक्रिय हुआ। सब लोग सुरक्षित 6-7 किलोमीटर दूर स्थित बस स्टेशन एवं रेलवे स्टेशन पहुंचाए गये।

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