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एक युग की चिकित्सा परंपरा और राष्ट्र सेवा की प्रेरणा का प्रतीक है केजीएमयू: सीएम योगी

केजीएमयू को सीएम योगी ने दी बड़ी सौगात, 941 करोड़ रुपये की 7 परियोजनाओं का किया लोकार्पण व शिलान्यास

लखनऊ। लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) ने अपने 120 वर्षों की गौरवशाली यात्रा में एक और ऐतिहासिक अध्याय जोड़ते हुए चिकित्सा शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में नया कीर्तिमान स्थापित किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को केजीएमयू परिसर में ₹941 करोड़ की लागत से निर्मित 7 परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास किया। इस अवसर पर उन्होंने वॉर्ड में जाकर न सिर्फ मरीजों का हालचाल लिया, बल्कि डॉक्टरों से संवाद करते हुए भावी स्वास्थ्य विस्तार की योजनाओं पर भी चर्चा की। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम योगी ने कहा कि यह सिर्फ एक संस्थान नहीं, बल्कि एक युग की चिकित्सा परंपरा और राष्ट्र सेवा की प्रेरणा का प्रतीक है। 120 वर्ष की अपनी इस शानदार यात्रा में केजीएमयू ने अनेक मील के पत्थर गढ़े हैं। यह यात्रा सामान्य नहीं रही इसने पिछली सदी की महामारी से लेकर कोविड-19 जैसी वैश्विक त्रासदी का मुकाबला कर प्रदेश और देश का मार्गदर्शन किया।

महामारी से मोर्चा लेने में अग्रणी रहा केजीएमयू- सीएम योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह संस्थान महामारी में अग्रणी रहा, चिकित्सा शिक्षा के विस्तार में सहायक बना और अब टेक्नोलॉजी के साथ भविष्य के लिए तैयार हो रहा है। आज जब 941 करोड़ की परियोजनाएं धरातल पर उतर रही हैं, तो यह महज निर्माण नहीं, बल्कि स्वस्थ उत्तर प्रदेश, समर्थ भारत” की दिशा में एक नए युग की शुरुआत है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जब कोविड-19 का प्रकोप प्रारंभ हुआ था, उस समय केजीएमयू प्रदेश का पहला संस्थान था, जहां कोविड जांच की सुविधा शुरू की गई। पहले 100 कोविड संदिग्ध मरीजों की जांच यहीं से प्रारंभ हुई थी। इसी साहसिक और त्वरित पहल से यूपी ने समय रहते महामारी से मुकाबले की रणनीति विकसित की।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यहां ऑर्थोपेडिक सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक और न्यू कार्डियोलॉजी विंग का लोकार्पण किया। साथ ही 500 बेड वाले ट्रॉमा सेंटर, जनरल सर्जरी विभाग के नवीन भवन, प्रशासनिक परिसर और पेशेंट यूटिलिटी कॉम्प्लेक्स का शिलान्यास किया। सीएम योगी ने कहा कि यह अपने आप में किसी भी चिकित्सा संस्थान के लिए बड़ी उपलब्धि है। एक साथ करीब ₹1,000 करोड़ की लागत से परियोजनाएं शुरू होना इस बात का प्रमाण है कि डबल इंजन की सरकार प्रदेश के स्वास्थ्य ढांचे को विश्वस्तरीय बनाने के लिए कितनी गंभीर हैं।

बदलते भारत के साथ उत्तर प्रदेश में आई चिकित्सा क्रांति- मुख्यमंत्री
सीएम योगी ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में भारत ने हर क्षेत्र में ऐतिहासिक प्रगति की है। स्वास्थ्य क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। देश में एम्स जैसी संस्थाएं जो कभी गिनी-चुनी थीं, आज उनकी संख्या 23 हो गई है। उत्तर प्रदेश भी पीछे नहीं है, 75 जिलों में 75 मेडिकल कॉलेज की परिकल्पना अब साकार हो रही है। मुख्यमंत्री ने बताया कि 2024 में ही 17 नए मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू हुई है, जिनमें से 13 शासकीय हैं। यह उस परिवर्तन का संकेत है जो प्रदेश के स्वास्थ्य तंत्र में आमजन को राहत देने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार उल्लेखनीय रहा है। पहले डेंगू व इंसेफेलाइटिस जैसी बीमारियों का इलाज लखनऊ तक ही सीमित था, लेकिन अब हर जनपद में प्लेटलेट्स और डायलिसिस की सुविधाएं उपलब्ध हैं।

बलरामपुर में स्थापित किया जा रहा है केजीएमयू का सेटेलाइट केंद्र
सीएम योगी ने जानकारी दी कि बलरामपुर में केजीएमयू का सेटेलाइट सेंटर स्थापित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि महानगरीय चिकित्सा सेवाएं छोटे शहरों तक पहुंचे। इससे लखनऊ स्थित स्वास्थ्य संस्थानों पर दबाव कम होगा और मरीजों को स्थानीय स्तर पर ही उपचार मिल सकेगा। मुख्यमंत्री ने आईआईटी कानपुर के साथ मेडिकल टेक्नोलॉजी पर केंद्रित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की पहल की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास हैं कि केजीएमयू और एसजीपीजीआई इस सेंटर से जुड़कर नई रिसर्च करें और भारत को हेल्थ टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भर बनाएं।

जनसामान्य की आस्था का केंद्र बना केजीएमयू
सीएम योगी ने मरीजों से संवाद के दौरान उनकी संतुष्टि पर प्रसन्नता जाहिर की। उन्होंने कहा कि यह सामान्य बात नहीं है कि एक मरीज का आत्मविश्वास उसका इलाज कर रहा होता है। केजीएमयू में भर्ती मरीजों की आंखों में यह विश्वास मैंने खुद देखा है। यही इस संस्थान की सबसे बड़ी पूंजी है। मुख्यमंत्री ने चिकित्सकों और अधिकारियों से आह्वान किया कि वे नकारात्मकता को दूर रखें और समय के साथ स्वयं को अपडेट करें। सीएम योगी ने कहा कि व्यक्ति हो या संस्थान, अगर समय की गति के साथ नहीं चलते, तो कालचक्र उन्हें भुला देता है। लेकिन जो आगे बढ़ते हैं, वही प्रेरणा बनते हैं।

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