कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद: मस्जिद पक्ष ने हाईकोर्ट में कहा- विवादित स्थल वक्फ की संपत्ति है
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प्रयागराज: मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद मामले में गुरुवार को मस्जिद पक्ष की ओर से कहा गया कि यह मुकदमा वक्फ अधिनियम के साथ पूजा स्थल अधिनियम के प्रावधानों से वर्जित है. शाही ईदगाह मस्जिद की संरचना को हटाने के बाद कब्जे के साथ मंदिर की बहाली और स्थायी निषेधाज्ञा के लिए दाखिल मुकदमों में प्रार्थना से पता चलता है कि मस्जिद की संरचना वहां है और इंतजामिया कमेटी का उस पर कब्जा है.
इस तरह वक्फ संपत्ति पर विवाद उठाया गया है और इसमें वक्फ अधिनियम के प्रावधान लागू होंगे. ऐसे में इस विवाद पर सुनवाई का क्षेत्राधिकार वक्फ न्यायाधिकरण को अधिकार है, न कि सिविल कोर्ट को. आगे कहा गया कि पक्षकारों ने 12 अक्टूबर 1968 को समझौता कर लिया था और कहा कि 1974 में तय किए गए दीवानी मुकदमे में समझौते की पुष्टि की गई थी.
इस प्रकार इतने लंबे समय के बाद कोई मुकदमा दायर नहीं किया जा सकता क्योंकि समझौते को चुनौती देने की सीमा तीन सेल तय है और मुकदमा 2020 में किया गया है और इस प्रकार यह विवाद मियाद अधिनियम से वर्जित है. मस्जिद पक्ष की बहस के बाद मंदिर पक्ष की ओर से कहा गया कि प्रतिवादी संख्या 1 व 2 ने सीपीसी के आदेश सात नियम 11 के प्रार्थना पत्र पर पूजा स्थल अधिनियम व मियाद अधिनियम की ही लिखित में प्रार्थना की थी, उससे हटकर बहस की गई है जिसे रिकॉर्ड पर न जोड़ा जाए.
साथ ही कहा कि उन्हें अलग किसी भी कानून पर बहस करने का कानूनी रूप से कोई अधिकार नहीं है. कहा गया कि जो दलील दी जा रही है, वह पहले भी बार-बार की जा चुकी है. यह न्यायालय के समय की बर्बादी के अलावा और कुछ नहीं है. समयाभाव के कारण न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने मामले की सुनवाई शुक्रवार को जारी रखने को कहा है.