उत्तर प्रदेशलखनऊ

मिशन रोजगार: यूपी में पारदर्शिता की बुनियाद पर सच हो रहे रोजगार के सपने

लखनऊ। उत्तर प्रदेश, जो कभी बेरोजगारी के बोझ तले दबा हुआ लगता था, आज मिशन रोजगार की बदौलत एक नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में चल रही इस मुहिम ने न केवल सरकारी नौकरियों के दरवाजे खोले हैं, बल्कि निजी क्षेत्र में भी लाखों रोजगार सृजित किए हैं। पारदर्शी और निष्पक्ष भर्ती प्रक्रिया ने युवाओं का भरोसा जीता है, जिससे प्रदेश के युवा आत्मनिर्भरता की राह पर तेजी से कदम बढ़ा रहे हैं। विगत आठ वर्षों में बेरोजगारी दर में ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की गई है, जो 2016 के 18 प्रतिशत से घटकर महज तीन प्रतिशत रह गई है। यह बदलाव न केवल आंकड़ों में दिखता है, बल्कि जमीन पर युवाओं के चेहरों पर मुस्कान के रूप में भी नजर आता है। राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो रोजगार सृजन में उत्तर प्रदेश अब तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों के साथ शीर्ष 5 में शामिल है।, जहां सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में अवसरों की बाढ़ आई हुई है।

योगी सरकार ने भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता को दी सर्वोच्च प्राथमिकता

मिशन रोजगार की शुरुआत से ही योगी सरकार ने भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। विभिन्न आयोगों और भर्ती बोर्डों के माध्यम से अब तक 8.5 लाख से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरियां दी जा चुकी हैं। इसमें पुलिस, शिक्षा, स्वास्थ्य, राजस्व जैसे तमाम विभाग शामिल हैं। सरकार की इस नीति ने युवाओं का सरकारी प्रणाली पर भरोसा मजबूत किया है। अभी दो दिन पहले ही महिला एवं बाल विकास विभाग में उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा चयनित 2,425 मुख्य सेविकाओं और 13 फार्मासिस्टों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नियुक्ति पत्र वितरित किए। यह इस बात का प्रमाण है कि कैसे पारदर्शी प्रक्रिया से महिलाओं को भी बड़े अवसर मिल रहे हैं।

पुलिस विभाग में हुई जमकर हुई भर्ती

उत्तर प्रदेश के पुलिस विभाग में तो रोजगार की क्रांति ही आ गई है। विगत आठ वर्षों में पुलिस बल में 2.19 लाख से अधिक की भर्ती की गई है। हाल ही में 60,244 आरक्षी नागरिक पुलिस पदों पर नियुक्ति के साथ यह आंकड़ा और मजबूत हुआ है। यह भर्ती न केवल संख्या में कीर्तिमान है, बल्कि लैंगिक समानता की दृष्टि से भी ऐतिहासिक है। 1947 से 2017 तक के 70 वर्षों में महज 10 हजार बेटियां पुलिस बल में भर्ती हुई थीं, लेकिन अकेली इस परीक्षा से 12 हजार से अधिक बेटियां पुलिस में शामिल हो रही हैं। अप्रैल 2017 से 31 जून 2025 तक आरक्षी एवं समकक्ष, उपनिरीक्षक एवं समकक्ष तथा लिपिक संवर्ग आदि के विभिन्न पदों पर कुल 1,56,206 भर्तियां की गईं। यह सब पारदर्शी परीक्षा और मेरिट आधारित चयन की बदौलत संभव हुआ है, जिसने पेपर लीक और भाई-भतीजावाद जैसी पुरानी बीमारियों को जड़ से उखाड़ फेंका है।

शिक्षा क्षेत्र में भी मिशन रोजगार ने नई जान फूंकी है। परिषदीय शिक्षा विभाग में 2018 से अब तक 1.56 लाख अभ्यर्थी चयनित हुए हैं। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग, प्रयागराज ने अप्रैल 2017 से 20 मार्च 2025 तक कुल 48,593 अभ्यर्थियों का चयन किया है, जबकि उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, लखनऊ ने इसी अवधि में 46,032 अभ्यर्थियों को चुना है। स्वास्थ्य और राजस्व विभागों में भी हजारों पदों पर नियुक्तियां हुई हैं, जिससे न केवल युवाओं को रोजगार मिला, बल्कि इन क्षेत्रों की सेवाएं भी मजबूत हुईं। राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो यह मॉडल अन्य राज्यों के लिए प्रेरणा स्रोत बन रहा है, जहां पारदर्शिता से भर्ती प्रक्रिया को गति मिल रही है।

सिर्फ सरकारी नौकरियों तक सीमित नहीं है मिशन रोजगार

मिशन रोजगार केवल सरकारी नौकरियों तक सीमित नहीं है। सरकार ने निजी क्षेत्र में भी रोजगार सृजन पर जोर दिया है। 15 लाख करोड़ रुपये के निवेश को धरातल पर उतारने से 60 लाख से अधिक युवाओं को रोजगार प्राप्त हुआ है। देश के सबसे बड़े एमएसएमई हब के रूप में विकसित होने से यूपी में  दो करोड़ युवाओं को काम मिला है। यह निवेश न केवल बड़े उद्योगों से आया है, बल्कि छोटे-मध्यम उद्यमों को बढ़ावा देकर स्थानीय स्तर पर रोजगार पैदा किया गया है। स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से 10 लाख से अधिक समूहों ने एक करोड़ से अधिक महिलाओं को रोजगार दिया है। बीसी सखी योजना के तहत 58 हजार से अधिक महिलाओं को रोजगार प्राप्त हुआ है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा दे रही हैं। यह सब आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है, जहां महिलाएं न केवल घर चलाती हैं, बल्कि अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन रही हैं।

लाखों युवाओं को अपना व्यवसाय शुरू करने का सपना हुआ साकार

स्वरोजगार के मोर्चे पर भी योगी सरकार ने कमाल किया है। मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान और वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ओडीओपी) योजना से लाखों युवाओं को अपना व्यवसाय शुरू करने के अवसर मिले हैं। इन योजनाओं से न केवल स्थानीय उत्पादों को बाजार मिला, बल्कि युवाओं में उद्यमिता की भावना जागी है। यह ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में रोजगार की असमानता को कम कर रही हैं।

रोजगार महाकुंभ 2025 रोजगार मिशन को दे रहा नई रफ्तार

इसी क्रम में रोजगार महाकुंभ 2025 रोजगार मिशन को नई रफ्तार दे रहा है। लखनऊ में आयोजित तीन दिवसीय रोजगार महाकुंभ 2025 में 100 से अधिक कॉरपोरेट कंपनियों की सहभागिता से 20 हजार से अधिक अभ्यर्थियों के ऑन-स्पॉट इंटरव्यू हो रहे हैं। अनुमान है कि 10 हजार से अधिक युवाओं को नियुक्ति पत्र मिल सकते हैं। इसके अलावा, युवाओं को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का निशुल्क प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जो उन्हें वैश्विक बाजार के लिए तैयार कर रहा है।

यहां 25 हजार से अधिक इंटरनेशनल जॉब्स और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। यह महाकुंभ न केवल नौकरियां दे रहा है, बल्कि कौशल विकास पर फोकस कर युवाओं को भविष्य के लिए सशक्त बना रहा है। यही नहीं उत्तर प्रदेश में लगातार रोजगार मेले का आयोजन किया जा रहा है। इसमें सभी 75 जिलों में हर महीने रोजगार मेले के माध्यम से युवाओं को रोजगार से जोड़ने का अवसर दिया जा रहा है। जनवरी 2025 से लेकर मई तक कुल करीब 1500 रोजगार मेले आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार के अवसर मिले।

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