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उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था ने छुआ ₹29.6 लाख करोड़ का आंकड़ा, मुख्यमंत्री ने कहा ‘संभावनाओं से परिणाम तक की यात्रा’

  • 2026 तक राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में 10% हिस्सेदारी का लक्ष्य, ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी के लिए ठोस रणनीति की जरूरत: मुख्यमंत्री
  • विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में तेजी, ‘मेक इन यूपी’ मॉडल को मुख्यमंत्री ने बताया भविष्य की दिशा
  • खाद्यान्न उत्पादन पहुँचा 722 एलएमटी, जिलावार उत्पादकता में अंतर कम करने के निर्देश
  • दूध और अंडा उत्पादन में उत्तर प्रदेश आगे, मुख्यमंत्री ने दी पशु उत्पादकता और नस्ल सुधार पर ज़ोर देने की हिदायत
  • 27,000 से अधिक फैक्ट्रियाँ पंजीकृत, बोले मुख्यमंत्री, ग्रामीण क्षेत्रों में भी उद्योगों को मिले बढ़ावा
  • आईटी निर्यात ₹46,800 करोड़ तक पहुँचा, मुख्यमंत्री बोले, युवाओं के लिए बनेगा बड़ा अवसर क्षेत्र
  • गत वर्ष जीएसटी संग्रह ₹1.49 लाख करोड़ और आबकारी राजस्व ₹52,574 करोड़ के पार, मुख्यमंत्री ने कहा, यही है राजस्व आत्मनिर्भरता की बुनियाद
  • परिवहन क्षेत्र में नये रूट चिन्हित करें, मुख्यमंत्री ने कहा, निजी बस सेवाएँ बढ़ायें, सुविधा और राजस्व दोनों मिलेगा
  • मुख्यमंत्री ने दिया निर्देश, प्रत्येक प्रमुख क्षेत्र के लिए बनें लक्ष्य आधारित रोडमैप, डेटा की विश्वसनीयता सर्वोपरि

लखनऊ:  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में उत्तर प्रदेश की आर्थिक स्थिति, विकास संरचना और राजस्व स्रोतों की व्यापक समीक्षा की। बैठक में मुख्यमंत्री ने राज्य की आर्थिक यात्रा को “संभावनाओं से परिणाम तक” की प्रक्रिया बताते हुए कहा कि यह रूपांतरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विकसित भारत की परिकल्पना से प्रेरित है। मुख्यमंत्री ने इस बात पर विशेष बल दिया कि उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था अब केवल आँकड़ों की प्रगति नहीं, बल्कि ज़मीनी स्तर पर बदलाव का प्रमाण बन चुकी है।

बैठक में प्रस्तुत विवरण के अनुसार, राज्य की सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) 2024-25 में ₹29.6 लाख करोड़ के आँकड़े तक पहुँचने का अनुमान है, जो 2020-21 की तुलना में लगभग 80 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। इसी अवधि में राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 8.4 प्रतिशत से बढ़कर 8.9 प्रतिशत हो गई है। मुख्यमंत्री ने इसे आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश की दिशा में ठोस उपलब्धि बताया, साथ ही यह भी कहा कि हमें 2026 तक 10 प्रतिशत की हिस्सेदारी प्राप्त करने का लक्ष्य लेकर अभी से ठोस रणनीति बनानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि राज्य की आर्थिक संरचना में स्पष्ट परिवर्तन दिखाई दे रहा है। विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों की हिस्सेदारी में निरंतर वृद्धि हो रही है, जबकि कृषि आधारित हिस्सेदारी क्रमिक रूप से कम हो रही है। ‘मेक इन यूपी’ मॉडल को अगले दशक के लिए औद्योगिक रणनीति का आधार बताते हुए निर्देश दिए कि ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में नई
इकाइयों की स्थापना के लिए प्रोत्साहित किया जाए।

कृषि क्षेत्र की समीक्षा में बताया गया कि खाद्यान्न उत्पादन वर्ष 2024-25 में 722 लाख मीट्रिक टन तक पहुँचने का अनुमान है, जो 2020-21 की तुलना में 100 लाख मीट्रिक टन अधिक है। हालांकि, जिलावार उत्पादकता में अभी भी बड़ा अंतर मौजूद है। कुछ जिलों में गेहूं की उत्पादकता 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुँच गई है, वहीं कुछ में यह 30 के आसपास है। मुख्यमंत्री ने इसे असंतुलन मानते हुए निर्देश दिए कि तकनीकी सहायता और किसान जागरूकता अभियानों के माध्यम से यह अंतर कम किया जाए।

पशुपालन क्षेत्र में राज्य का दुग्ध उत्पादन देश में सर्वाधिक है। अंडा उत्पादन में भी सुधार हुआ है। लेकिन मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि केवल कुल उत्पादन पर्याप्त नहीं, बल्कि प्रति पशु उत्पादकता में सुधार लाने की आवश्यकता है। उन्होंने नस्ल सुधार, फीड प्रबंधन और डेयरी व्यवसाय से जुड़े डेटा का नियमित विश्लेषण करने का निर्देश दिया।

विनिर्माण क्षेत्र की समीक्षा में यह सामने आया कि पंजीकृत फैक्ट्रियों की संख्या वर्ष 2024-25 में 27 हजार से अधिक हो गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जरूरत है विनिर्माण को जनपदों में समान रूप से प्रसारित किया जाए, जिससे स्थानीय युवाओं को रोजगार और राज्य को राजस्व मिले। उन्होंने ज़िला उद्योग केंद्रों की क्षमता को और मज़बूत करने की आवश्यकता बताई ताकि उद्योगों से निरंतर संवाद हो सके और नई इकाइयों का पंजीयन और सहायता तंत्र बेहतर बने।

राज्य में सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं के निर्यात में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। एसटीपीआई के माध्यम से 2024-25 में ₹46,800 करोड़ मूल्य की आईटी सेवाओं का निर्यात हुआ, जो 2021-22 की तुलना में 40 प्रतिशत अधिक है। मुख्यमंत्री ने इसे युवाओं के लिए अपार संभावनाओं वाला क्षेत्र बताया। इसी तरह पर्यटन, होटल और व्यापार जैसे सेवा क्षेत्रों में भी सकारात्मक संकेत देखे गए, विशेषकर कोविड के बाद पर्यटन क्षेत्र में आगंतुकों की संख्या में क्रमशः सुधार हुआ है।

बैठक में राज्य के दो प्रमुख राजस्व स्रोतों; जीएसटी और आबकारी शुल्क की समीक्षा भी की गई। वित्तीय वर्ष 2024-25 में राज्य द्वारा एकत्रित जीएसटी ₹1.49 लाख करोड़ से अधिक रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 6.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। वहीं आबकारी से प्राप्त राजस्व ₹52,574 करोड़ के स्तर तक पहुँच गया, जिसमें वर्ष दर वर्ष लगभग 15 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। मुख्यमंत्री ने इन आँकड़ों को “राजस्व स्वावलंबन के प्रमाण” बताते हुए कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि राजस्व वृद्धि सेवा विस्तार और सामाजिक योजनाओं के विस्तार का आधार बने।

सड़क परिवहन क्षेत्र की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने इसे “भविष्य का संभावनाशील क्षेत्र” बताया। उन्होंने कहा कि राज्य को निजी बस सेवाओं के लिए नए रूट चिन्हित करने होंगे ताकि एक ओर आमजन को आवागमन की सुविधा मिले और दूसरी ओर राज्य को राजस्व का नया स्रोत प्राप्त हो। उन्होंने यह भी कहा कि इससे परिवहन क्षेत्र में रोजगार की भी बड़ी संभावनाएँ उत्पन्न होंगी।

मुख्यमंत्री ने समीक्षा के दौरान यह भी रेखांकित किया कि विभिन्न विभागों द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले आंकड़े पूर्णतः प्रमाणिक और अद्यतन होने चाहिए। उन्होंने निर्देश दिए कि कृषि, विनिर्माण, सेवा, ऊर्जा और मानव संसाधन जैसे प्रत्येक प्रमुख क्षेत्र के लिए स्पष्ट, समयबद्ध और परिणामोन्मुख रोडमैप तैयार कर नियोजन विभाग के समन्वय से सतत समीक्षा की व्यवस्था हो। उन्होंने कहा कि सही आँकड़े ही नीति निर्माण के सही आधार बनते हैं और यही उत्तर प्रदेश को विकसित राज्यों की श्रेणी में तेज़ी से आगे ले जाने में सहायक होंगे।

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