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सुदृढ़ न्यायिक व्यवस्था से ही पूरे होंगे सुशासन के लक्ष्य : मुख्यमंत्री

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार को डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, लखनऊ के चतुर्थ दीक्षांत समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को हार्दिक शुभकामनाएं दीं और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। मुख्यमंत्री योगी ने अपने संबोधन में कहा कि यह विश्वविद्यालय प्रदेश और देश दोनों के लिए गौरव का विषय है। यहां से निकलने वाले छात्र समाज और राष्ट्र की न्यायिक व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में दिया जाने वाला दीक्षा मंत्र, ‘सत्यं वद्, धर्मं चर’ (सत्य बोलो, धर्म का आचरण करो) भारत की प्राचीन गुरुकुल परंपरा की नींव है। यही भावना हमारे संविधान, संसद और न्यायपालिका के बोधवाक्य “धर्मो रक्षति रक्षितः” और “यतो धर्मस्य ततो जयः” में भी प्रतिबिंबित होती है। सीएम योगी ने कहा कि धर्म हमारे लिए जीवन पद्धति का हिस्सा है, जबकि उपासना आस्था का विषय है। धर्म का अर्थ है अपने कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक पालन करना। इसी भावना के साथ युवाओं को आगे बढ़ना चाहिए। लोकतांत्रिक व्यवस्था की सफलता के लिए एक सुदृढ़ न्यायिक प्रणाली अत्यंत आवश्यक है।

न्याय व्यवस्था जितनी मजबूत होगी, सुशासन के लक्ष्यों को प्राप्त करना उतना ही सरल होगा। मुख्यमंत्री ने उदाहरण देते हुए कहा कि प्राचीन काल का रामराज्य भेदभाव रहित और न्यायसंगत शासन का प्रतीक था, जिसे आज की आधुनिक व्यवस्था में सुशासन के रूप में प्राप्त किया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश सरकार ने न्यायिक व्यवस्था को मजबूत करने के लिए ई-कोर्ट प्रणाली, वैकल्पिक विवाद निपटान (एडीआर), साइबर लॉ प्रशिक्षण, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के उपयोग पर विशेष जोर दिया है। इसके साथ ही विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में आधुनिक प्रशिक्षण कक्ष, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स और छात्रावास के निर्माण कार्य भी कराए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि न्यायिक अधिकारियों, अभियोजकों, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के स्किल डेवलपमेंट और प्रशिक्षण के लिए सरकार निरंतर कार्य कर रही है। स्वतंत्रता के अमृत काल में भारत ने तीन नए कानूनों- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता को लागू कर न्याय व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन की दिशा में कदम बढ़ाया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि रूल ऑफ लॉ तभी प्रभावी हो सकता है जब बेंच (न्यायपीठ) और बार (अधिवक्ता समाज) के बीच बेहतरीन समन्वय हो।

बेंच विवेक का प्रतीक है और बार संवेदना का। जब विवेक और संवेदना साथ आते हैं, तब न्याय का सच्चा स्वरूप मूर्त रूप लेता है। सीएम योगी ने जानकारी दी कि प्रदेश में इंटीग्रेटेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स बनाने की दिशा में कार्य प्रारंभ हो चुका है। 10 जनपदों में इसके लिए धनराशि जारी कर दी गई है, जहां एक ही परिसर में सभी स्तरों के न्यायालय, अधिवक्ता कक्ष और आवासीय सुविधाएं उपलब्ध होंगी। उन्होंने बताया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय अब अपने उत्कृष्ट बुनियादी ढांचे के लिए देशभर में जाना जा रहा है।

इसके साथ ही महिलाओं और बच्चों से संबंधित अपराधों के त्वरित निस्तारण के लिए प्रदेश में 380 से अधिक पॉक्सो और फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित किए गए हैं। साथ ही, लोक अदालतों के माध्यम से त्वरित न्याय उपलब्ध कराने के प्रयास भी तेज हुए हैं। राज्य में हर रेंज पर विधि विज्ञान प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं और उत्तर प्रदेश राज्य फॉरेंसिक संस्थान की स्थापना कर युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि ई-कोर्ट, ई-पुलिसिंग, ई-प्रॉसिक्यूशन और ई-फॉरेंसिक को एकीकृत प्लेटफॉर्म पर जोड़ने की प्रक्रिया जारी है। इससे न्यायिक प्रणाली अधिक पारदर्शी, त्वरित और सशक्त बनेगी। अंत में मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय के छात्रों से कहा कि वे सत्य, धर्म और निष्ठा के पथ पर चलते हुए देश की न्याय व्यवस्था को नई दिशा दें। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सूर्यकांत को भी बधाई दी, जो इस माह भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ लेंगे। डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, लखनऊ के चतुर्थ दीक्षांत समारोह में इस वर्ष कई छात्र-छात्राओं ने उत्कृष्ट प्रदर्शन कर विभिन्न श्रेणियों में मेडल प्राप्त किए।

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