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यूपी के विकास की नींव बन रहा टूरिज्म

लखनऊ: विकसित देशों में टूरिज्म सेक्टर अर्थव्यवस्था में करीब 10 फीसदी का योगदान देता है। भारत में यह योगदान सिर्फ दो से तीन फीसद का है। पर, डबल इंजन (मोदी और योगी) सरकार का इस सेक्टर पर जिस तरह फोकस है उससे आने वाले कुछ वर्षों में हमारा टूरिज्म सेक्टर भी अर्थव्यवस्था में योगदान के मामले में विकसित देशों की बराबरी करेगा।

पर्यटन मंत्रालय के मुताबिक, 2023 में 1.88 करोड़ विदेशी पर्यटक भारत आए। घरेलू स्तर पर 250 करोड़ पर्यटकों ने यात्रा की। कुंभ के दौरान जिस तरह से भीड़ उमड़ी है, उसे देखते हुए उत्तर भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक शहरों में आने वाले समय में ज्यादा पर्यटकों के आने की उम्मीद है। इसका सर्वाधिक लाभ भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण भोलेनाथ, बुद्ध और गुरु गोरक्षनाथ की धरती उत्तर प्रदेश को मिलेगा। यूं भी कुछ वर्षों से घरेलू पर्यटकों के लिहाज से उत्तर प्रदेश देश में लगातार पहले पायदान पर है।

अगले पांच साल में टूरिज्म सेक्टर का अर्थव्यवस्था में योगदान तीन से चार गुना तक संभव

एसोसिएशन ऑफ इंडिया की (2024) रिपोर्ट के अनुसार, देश में पर्यटकों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर अगले पांच से सात वर्षों में हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में कुल सृजित रोजगार का करीब 10 फीसद योगदान होगा। तब जीडीपी में हॉस्पिटैलिटी सेक्टर का योगदान बढ़कर करीब 8 फीसद हो जाएगा। पिछले दो वर्षों में इस सेक्टर में भर्तियों की संख्या में करीब ढाई गुना से अधिक वृद्धि हुई है। इस वृद्धि में सर्वाधिक योगदान धार्मिक पर्यटन का होगा। पंजाब, हरियाणा और दिल्ली चैंबर ऑफ कॉमर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 60 फीसद से अधिक यात्राएं धार्मिक स्थलों की होती हैं। वैश्विक धार्मिक पर्यटन का बाजार 2032 तक दो अरब डॉलर से अधिक का होगा। चूंकि भारत एक धार्मिक देश है और उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक धार्मिक स्थल हैं, लिहाजा धार्मिक पर्यटन का सबसे अधिक लाभ भारत को और भारत में उत्तर प्रदेश को होगा।

यूपी को मिलने लगा है लाभ

उत्तर प्रदेश को यह लाभ मिलने भी लगा है। प्रयागराज महाकुंभ में देश-दुनिया के 66 करोड़ से अधिक लोग आए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनने के पहले साल में औसतन 50 लाख लोग आते थे। अब यह संख्या बढ़कर 6 करोड़ तक पहुंच गई है। इसी तरह जिस अयोध्या में 2016 में मात्र 2.83 लाख पर्यटक/श्रद्धालु आए थे वहां सितंबर 2024 तक 13.44 करोड़ पर्यटक/ श्रद्धालु आ चुके थे। महाकुंभ के उलट प्रवाह के बाद तो कई रिकॉर्ड टूट गए। कमोबेश यही स्थिति मिर्जापुर स्थित मां विंध्यवासिनी धाम, राम को प्रिय चित्रकूट, और राधा कृष्ण की लीला क्षेत्र मथुरा, वृंदावन, बरसाना, नंदग्राम, गोकुल और गोवर्धन की भी है।

पर्यटकों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर अगले सात साल में 10 लाख कमरों की होगी जरूरत

घरेलू पर्यटकों की बढ़ती संख्या के कारण अगले सात साल में होटलों में 10 लाख रूम की जरूरत होगी। इससे 35 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिल सकता है। इसमें 15-20 लाख नौकरियां छोटे शहरों में होगी, क्योंकि इन्हीं शहरों में फाइव स्टार होटल अपनी विस्तार की योजना बना रहे हैं। आईटीसी मौर्या नई दिल्ली में वैंक्वेट मैनेजर रहे भव्य मल्होत्रा के मुताबिक प्रति कमरा, तीन सर्विस प्रोवाइडर किसी अच्छे होटल के लिए आदर्श स्थिति होती है। इसमें फ्रंट ऑफिस, हाउस कीपिंग, फूड एंड बेवरेज, लाउंड्री, फाइनेंस, एचआर, हॉर्टिकल्चर, सेल्स आदि विभाग होते हैं। अगर प्रॉपर्टी छोटी है तो कुछ विभाग न होने से सर्विस प्रोवाइडर्स की संख्या कुछ कम हो सकती है। पर, प्रति कमरा दो कर्मचारी तो होने ही चाहिए। इससे कम होने पर आप अपने ग्राहकों को संतोषजनक सेवा नहीं दे पाएंगे।

हॉस्पिटैलिटी के साथ इससे जुड़े सेक्टर्स की भी चांदी

पर्यटकों एवं श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने का लाभ होटल इंडस्ट्री के अलावा इससे जुड़े एविएशन, रेलवे, सड़क परिवहन निगम और लाजिस्टिक्स से जुड़े सेक्टर्स और स्थानीय लोगों को भी होगा। वहां के खास उत्पाद की खरीद होने पर स्थानीय कला या उत्पाद को व्यापक पहचान मिलेगी। मुख्यमंत्री की सबसे पसंदीदा योजना ओडीओपी (एक जिला एक उत्पाद) की अपने आप ब्रांडिंग हो जाएगी।

धार्मिक पर्यटन के लाभ

धार्मिक पर्यटन उस स्थान विशेष के आर्थिक उन्नति के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। सरकारें अधिक से अधिक पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए उनकी सुविधा, सुरक्षा के साथ बेहतरीन कनेक्टिविटी पर भी ध्यान देती हैं। समग्रता में ये धार्मिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक विरासत के संरक्षण के साथ आर्थिक विकास को भी गति देते हैं।

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