बघीरा कहां हो तुम…? तीन दिन से लापता बाघ, आसमान खा गया या निगल गई धरती!

मलिहाबाद: रहमान खेड़ा क्षेत्र में इन दोनों संकट के बादल मंडरा रहे हैं। बीते चार दिनों से बाघ की तलाश में इधर-उधर भटक रहे वन कर्मियों और विशेषज्ञों को उसकी गतिविधि तो दूर, एक भी पगमार्ग नहीं मिले हैं। इसको लेकर वन विभाग में बेचैनी है। ऐसे में बघीरा की तलाश में वनकर्मी जंगल के अलावा बाघ प्रभावित गांव में ग्राम प्रधानों से वार्तालाप कर मुनादी पीट रहे हैं। जांच में यह पता चला कि हर चौथे दिन शिकार करने वाले बाघ ने महज एक माह में दो ही मवेशियों को अपने वाला बनाया है, इस बात की पुष्टि वन विभाग ने स्वयं की है।
तीन दिन से लापता है बाघ
डीएफओ सितांशु पांडे ने बताया कि बाघ को सुरक्षित रेस्क्यू करने के लिए विशेषज्ञ एक्सपर्ट और पांच जनपदों से आई 80 सदस्यों की टीम ने रहमान खेड़ा जंगल को पूरी तरह से खंगाला है। बीते तीन दिनों से जोन-1, 2 और 3 में बाघ की मूवमेंट मिलना तो दूर की बात, एक भी पगमार्क नहीं मिल सका है। ऐसे में बाघ को आसमान खा गया या जमीन निकल गई, इसकी जानकारी दूर तलक नहीं है। ऐसे में सीमावर्ती इलाके में भी दहशत बनी हुई है।
डीएफओ ने बताया कि रविवार को भी वन्य कर्मियों ने रहमान खेड़ा जंगल के अलावा तीनों जनों में ट्रैकिंग की थी। बावजूद इसके बाघ का कहीं पता नहीं चल पाया। इसके बाद विशेषज्ञों ने बहेलिया, फतेहनगर, बंसीगढ़, गोपरामऊ, रनियापुर, कोलवा, मनोरा, कुसमौरा, मीठे नगर, खालिसपुर, दुगौली, हबीबपुर, अल्लूपुर, साहिलमऊ इत्यादि गांवों में ग्राम प्रधानों से वार्ता कर बाघ को सकुशल रेस्क्यू करने के लिए सहयोग मांगा है।
चौथे दिन करता था शिकार
एक रिपोर्ट के मुताबिक, बाघ पेट भरने के लिए हर चौथे दिन मवेशियों को अपना निवाला बनाता है। बीते 15 जनवरी से 15 फरवरी तक बाघ ने मात्र तीन जानवरों पर हमला किया है, जिसमें उसने दो जानवरों का शिकार किया है। इस बात की पुष्टि स्वयं वन विभाग ने की है। हालांकि बाघ के लापता होने पर गांव में और भी दहशत बन गई है। इसके अलावा सीमा से सटे जनपदों में भी बाघ को लेकर लोगों में हलचल बनी हुई है। अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है कि बाघ ने रहमान खेड़ा जंगल को छोड़ कहीं अलग ठिकाना बना लिया है। फिलहाल कांबिंग और पेट्रोलिंग का सिलसिला बदस्तूर जारी है।