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भारत में कब से चलेगी उड़ने वाली कार, तारीख आ गई सामने?

भारत समेत दुनियाभर के देशों में कारों की संख्या बढ़ने से ट्रैफिक की समस्या खड़ी हो रही है। ऐसे में लोगों के दिलों-दिमाग में यह बात आती है कि काश ऐसी कार होती, जो हवा में उड़ सकती।

ऐसी कार में हम आसानी से ट्रैवल कर सकते और जाम की स्थिति में फ्लाई करते जा सकते। अब इसे हकीकत में उतारने की कोशिशें तेज हो गई हैं।

इसके लिए एक प्राइवेट कंपनी ईप्लेन के फाउंडर और इंडियन इंस्ट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी-मद्रास में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर सत्य चक्रवर्ती आगे आए है और लोगों के सपने को साकार करने में जुट गए है।

उन्होंने भारत की पहली फ्लाइंग टैक्सी-ई 200 को डेवलप करने के बारे में जानकारी दी है। इसमें उन्होंने इसके डिजाइन, सिक्योरिटी, सीटी ट्रांसपोर्ट जैसे बिंदुओं पर बात की है।

प्रोफेसर चक्रवर्ती ने कहा कि हमें ई-प्लने को और बेहतर बनाना पड़ा है। इससे लोग भीड़-भाड़ वाले इलाकों में भी आसानी से एक जगह से दूसरे जगह जा सकेंगे।

वहीं, छोटी और संकरी जगहों पर भी इसे उतार सकेंगे। उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि ये चार्जेबल हो जिससे लोग एक बार चार्ज करने के बाद छोटी-छोटी कई यात्राएं कर सके।

प्रोफेसर सत्य चक्रवर्ती ने कहा कि कई मुश्किल परेशानियों को पार कर ई-प्लेन का तैयार करने का काम जारी है। इसमें एक सबस्केल प्रोटोटाइप, ई50 की सफल टेस्टिंग का काम पूरा किया जा चुका है।

प्रोफेसर ने कहा कि जिस तरीके से हमारी तैयारी है उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि लोगों को दखने को मिल सकती है।

वहीं, प्रोफेसर चक्रवर्ती ने फुल-स्केल प्रोटोटाइप को पूरा करने की समयसीमा की झलक देते हुए अक्टूबर-नवंबर में पहली उड़ान की उम्मीद जताई।

अगर ये सचमुच में ऐसा होता है तो भारत के नजरिए से काफी बड़ी उपलब्धी होगी। ये पूरे विमानन क्षेत्र को बदल कर सकता है।

इस ई प्लेन में सबसे बड़ी बात है यात्रियों की सुरक्षा। इस बारे में बात करते हुए प्रोफेसर चक्रवर्ती ने कहा कि लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इसे डिजाइन किया गया है।

इसे बनाने के लिए सभी जरूरी इंटरनेशनल नियमों और मानको का अच्छे से ध्यान रखा गया है। उन्होंने आगे कहा कि इमरजेंसी कंडीशन में यात्री की सुरक्षा और सॉफ्ट लैंडिंग के लिए पैराशूट और इनफ्लैटेबल्स जैसे आपातकालीन उपायों का ध्यान में रखा गया है।

इसके अलावा स्टेबलिटी और कंट्रोल को ठीक करने के लिए ऊर्ध्वाधर मोटार और वायुगतिकीय जैसे प्रिंसिपल का ध्यान रखा गया है।

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