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ईडी की हिरासत में हेमंत सोरेन, ले गई अपने साथ, जाने क्या है किसी मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने के नियम

रांची: हेमंत सोरेन को ईडी ने हिरासत में ले लिया है. ईडी हेमंत सोरेन से करीब 7 घंटे पूछताछ की उसके बाद उन्हें अपने साथ ले गई. इससे पहले उन्होंने राजभवन जाकर अपना इस्तीफा गवर्नर को सौंप दिया. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि आखिर एक सीएम हो गिरफ्तार करने के लिए क्या नियम कानून है और क्या किसी मुख्यमंत्री को ऐसे गिरफ्तार किया जा सकता है.

गिरफ्तारी से सिर्फ राष्ट्रपति और राज्यपाल को मिली है छूट: संविधान के अनुच्छेद 361 में राष्ट्रपति और राज्यपाल को गिरफ्तारी से छूट दी गई है. यानि इन्हें ना तो क्रिमिनल केस में और ना ही सिविल मामले में पद पर रहते हुए गिरफ्तार किया जा सकता है. इनके खिलाफ कोई भी अदालत आदेश जारी नहीं कर सकता है. हालांकि पद से हटने के बाद इनकी गिरफ्तारी संभव है.

पीएम, सीएम, केंद्रीय मंत्री, सांसद, विधायक के लिए क्या है नियम: देश के प्रधानमंत्री, किसी भी राज्य से मुख्यमंत्री केंद्रीय मंत्री, सांसद या विधायक को भी गिरफ्तारी से छूट दी गई है. हालांकि ये छूट सिर्फ सिविल मामलों में है क्रिमिनल मामलों में नहीं . अगर इन्हें किसी भी मामले में हिरासत में या फिर गिरफ्तार करना है तो उन्हें सदन के अध्यक्ष से इसकी मंजूरी लेनी पड़ेगी. इसके अलावा सत्र के 40 दिन पहले या सत्र के दौरान या फिर सत्र के 40 दिन बाद तक किसी भी सदस्य को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है और ना ही हिरासत में लिया जा सकता है.

सीएम को गिरफ्तार करने के लिए क्या है नियम: 1997 में जब बिहार के सीएम लालू प्रसाद यादव को गिरफ्तार किया गया था तो उन्होंने पहले अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. मार्च 1996 में उनके खिलाफ पटना हाई कोर्ट ने चारा घोटाला मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी. इस मामले में 1997 के जून में सीबीआई ने पहली चार्जशीट दाखिल की. इसमें लालू प्रसाद यादव का भी नाम था. इसके बाद लालू ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था और फिर राबड़ी देवी को बिहार का सीएम बनाया गया था.

तमिलनाडु की सीएम जे जयललिता हुईं थीं गिरफ्तार: 2014 में बेंगलुरू के कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में जललिता को दोषी ठहराया था. जिसके बाद उन्होंने अपने पद पर इस्तीफा दे दिया था. जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया.

हालांकि किसी भी सीएम को गिरफ्तार किया जाता है तो वह कानूनी तौर पर इस्तीफा देने के लिए बाध्य नहीं है. लेकिन अगर उसे किसी क्रिमिनल मामले में दोषी ठहराया जाता है तो उसे इस्तीफा देना पड़ता है. 1951 के जनप्रतिनिधि कानून की धारा 8 के तहत अगर किसी सांसद विधायक को दो साल या फिर उससे ज्यादा की सजा सुनाई जाती है तो तत्काल प्रभाव से उसकी सदस्यता खत्म हो जाती है. इसके साथ ही उसके चुनाव लड़ने पर भी 6 साल तक प्रतिबंध लग जाता है. ऐसे में उसकी गिरफ्तारी में कोई कानूनी बाध्यता नहीं है.

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