गणतंत्र दिवस (Republic Day) के मौके पर बुधवार को जम्मू-कश्मीर पुलिस के एएसआई बाबू राम (ASI Babu Ram) को श्रीनगर में आतंकवाद रोधी अभियान के दौरान ‘वीरता और अनुकरणीय साहस का प्रदर्शन’ करने के लिए मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया है. उन्होंने अगस्त 2020 में 3 आतंकवादियों को मार गिराया था. उनकी पत्नी रीना रानी और बेटे माणिक ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ramnath Kovind) से पुरस्कार प्राप्त किया. आज हम आपको उनके आदमय साहस की कहानी बताने जा रहे हैं.
जम्मू-कश्मीर के जांबाज सिपाही बाबू राम आतंकवाद रोधी समूह में सेवा के दौरान 14 मुठभेड़ का हिस्से रहे. जिनमें 28 आतंकियों को ढेर किया गया. 29 अगस्त, 2020 को वो इसी तरह की एक मुठभेड़ के दौरान आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे. इस दिन शाम के वक्त आतंकियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच मुठभेड़ हो गई थी. ये वो समय था, जब एएसआई बाबू राम अपनी टीम के साथ हाईवे से गुजरने वाले लोगों और वाहनों पर नजर बनाए हुए थे. मामला पंथा चौक का है, जिसे श्रीनगर का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है.
आतंकियों ने जवान पर हमला किया
तभी स्कूटी पर आए तीन आतंकियों ने भीड़ में खड़े CRPF के एक जवान पर हमला करना शुरू कर दिया. आतंकी जवान से हथियार छीन रहे थे. इसके साथ ही आतंकियों ने नाका पार्टी पर अंधाधुंध गोलियां भी दागीं. जिससे चारों ओर अफरा-तफरी जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई. आतंकी गोलीबारी करते हुए एक मोहल्ले में आए और एक घर में छिप गए. एएसआई बाबू राम ने अपने साथियों के साथ इनका पीछा किया और जिस घर में ये छिपे हुए थे उसे चारों तरफ से घेर लिया. इस दौरान सबने घर में फंसे लोगों को गोलीबारी के बीच ही सुरक्षित बाहर निकाला गया.
आतंकियों की घेराबंदी की गई
सुरक्षाबलों की और टुकड़ियां वहां पहुंच गईं. ऑपरेशन के दौरान ही बाबू राम ने अपनी टीम से कहा कि आतंकियों की घेराबंदी जारी रखें. जिसके बाद आतंकियों से सरेंडर करने को कहा गया. हालांकि उन्होंने ऐसा नहीं किया. तभी बीच ऑपरेशन में एएसआई बाबू राम ने अपने घर फोन लगाया. बेटी ने फोन उठाया तो उन्होंने केवल इतना कहा कि एक ऑपरेशन में जा रहा हूं. तभी पता चला कि घर में कुछ और लोग भी फंसे हुए हैं. उन्हें निकालने के लिए कोशिशें तेज की गईं. लेकिन इसी दौरान आतंकियों ने बाबू राम पर गोलियां चला दीं. तब भी उन्होंने हार नहीं मानी, वो डटे रहे. उन्होंने लश्कर-ए- तैयबा के कमांडर साकिब बशीर को कुछ ही देर में मार गिराया.
ऑपरेशन के दौरान ही घायल हुए
ऑपरेशन के दौरान ही एएसआई बाबू राम काफी घायल हो गए थे, उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया. लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका. इस मुठभेड़ में तीन आतंकी मारे गए. साकिब बशीर के अलावा उसके दो साथी उमर तारिक और जुबैर अहमद शेख भी ढेर हुए. तीनों ही आतंकी पंपोर के द्रंगबल के रहने वाले थे. साकिब 2018 से ही आतंकी गतिविधियों में सक्रिय था. बाबू राम की बात करें, तो वह पुंछ जिले के सीमावर्ती मेंढर इलाके के एक गांव धारना में 15 मई, साल 1972 को पैदा हुए थे. वह बचपन से ही देश की रक्षा करना चाहते थे. स्कूल की पढ़ाई पूरी होने के बाद वह 1999 में जम्मू कश्मीर पुलिस में कांस्टेबल के तौर पर नियुक्त हुए. अगर वो अपनी जान दांव पर लगाकर ना लड़ते तो आतंकी भयानक साजिशों को अंजाम दे सकते थे.