हरियाणा विधानसभा से सेवानिवृत विशेष सचिव राम नारायण यादव ने बताया कि 1951 में लोकसभा में 489 सीटें थी। वहीं, उस समय 17 करोड़ के करीब तब मतदाता था।
उन्होंने लोकसभा चुनाव के पहले चरण में हुए कम मतदान पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि वोट डालना लोगों का अधिकार है। उन्हें अपने अधिकार का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि लोगों को यह समझना चाहिए वे केवल सरकार नहीं चुन रहे हैं। वे संसद के सदस्यों का चुनाव कर रहे हैं। जो बाद में उनके काम करेंगे और सदन और लोगों के बीच एक कड़ी का काम करेंगे।
चुनाव आयोग ने भी ज्यादा से ज्यादा वोट डालने के लिए लोगों से अपील भी की है। साथ ही कई इन्सिटिव भी लिए हैं। हालांकि काफी लंबे समय से ये कम मतदान होता आया है।
राम नारायण यादव ने कहा कि 1951 में लोकसभा में 489 सीटें थी। वहीं, उस समय 17 करोड़ के करीब तब मतदाता था और 44.87 प्रतिशत ही वोटिंग हुई थी।
लेकिन अगले मतदाम में बढ़कर 45 प्रतिशत हो गई थी। मतदान में यह उतार-चढ़ाव पिछले लंबे समय से चलता आ रहा है। वहीं, 2009 में 58 के करीब मतदान हुआ था, लेकिन 2014 में यह बढ़कर 66 प्रतिशत के करीब चला गया था।
उन्होंने कहा कि इसमें हमारे युवाओं का सबसे बड़ा योगदान रहा है। करीब 1 करोड़ 86 लाख नए युवाओं की इस बार वोट बनी है। इसके साथ एनआराई और ट्रांसजेंडर की भी वोट बनी है। हमें उम्मीद है लोग ज्यादा-से-ज्यादा मतदान करेंगे।
उन्होंने कहा कि हमें अपना वोट जरूर देना चाहिए। हमारी युवाओं को अगर समझाया जाए तो वे जरूर अपना वोट देंगे। ये उनका अधिकार और देश निर्माण का भी काम हैं।
ऐसे बहुत से उदाहरण है जहां कई नेता मात्र कुछ वोटों से हार गए हों। हरियाणा की बात करें तो कई एमएलए ऐसे रहे हैं जो कुछ वोट से जीते हों। लेकिन जीत तो जीत है।
उनका कहना है कि चुनाव आयोग लोगों से अपील करे और साथ ही लोगों को भी समझना चाहिए। हालांकि एक बैठक में चुनाव आयोग ने ईवीएम जैसी एक और मशीन का ऑप्शन भी दिया था कि कोई व्यक्ति कहीं से भी वोट डाल सकता है। लेकिन कुछ पार्टियां इसके खिलाफ थी तो यह अस्तित्व में नहीं आ सका।
उन्होंने कहा कि डा अंबेडकर ने कहा था कि हमारा चुनाव कोई आम चुनाव नहीं है। इसमें काफी खर्च आता है। इसलिए सबको चुनाव में हिस्सा लेना चाहिए। उन्होंने डा राजेंद्र प्रसाद की बात दोहराते हुए लोगों से वोट डालने की अपील भी की।
राम नारायण यादव ने कहा कि मैने एक चुनाव क्षेत्र में जातिए आधार पर 2 बार चुनाव के मुद्दे पर भी रिसर्च की है। पहले ऐसा होता आया है कि एक चुनाव क्षेत्र में दो-दो चुनाव हुए हों। जरनल और शेड्यूल कास्ट के एक चुनाव क्षेत्र में 2 चुनाव हुआ करते थे। 1966 में ही यह प्रोविजन खत्म हुआ था।