सन्तकबीरनगर: पूरी रात चलता रहा इबादतों का दौर, लोगों ने की अमन-ओ-चैन की दुआ
तौबा व इस्तिगफार और गुनाहों की माफी माँगना अल्लाह की बारगाह में पसंदीदा दुआएं हैं।
सन्तकबीरनगर। मंगलवार को शब ए बरात के अवसर पर भारत के प्रसिद्ध सूफी बुजुर्ग इस्लामिक विद्वान हजरत सुफी निजामुद्दीन मुहद्दिस बस्तवी की दरगाह स्थित खानकाहे निजामिया अगया में रूहानी इज्तिमा का आयोजन किया गया।मौलाना सुफी हबीबुर्रहान सज्जादा नशीन दरगाह हजरत सुफी निजामुद्दीन ने कहा की अल्लाह इस रात को फरियाद करने वालो के सारे गुनाह माफ कर देता है। शब-ए-बरात खुदा की इबादत, गुनाहों से निजात,माफी मांगने,बख्शीश और तोबा करने की रात है। इस रात खुदा की रहमत बरसती है।
मौलाना मोहम्मद अली निजामी ने कहा कि शब का अर्थ रात और बरात का अर्थ छुटकारा और माफी मिलना। शब-ए-बरात जहन्नुम से छुटकारा पाने और गुनाहों से माफी मांगने की रात है। मौलाना अकील मिस्बाही सिवान ने कहा कि हजरत मोहम्मद सल्लाहु अलैहि वसल्लम की बीवी हजरत आयशा फरमाती हैं कि हुजूर सल्लाहु अलैहि वसल्लम कमरे में बिस्तर पर सोए हुए थे तो रात में उनकी आंख खुली तो देखा कि हुजूर कमरे में नही हैं। बाहर निकल कर देखा कि मदीना की कब्रिस्तान जन्नतुलबकी में मोहम्मद सल्लाहु अलैहि वसल्लम अपनी उम्मत की मगफिरत के लिए दुआ कर रहे हैं।
हजरत मोहम्मद सल्लाहु अलैहि वसल्लम वापस आए तो रात में जागने की वजह पूछने पर बताया कि आज शब-ए- बरात है। आल इंडिया बज़्मे निज़ामी के चेयरमैम मौलाना जियाउल मुस्तफा निजामी ने कहा की शब-ए-बारात की रात बहुत ही अफजल होती है। इस रात को अल्लाह सबकी किस्मत,रोजी,उम्र,तकदीर का फैसला नाफिज करने के लिए फरिश्तों के सुपुर्द फरमाता है। कार्यक्रम में नात ख्वां नुमान रजा निजामी,गुलाम गौस निजामी, माजिद निजामी ने अपनी नात से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
सलात व सलाम के बाद अंत में मौलाना सुफी हबीबुर्रहमान रजवी ने देश की शान्ति और सद्भाव के प्रार्थना की।इस अवसर पर मौलाना मोहम्मद सईद निजामी, मौलाना मुहिब्बुर्रहमान मिस्बाही, मौलाना सनाउल मुस्तफा निजामी, मौलाना आफताब आलम अशरफी, मौलाना अब्दुल हई,मौलाना कोसर अली आदि के साथ ही बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। रात के अंतिम समय में लोगों ने सेहरी खाकर बुधवार को रखे जाने वाले रोजे की नीयत की। लोगों ने धूमधाम से मनाया शब ए बरात और इबादत की।
आसपास के तमाम मुस्लिम बहुल इलाकों समेत शहरी तथा ग्रामीण में कब्रिस्तानों व मस्जिदों को भव्य रूप से सजाया गया था। शब-ए-बारात को लेकर पूरी रात लोग जागते रहे,मस्जिदें रौशन रहीं और कब्रिस्तान रहे गुलजार। लोग घरों एवं मस्जिदों में पाक कुरान शरीफ के आयतों की तिलावत करते रहे और घूम घूम कर कब्रिस्तानों एवं हजरत सुफी निजामुद्दीन की मजार पर फातेहा पढ़ते रहे। बड़ों के साथ ही बच्चे भी सर पे टोपियां लगाए बुजुर्गों की मजारों पर दुआ मांगने गए। लोगो ने विशेष नमाजें अदा की बच्चों में इस त्योहार को लेकर खासा उत्साह था। सारे मुस्लिम मगरिब की नमाज से लेकर फजर की नमाज तक इबादत में लगे रहे और अल्लाह से रो-रो कर अपने और अपने से जुदा हुए बुजुर्गों के गुनाहों की माफी मांगते रहे।
शाम होते ही मुस्लिम लोगों ने फातिहा खानी की और उसके बाद इबादत में लग गए। रोज रातों में वीरान रहने वाला नगर व ग्रामीण इलाकों के कब्रिस्तान मंगलवार की रात को रोशनी से जगमगा उठा। लोग पूरी रात कब्रिस्तान जाते दिखाई दिए और वहां जा कर फातिहा पढ़ी। खानकाह ए निजामिया,में रात भर फातेहा पढ़ने आने वाले लोगों का सिलसिला चलता रहा।