नहीं रहे सुन्नी धर्मगुरु अब्दुल अलीम फारुकी, ऐशबाग कब्रिस्तान में किए गए सुपुर्द-ए-खाक
लखनऊ: जमीयत उलेमा ए हिंद के उपाध्यक्ष और जुलूसे मदहे सहाबा के सरपरस्त मौलाना अब्दुल अलीम फारुकी का बुधवार को लंबी बीमारी के बाद सुबह निधन हो गया. उनके जनाजे की नमाज नदवा कॉलेज में अस्र की नमाज के बाद हुई और ऐशबाग कब्रिस्तान में उनको सुपुर्द-ए-खाक किया गया. वह 76 वर्ष के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे.
इंतकाल की खबर से शोक: मौलाना फारूकी दारूल उलूम देवबंद और नदवा की कार्यकारिणी सदस्य और शौकत अली हाता स्थित मदरसा दारुल मुबल्लिगीन के प्रबंधक थे. इसके अलावा शिया सुन्नी समझौते के बाद जुलूस ए मदहे सहाबा की अगुवाई कर रहे हैं. मौलाना अलीम फारूकी के इंतकाल की खबर से उनके चाहने वालों में शोक है.
जुलूस-ए-मदहे सहाबा की कर रहे थे अगुवाई : शिक्षा भवन के पास चौधरी गढ़ैया स्थित उनके आवास पर लोगों के आने का सिलसिला सुबह से ही शुरू हो गया था. शिया-सुन्नी समझौते के बाद वह जुलूस-ए-मदहे सहाबा की अगुवाई कर रहे थे. उनके भांजे मौलाना अब्दुल बुखारी ने बताया कि एक महीने पहले पता चला कि पेंक्रियास में कैंसर है. सुबह घर में ही उनका इंतकाल हुआ है.
सुन्नी समुदाय को काफी हानि : ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि वरिष्ठ मुस्लिम धर्मगुरु अलीम फारुकी के जाने से सुन्नी समुदाय को काफी हानि हुई है. इसकी भरपाई नहीं की जा सकती. आल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल ला बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर ने कहा कि उनके इंतकाल से सुन्नी समुदाय ही नहीं ही हर धर्म के लोगों को उनकी कमी खलेगी. सामाजिक समरसता बनाने में उनकी अहम भूमिका रही है.
कमर अली ने व्यक्त किया शोक: मदरसा शिक्षा परिषद के सदस्य कमर अली ने भी शोक व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि वह दीनी शिक्षा के साथ ही सामान्य शिक्षा देने के पक्षधर थे. टीले वाली मस्जिद के इमाम मौलाना फजले मन्नान ने कहा कि वह धर्म को लेकर संजीदा रहते थे. उनके इंतकाल से समाज ने एक वरिष्ठ धर्म गुरु और वक्ता खो दिया है.
गंगा जमुनी तहजीब के पैरोकार थे मौलाना : लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह बग्गा ने कहा कि सर्वधर्म की सभाओं में उनकी मौजूदगी रहती थी. सामाजिक एकता और भाईचारा कमेटी के सदस्य के रूप में वह निष्पक्ष बयान देते थे. उनके द्वारा कभी भी धर्म विशेष को लेकर टिप्पणी नहीं की जाती थी. वो गंगा जमुनी तहजीब के पैरोकार थे. आपसी सद्भाव को लेकर चलते थे.
कैथेड्रल के फादर डॉ. डोनाल्ड डिसूजा ने बताया कि मौलाना के साथ मेरी मुलाकात कई बार हुई और वह एक नेक इंसान के साथ धर्म के प्रति सजग रहते थे. बहुत ही मिलनसार इंसान थे.