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शेयर बाजार में चौथे दिन भी दिखी जोरदार तेजी: सेंसेक्स 1508 अंक चढ़कर बंद, निवेशकों ने ₹4.5 लाख करोड़ कमाए

मुंबई। अमेरिका और चीन के बीच आयात शुल्क (टैरिफ) को लेकर चल रही जवाबी कार्रवाई से वैश्विक स्तर पर व्यापार युद्ध की आशंका के बावजूद भारत के टैरिफ से अपेक्षाकृत कम प्रभावित होने की बदौलत स्थानीय स्तर पर हुई चौतरफा लिवाली से आज शेयर बाजार लगातार चौथे दिन उछल गया।

बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 1508.91 अंक अर्थात 1.96 प्रतिशत की तेजी के साथ तेरह कारोबारी सत्र के बाद 78 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर के पार 78,553.20 अंक और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 414.45 अंक यानी 1.77 प्रतिशत की छलांग लगाकर 23851.65 अंक पर बंद हुआ।

इसी तरह बीएसई का मिडकैप 0.56 प्रतिशत मजबूत होकर 41,980.48 अंक और स्मॉलकैप 0.52 प्रतिशत चढ़कर 47,946.66 अंक हो गया। इस दौरान बीएसई में कुल 4106 कंपनियों के शेयरों में कारोबार हुआ, जिनमें से 2427 में लिवाली जबकि 1522 में बिकवाली हुई वहीं 157 में कोई बदलाव नहीं हुआ। इसी तरह एनएसई में कुल 2977 कंपनियों के शेयर कारोबार के लिए रखे गए, जिनमें से 1847 में तेजी जबकि 1047 में गिरावट हुई वहीं 83 में टिकाव रहा।

बाजार विश्लेषकों के अनुसार, वैश्विक बाजारों में जारी उतार-चढ़ाव और व्यापार युद्ध की आशंकाओं के बीच भारत का हालिया बेहतर प्रदर्शन बाजार विशेषज्ञों के लिए चौंकाने वाला लेकिन उत्साहजनक रहा है। इस वर्ष 02 अप्रैल के बाद से जब प्रमुख वैश्विक बाजार नुकसान झेल रहे हैं, भारत उन गिने-चुने बड़े बाजारों में शामिल है जिसने न सिर्फ अपने नुकसान की भरपाई की बल्कि 02 अप्रैल से पहले के स्तर से ऊपर बंद होकर निवेशकों का भरोसा भी कायम रखा। इस मजबूती के पीछे दो प्रमुख वजहें बताई जा रही हैं।

पहला, भारत एक घरेलू खपत-आधारित अर्थव्यवस्था है, जिससे यह टैरिफ संकट जैसे बाहरी झटकों से अपेक्षाकृत कम प्रभावित होता है। चीन या अमेरिका जैसे देशों के मुकाबले भारत की अर्थव्यवस्था का निर्यात पर कम निर्भर होना वैश्विक झटकों के दौरान इसे एक सुरक्षित विकल्प बनाता है।

दूसरा, अमेरिका और भारत के बीच संभावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते की उम्मीदें बाजार को अतिरिक्त समर्थन दे रही हैं। अमेरिका भारत को अपने चार प्रमुख व्यापारिक सहयोगियों ब्रिटेन, जापान, दक्षिण कोरिया और भारत में से एक मान रहा है, जिनके साथ वह प्राथमिकता के आधार पर व्यापार समझौते कर सकता है। यदि यह समझौता होता है तो भारत अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध की स्थिति में एक वैकल्पिक आपूर्ति स्रोत बन सकता है, जिससे निर्यात और विदेशी निवेश को बल मिलेगा।

इस बीच, भारत के घरेलू खपत से जुड़े क्षेत्रों वित्तीय सेवाएं, दूरसंचार, विमानन, सीमेंट और ऑटो में सूचीबद्ध शेयरों ने शानदार प्रदर्शन किया है। कई शेयर ने 52 सप्ताह का उच्चतम स्तर छुआ है और कुछ ने नए रिकॉर्ड भी बनाए हैं। बाजार विश्लेषकों का मानना है कि यह प्रवृत्ति निकट भविष्य में भी बनी रह सकती है।

विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) भारत में फिर से सक्रिय रूप से खासकर घरेलू खपत-आधारित उच्च गुणवत्ता वाले लार्जकैप शेयरों में निवेश कर रहे हैं। यह दर्शाता है कि मौजूदा वैश्विक संकट में भारत को निवेश का एक स्थिर और भरोसेमंद गंतव्य माना जा रहा है, खासकर तब जब अमेरिका और चीन की संभावनाएं कमजोर दिखाई दे रही हैं। इससे बीएसई के सभी 21 समूहों में लिवाली हुई।

इस दौरान कमोडिटीज 0.56, सीडी 0.95, ऊर्जा 1.13, एफएमसीजी 0.61, वित्तीय सेवाएं 2.00, हेल्थकेयर 0.91, इंडस्ट्रियल्स 0.57, आईटी 0.24, दूरसंचार 2.22, यूटिलिटीज 0.71, ऑटो 1.01, बैंकिंग 2.56, कैपिटल गुड्स 0.75, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स 0.71, धातु 0.25, तेल एवं गैस 0.98, पावर 0.94, रियल्टी 0.49, टेक 1.19, सर्विसेज 1.47 और फोकस्ड आईटी समूह के शेयर 0.21 प्रतिशत उछल गए। वैश्विक स्तर पर मिलाजुला रुख रहा। इससे ब्रिटेन का एफटीएसई 0.59 और जर्मनी का डैक्स 0.24 प्रतिशत गिर गया। वहीं, एशियाई बाजारों में जापान का निक्केई 1.35, हांगकांग का हैंगसेंग 1.61 और चीन का शंघाई कंपोजिट 0.13 प्रतिशत चढ़ गया।

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