चंडीगढ़ में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल अब खत्म हो गई है. प्रशासन से हुई बातचीत के बाद बिजली संघ ने हड़ताल वापस लेने का ऐलान कर दिया. हड़ताल खत्म किए जाने के बाद अधिकांश इलाकों में बिजली आपूर्ति सामान्य हो गई है. बता दें कि चंडीगढ़ में हुए ब्लैक आउट (blackout) के बाद भारतीय सेना को लगाया गया था. बिजली संकट को दूर करने के लिए इंजीनियरों के साथ भारतीय सेना के करीब 100 से अधिक जवानों को लगाया गया था. भारतीय सेना के मुताबिक लगभग 80 पावर सेंटर को बहाल कर दिया गया है. सेना ने बिजली व्यवस्था को बहाल करने के लिए दिल्ली, जालंधर और अन्य जगहों से भी टीम को बुलाया था. चंडीगढ़ में करीब 36 घंटे तक ब्लैकआउट रहा.
ऐसा दूसरी बार हुआ है जब इस तरह के संकट के लिए किसी राज्य में सेना को आगे बुलाना पड़ा है. चंडीगढ़ में बिजली विभाग के कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने के बाद पूरी तरह से ब्लैक आउट हो गया था. बिजली व्यवस्था को बहाल करने के लिए चंडीगढ़ के उपराज्यपाल ने सेना से अनुरोध किया था. बिजली विभाग को प्राइवेट किए जाने की खबर के बाद 21 फरवरी को बिजलीकर्मियों ने हड़ताल का ऐलान कर दिया था. इसके कारण चंडीगढ़ में बिजली का संकट पैदा हो गया था. बिजली न होने के कारण लोगों को कई तरह की समस्याओं को सामना कर पड़ रहा है.
बता दें कि सोमवार को बिजली के निजीकरण को लेकर बिजली कर्मचारियों ने 72 घंटे के हड़ताल का ऐलान कर दिया. बिजली कर्मचारियों ने ये हड़ताल केंद्र सरकार के उस फैसले के खिलाफ थी, जिसमें सरकार ने चंडीगढ़ के बिजली विभाग के निजीकरण की फाइल को क्लीयर कर बिजली का काम निजी कंपनी एमीनेंट को देने का फैसला किया है. बिजली संघ का कहना है कि प्रशसन ने हाईकोर्ट के आदेशो की अनदेखी कर बिजली विभाग का निजीकरण किया है. कर्मचारी इस फैसले को वापस लेने की मांग कर रहे थे.
जहां भी बिजली गई वहां पर उसे ठीक नहीं किया गया
बिजली कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से जहां भी बिजली गई वहां पर उसे ठीक नहीं किया गया. देखते ही देखते रात के समय ज्यादातर इलाकों में बिजली ठप हो चुकी थी जो मंगलवार तक जारी रही. प्रशासन और बिजली विभाग में मांगों को लेकर जो विवाद था उसका खामियाजा सीधे तौर पर आम नागरिक को उठाना पड़ा. बिजली न होने के कारण कई इलाकों में लोगों को पानी की किल्लत का भी सामना करना पड़ा और ऑन लाइन क्लास करने में भी बच्चों को काफी दिक्कत हुई.