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पद्मश्री मालिनी अवस्थी के गीतों से सुरमयी हुई रामनगरी की शाम

अयोध्या स्थित राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिये यहां आये मेहमानों को समूचे भारत की संस्कृति और परंपरा से रूबरू होने का मौका मिला।

साथ ही पद्मश्री मालिनी अवस्थी तथा कन्हैया मित्तल जैसे कलाकारों की प्रस्तुति से रामनगरी की शाम सुरमयी हो गई। यहां 100 से अधिक मंचों पर सुरमयी प्रस्तुतियों से संस्कृति के विविध रंग दिखे।

कड़ाके की ठंड भी कलाकारों के हौसले नहीं डिगा पाई। एक बयान के मुताबिक प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर रामनगरी में सिर्फ अवध ही नहीं, बल्कि पूरा उत्तर प्रदेश नजर आया।

डमरू वादन, शंख वादन से अतिथि देवो भवः की परंपरा का साक्षात्कार कराया गया। धोबिया लोकनृत्य, फरुआही नृत्य से माटी की खुशबू बिखरी तो गोरखपुर के वनटांगिया जनजातीय लोक नृत्य ने हर किसी का दिल जीत लिया।

अवधी और उत्तरांचल के नृत्य से मेहमानों का स्वागत किया गया। बम रसिया और मयूर नृत्य के जरिये ब्रज परंपराओं से रूबरू कराया। राई लोकनृत्य, आदिवासी नृत्य आदि पेश किये गये।

धर्मपथ से लेकर रामपथ, हवाई अड्डे, लता मंगेशकर चौक के पास और अन्य कई स्थानों पर नृत्य, वादन तथा गायन का लोगों ने जमकर आनंद लिया।

शाम के समय पद्मश्री मालिनी अवस्थी तथा कन्हैया मित्तल जैसे कलाकारों की प्रस्तुति ने समा बांध लिया। तुलसी उद्यान पर मालिनी अवस्थी ने प्रस्तुति दी तो रामकथा पार्क में कन्हैया मित्तल की प्रस्तुति ‘पूरी अयोध्या राम-राम’ पर दर्शक भी झूम उठे।

कन्हैया ने जैसे ही अयोध्या के राजा, भारत हिग आपका… सुनाया तो लोग थिरकने लगे। तुलसी उद्यान में उज्जैन के शर्मा बंधुओं ने भजनों की सुर गंगा में डुबकी लगवाई। इसी अवधि में रामकथा पार्क में नागपुर के वाटेकर सिस्टर्स की प्रस्तुति हुई।

उप्र के विभिन्न अंचलों के लोक नृत्य कलाकारों के साथ ही संस्कृति मंत्रालय के क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों के 200 कलाकारों ने अयोध्या के 100 चिह्नित स्थलों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये। हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, राजस्थान समेत कई राज्यों के अनेक कलाकारों ने भी इसमें हिस्सा लिया।

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