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भारत बदलते देखा, ह‍िंदुस्‍तान को समझकर देखा…

  • वक्‍त की मांग थी वक्‍फ ब‍िल, इसमें संशोधन होते देखा!

अभिषेक कृष्‍ण दुबे


ट्रिपल तलाक, आर्ट‍िकल-370, राम मंद‍िर, CAA, NRC और अब वक्‍फ ब‍िल आपको क्‍या लगता है ये सब कैसे संभव हुआ है? ये सब संभव हुआ है एक राष्‍ट्रवादी सनातनी पार्टी की दृढइच्‍छाशक्‍त‍ि से! एक ऐसी व‍िचारधारा जो ह‍िंदुस्‍तान को उसकी खोई पहचान को वापस द‍िलाने के ल‍िए द‍िन रात कार्य कर रही है।

2014 में जब से देश की कमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की हाथ में आई है तब से केंद्र सरकार भारत के सभी नागर‍िकों को साथ लेकर चलते हुए व‍िकास और सनातन की रक्षा करने के ल‍िए लगातार कार्य कर रही है।

लोकतंत्र के मंद‍िर, देश की संसद के दोनों सदनों में बहुमत के साथ वक्‍फ बोर्ड में संशोधन के ब‍िल का पास होना ये द‍िखाता है क‍ि देश की जनता इस फैसले के साथ है। हालांक‍ि व‍िपक्षी पार्ट‍ियां अपने एजेंडे की वजह से इसका व‍िरोध करती नजर आईं, ये उनकी मजबूरी थी! अंदर से जो मन से भारतीय हैं वो इस संशोधन के साथ ही थे।

संशोधन क्‍यों है जरूरी?

दोनों सदनों में बहुमत से पास होने के बाद अब यह बिल राष्‍ट्रपत‍ि के पास अंतिम मुहर के ल‍िए चला गया है जहां से सहमत‍ि म‍िलने के बाद इसके कानून बनने का रास्‍ता साफ हो जाएगा। ऐसे में सवाल ये भी उठता है क‍ि आख‍िर आजादी के इतने साल बाद इसमें संशोधन की बात क्‍यों सामने आई? आख‍िर अभी तक की सरकारों ने इसको लेकर कोई सवाल क्‍यों नहीं उठाया? क्‍या यह बोर्ड देशह‍ित में काम कर रहा था? या कुछ देश व‍िरोधी संरक्षकों की सह पर यह पल रहा था? अगर ऐसे कई सवाल आपके मन में हैं तो इसकी तह में आपका जाना जरूरी है।

वक्‍फ बोर्ड का जो सबसे व‍िवाद‍ित न‍ियम है वो है… ‘एक बार वक्‍फ, हमेशा वक्‍फ’ इसका मतलब ये हुआ क‍ि जब कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति को वक्फ के रूप में दान करता है, तो वह संपत्ति हमेशा के लिए वक्फ की हो जाती है और इसका उपयोग धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए किया जाता है। यह संपत्ति बेची या हस्तांतरित नहीं की जा सकती है और इसका प्रबंधन वक्फ बोर्ड द्वारा किया जाता है। इस न‍ियम की आड़ में इस बोर्ड ने कुछ राजनेताओं और पार्ट‍ियों को साथ म‍िलाकर देश की सरकारी संपत्‍तियों पर कब्‍जा करना शुरू कर द‍िया था।

आपको बता दें, इस समय देश में सेना और रेलवे के बाद सबसे ज्यादा जमीन वक्फ बोर्ड के पास है। वर्ष 1950 में वक्फ के पास सिर्फ 52 हज़ार एकड़ जमीन थी जो साल 2009 तक 4 लाख एकड़ हो गई। साल 2014 में 6 लाख एकड़ और आज के समय में यानी 2025 में वक्फ के पास देश की कुल 9 लाख 40 हज़ार एकड़ जमीन है। आख‍िर वक्‍फ के पास कैसे जमीनें बढ़ती जा रही हैं, देश की जनता मूर्ख नहीं है वो सब जान रही है क‍ि कैसे हमारे पहले के राजनेताओं ने न‍ियमों को तोड़ मरोड़कर सत्‍ता के लालच में एक खास वर्ग को खुश करते रहे हैं। अब देश की जनता और मौजूदा सरकार इस बात को समझ चुकी है तो इसमें संशोधन तो आवश्‍यक ही है।

बिल पारित होने से क्या बदलाव आएगा?

इस बिल के पास होने के बाद वक्फ कानून में बड़े बदलाव आएंगे। वक्फ बोर्डों की संरचना में भी बदलाव देखने को मिलेगा। गैर-मुस्लिमों को बोर्ड के सदस्यों के रूप में शामिल करना अनिवार्य हो जाएगा।

वक्फ संपत्ति का पंजीकरण

यह कानून लागू होने के छह महीने के भीतर हर वक्फ संपत्ति को केंद्रीय डेटाबेस पर पंजीकृत करना अनिवार्य बनाता है।

वक्फ ट्रिब्यूनल

ट्रिब्यूनल, रेवेन्यू कोर्ट में अपील कर सकेगा। सिविल कोर्ट या हाईकोर्ट में अपील हो सकेगी।

महिलाओं का अधिकार

‘वक्फ-अल-औलाद’ के तहत महिलाओं को भी वक्फ की जमीन में उत्तराधिकारी माना जाएगा।

ऑडिट और पारदर्शिता

केंद्र और राज्य सरकारों के पास वक्फ के खातों का ऑडिट कराने का अधिकार होगा, जिससे किसी भी तरह की बेईमानी और भ्रष्टाचार को रोका जा सकेगा।

(लेखक भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता हैं)

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