अस्पतालों में 200 बेड आरक्षित, सुरक्षा बढ़ाई

लखनऊ। भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद राजधानी में स्वास्थ्य और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कदम उठाए गए हैं। प्रमुख अस्पतालों में किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए 200 बेड आरक्षित किए गए हैं। साथ ही, शहर के अस्पतालों, हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशनों, और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा कर दिया गया है।
संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (पीजीआई), किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू), डॉ. राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, बलरामपुर अस्पताल, सिविल अस्पताल, डफरिन अस्पताल, और झलकारीबाई अस्पताल में अलर्ट जारी किया गया है। इन अस्पतालों में आपातकालीन चिकित्सा सुविधाओं को बढ़ाया गया है, जिसमें अतिरिक्त डॉक्टर, नर्स, और मेडिकल स्टाफ की तैनाती शामिल है।
पीजीआई और केजीएमयू में विशेष रूप से गंभीर मरीजों के लिए आईसीयू और एचडीयू बेड आरक्षित किए गए हैं।स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह व्यवस्था किसी भी अप्रत्याशित स्थिति, जैसे आतंकी हमले या बड़े पैमाने पर घायलों के इलाज के लिए की गई है। अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडर, वेंटिलेटर, और आवश्यक दवाओं का पर्याप्त स्टॉक सुनिश्चित किया गया है। इसके अलावा, ब्लड बैंकों को भी अलर्ट पर रखा गया है ताकि आपात स्थिति में रक्त की कमी न हो।
सुरक्षा के मोर्चे पर, लखनऊ के अमौसी हवाई अड्डे सहित प्रदेश के 15 हवाई अड्डों पर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) और स्थानीय पुलिस की तैनाती बढ़ा दी गई है। रेलवे स्टेशनों पर रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) और जीआरपी की गश्त तेज कर दी गई है। लखनऊ से चलने वाली सभी ट्रेनों में अतिरिक्त सुरक्षा जांच शुरू की गई है। इकाना स्टेडियम, जहां निकट भविष्य में कई खेल आयोजन होने हैं, वहां भी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था लागू की गई है।उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, जो स्वास्थ्य मंत्रालय का प्रभार भी संभालते हैं, ने अस्पतालों का दौरा किया और तैयारियों का जायजा लिया।
उन्होंने कहा, “हमारी प्राथमिकता नागरिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य है। किसी भी स्थिति से निपटने के लिए हम पूरी तरह तैयार हैं।” प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि वे घबराएं नहीं और किसी भी आपात स्थिति में नजदीकी अस्पताल या पुलिस से संपर्क करें।यह कदम 7 मई को आयोजित राष्ट्रव्यापी मॉक ड्रिल के बाद और ऑपरेशन सिंदूर के परिणामस्वरूप उठाए गए हैं। लखनऊ में यह व्यवस्था शहर की शांति और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए एक मजबूत कदम है।